पिता ने सौतेली बेटी के साथ पांच बार किया बलात्कार, छठी बार जबरन संबंध बनाने की कोशिश की तो...

punjabkesari.in Saturday, Dec 13, 2025 - 01:11 PM (IST)

नेशनल डेस्क:  बॉम्बे हाईकोर्ट ने एक बेहद गंभीर और संवेदनशील मामले में स्पष्ट किया है कि नाबालिग के साथ यौन शोषण के आरोपों को केवल वैवाहिक झगड़े का हिस्सा नहीं माना जा सकता। इस फैसले में अदालत ने ठाणे की निचली अदालत द्वारा आरोपी को दी गई जमानत रद्द कर दी और उसकी तत्काल गिरफ्तारी का निर्देश दिया।

मामला 47 वर्षीय एक व्यक्ति से जुड़ा है, जिस पर अपनी सौतेली और नाबालिग बेटी के साथ बलात्कार करने का आरोप है। पीड़िता की मां ने साल 2014 में आरोपी से दूसरी शादी की थी। एफआईआर के अनुसार, अप्रैल 2023 से 2025 तक आरोपी ने लड़की के साथ पांच बार बलात्कार किया। अप्रैल 2025 में छठी बार यौन शोषण की कोशिश के बाद पीड़िता ने अपनी मां को पूरी घटना बताई। इसके बाद मां ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई।

हाईकोर्ट ने जमानत क्यों रद्द की
मुंबई उच्च न्यायालय की जस्टिस नीला गोखले की एकल पीठ ने कहा कि ट्रायल कोर्ट ने जमानत देते समय सिर्फ सतही आधार अपनाया। अदालत ने देखा कि निचली अदालत ने केवल पति-पत्नी के बीच मतभेद के कारण आरोप झूठा होने का तर्क माना, जबकि FIR की समीक्षा से मामला गंभीर और संवेदनशील दिखाई देता है। हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया, “यदि किसी महिला को पता चले कि उसका पति उसकी नाबालिग बेटी का यौन शोषण कर रहा है, तो उससे दूर होना पूरी तरह स्वाभाविक और मानवीय प्रतिक्रिया है। इसे सामान्य वैवाहिक विवाद के रूप में नहीं देखा जा सकता।”

निचली अदालत का दृष्टिकोण और हाईकोर्ट की आलोचना
आरोपी ने जमानत याचिका में दावा किया कि पत्नी ने झूठा आरोप लगाया और शिकायत में देरी हुई, इसलिए मामला संदिग्ध है। ट्रायल कोर्ट ने इसे स्वीकार करते हुए जून 2025 में जमानत दे दी। हाईकोर्ट ने इसे खारिज कर कहा कि बच्चों के खिलाफ यौन उत्पीड़न के मामलों में पीड़िता डर और दबाव के कारण तुरंत खुलासा नहीं कर पाती। इस मामले में भी पीड़िता ने कई बार चुपचाप शोषण सहा और हालात असहनीय होने पर मां को बताया।

पीड़िता और राज्य सरकार की भूमिका
16 वर्षीय पीड़िता ने अपनी मां के माध्यम से हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की और आरोपी की जमानत रद्द करने की मांग की। राज्य सरकार ने भी इस दावे का समर्थन किया। हाईकोर्ट ने कहा कि इस तरह के गंभीर अपराध में आरोपी को जमानत देना ट्रायल और गवाही प्रक्रिया को प्रभावित कर सकता है।

आरोपी की गिरफ्तारी और न्यायिक चेतावनी
हाईकोर्ट ने आरोपी को तत्काल हिरासत में लेने का आदेश दिया। अदालत ने यह भी नोट किया कि आरोपी और उसके वकील कोर्ट में पेश नहीं हुए, जो नकारात्मक संकेत है। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि नाबालिग के यौन उत्पीड़न को किसी भी स्थिति में वैवाहिक विवाद का हिस्सा नहीं माना जा सकता।  


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Content Editor

Anu Malhotra

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