Delhi Air Pollution: दिल्ली हाई कोर्ट की सख्त टिप्पणी- ''साफ हवा नहीं दे सकते, तो प्यूरीफायर तो सस्ता करो''
punjabkesari.in Wednesday, Dec 24, 2025 - 03:38 PM (IST)
नेशनल डेस्क : दिल्ली में प्रदूषण का स्तर लगातार विनाशकारी स्थिति में बना हुआ है। सरकार की ओर से किए जा रहे तमाम प्रयासों के बावजूद राजधानी में वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) ‘गंभीर’ श्रेणी में दर्ज किया जा रहा है। ऐसे हालात में लोगों के लिए साफ हवा में सांस लेना चुनौती बन गया है और एयर प्यूरीफायर ही एकमात्र सहारा बनकर रह गए हैं। हालांकि, एयर प्यूरीफायर की ऊंची कीमत और उस पर लगने वाली भारी जीएसटी के कारण यह आम लोगों की पहुंच से बाहर होता जा रहा है और एक लग्जरी उत्पाद बनकर रह गया है।
इसी मुद्दे को लेकर वकील कपिल मदन ने दिल्ली हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी। याचिका में मांग की गई है कि बढ़ते प्रदूषण को देखते हुए एयर प्यूरीफायर पर लगाए जा रहे जीएसटी में राहत दी जाए, ताकि आम नागरिक भी इसका उपयोग कर सकें।
सरकार से एयर प्यूरीफायर पर जीएसटी को लेकर क्या कहा?
मामले की सुनवाई के दौरान दिल्ली हाई कोर्ट ने सरकार से कहा कि वह प्रदूषण के बढ़ते स्तर को ध्यान में रखते हुए एयर प्यूरीफायर पर जीएसटी में छूट देने पर गंभीरता से विचार करे। कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा कि जब सरकार दिल्लीवासियों को साफ हवा उपलब्ध कराने में असफल साबित हो रही है, तो कम से कम ऐसे उपकरणों को सस्ता बनाने की दिशा में कदम उठाया जाना चाहिए, जो लोगों को प्रदूषण से बचा सकें।
याचिका में यह भी बताया गया कि पिछले दो महीनों के दौरान एयर प्यूरीफायर की बिक्री में करीब पांच प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है, लेकिन महंगी जीएसटी के कारण इसका लाभ केवल उच्च वर्ग तक ही सीमित रह गया है। कोर्ट ने कहा कि देश के हर नागरिक को साफ हवा में सांस लेने का मौलिक अधिकार है। अगर संबंधित प्राधिकरण साफ हवा उपलब्ध कराने में सक्षम नहीं हैं, तो उन्हें प्रदूषण की गंभीर स्थिति को देखते हुए कुछ समय के लिए ही सही, एयर प्यूरीफायर पर जीएसटी में छूट देनी चाहिए। कोर्ट ने कहा कि कम से कम इतना तो सरकार कर ही सकती है। न्यायालय ने यह भी टिप्पणी की कि दिल्ली और एनसीआर क्षेत्र में हालात किसी इमरजेंसी से कम नहीं हैं।
कम से कम एक महीने के लिए जीएसटी हटाने का सुझाव
सुनवाई के दौरान कोर्ट ने सुझाव दिया कि कम से कम एक सप्ताह या एक महीने के लिए ही एयर प्यूरीफायर पर लगने वाली जीएसटी को हटाया जा सकता है। कोर्ट ने कहा कि एक व्यक्ति औसतन 21 हजार बार सांस लेता है और यदि यह सांस प्रदूषित हवा में ली जाए, तो इसके दुष्परिणाम कितने गंभीर हो सकते हैं, इसकी कल्पना की जा सकती है।
इस पर सरकारी वकील ने अदालत को बताया कि इस मुद्दे पर विचार किया जा रहा है और समय रहते फैसला ले लिया जाएगा। हालांकि, कोर्ट ने इस जवाब पर नाराजगी जाहिर करते हुए पूछा कि ‘समय रहते’ का क्या अर्थ है। अदालत ने कहा कि जब हजारों लोग प्रदूषण के कारण अपनी जान गंवा रहे हैं, तब फैसला लेने में इतना समय क्यों लगाया जा रहा है।
याचिका में क्या है मांग
याचिका में एयर प्यूरीफायर को मेडिकल डिवाइस घोषित करने की भी मांग की गई है। इसके साथ ही एयर प्यूरीफायर पर मौजूदा 18 प्रतिशत जीएसटी को घटाकर 5 प्रतिशत करने की अपील की गई है, जैसा कि अन्य मेडिकल उपकरणों पर लागू होता है। इस मामले में अदालत की टिप्पणियों के बाद अब सरकार की ओर से लिए जाने वाले फैसले पर सभी की नजरें टिकी हुई हैं।
