यौन उत्पीड़न की शिकार किशोरी ने गर्भावस्था जारी रखने की जताई इच्छा, Bombay High Court ने दिया अधिकार

punjabkesari.in Thursday, Sep 05, 2024 - 04:51 PM (IST)

नेशनल डेस्क: बंबई उच्च न्यायालय (Bombay High Court) ने यौन उत्पीड़न की शिकार 17 वर्षीय नाबालिग पीड़िता को गर्भ बरकरार रखने की अनुमति देते हुए कहा कि उसे एक बच्चे को जन्म देने और फैसला लेने का अधिकार है। न्यायमूर्ति ए. एस. गडकरी और न्यायमूर्ति नीला गोखले ने कहा कि किशोरी शुरू में गर्भपात कराना चाहती थी, लेकिन बाद में उसने बच्चे को जन्म देने का फैसला किया क्योंकि वह उस व्यक्ति से शादी करना चाहती है जिसने कथित तौर पर उसका यौन उत्पीड़न किया था।

नाबालिग पीड़िता ने गर्भावस्था जारी रखने की जताई इच्छा
उच्च न्यायालय ने कहा, ‘‘हम याचिकाकर्ता (किशोरी) के एक बच्चे को जन्म देने के अधिकार के प्रति सचेत हैं। उसके शरीर पर उसका हक है और उसे (फैसले के) चयन का अधिकार है।'' अदालत ने कहा कि 26 सप्ताह की गर्भवती किशोरी अगर गर्भपात की इच्छा जताती है तो अदालत उसे इसकी इजाजत देती है। पीठ ने कहा, ‘‘हालांकि, उसने अपनी गर्भावस्था जारी रखने की इच्छा जताई है। वह ऐसा करने के लिए पूरी तरह से स्वतंत्र है।'' जब लड़की को बुखार की जांच के लिए ले जाया गया तब उसे और उसकी मां को गर्भावस्था के बारे में पता चला। इसके बाद 22 वर्षीय व्यक्ति के खिलाफ उसका यौन उत्पीड़न का मामला दर्ज किया गया।

पीड़िता ने इसके बाद गर्भपात की अनुमति के लिए उच्च न्यायालय का रुख किया। हालांकि बाद में किशोरी ने दावा किया कि वह व्यक्ति के साथ ‘‘सहमति'' से रिश्ते में थी, वे शादी करना चाहते थे और अपने बच्चे का पालन पोषण करने के इच्छुक हैं। सरकारी जेजे अस्पताल में एक मेडिकल बोर्ड ने नाबालिग की जांच की और उच्च न्यायालय को सौंपी रिपोर्ट में कहा कि भ्रूण में कोई गड़बड़ी नहीं है लेकिन नाबालिग होने के कारण वह बच्चे को जन्म देने की मानसिक स्थिति में नहीं है।


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Content Editor

Harman Kaur

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