आम आदमी को खुश करने के लिए Income Tax खत्म करना चाहती थी BJP, जानिए क्यों नहीं हो सका ऐसा

punjabkesari.in Wednesday, Jul 17, 2024 - 03:53 PM (IST)

नेशनल डेस्क : केंद्रीय बजट 2024-25 के लिए बजट तैयार करने की प्रक्रिया का अंतिम चरण मंगलवार को यहां वित्त मंत्रालय (नॉर्थ ब्लॉक) में केंद्रीय वित्त और कॉर्पोरेट मामलों की मंत्री ) निर्मला सीतारमण  की उपस्थिति में पारंपरिक हलवा सेरेमनी (Halwa Ceremony) शुरू हुआ। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 23 जुलाई को केंद्रीय बजट पेश करेंगी। बजट से पहले टैक्स सुधारों की चर्चा जोर पकड़ रही है। आपको बता दें कि साल 2014 के लोकसभा चुनाव से पहले, भारतीय जनता पार्टी एक बड़ा टैक्स सुधार लाने की योजना बना रही थी। पार्टी की योजना थी कि इनकम टैक्स, सेल्स टैक्स और एक्साइज टैक्स को खत्म कर दिया जाए, जिससे मिडिल क्लास और शहरी वोटर्स को आकर्षित किया जा सके। हालांकि, पार्टी के अंदर एक धड़ा इस प्रस्ताव से सहमत नहीं था और इस वजह से इसे ठंडे बस्ते में डाल दिया गया।

BJP ने पहली बार TAX खत्म करने की इच्छा व्यक्त की
10 दिसंबर 2013 को, भाजपा ने पहली बार इनकम टैक्स, सेल्स टैक्स और एक्साइज टैक्स खत्म करने की इच्छा व्यक्त की थी। पार्टी इसे 2014 के लोकसभा चुनाव के लिए अपने विजन डॉक्यूमेंट में शामिल करना चाहती थी। नितिन गडकरी विजन डॉक्यूमेंट तैयार करने वाली टीम की अध्यक्षता कर रहे थे। उन्होंने कहा था कि टैक्स सुधार पर चर्चा चल रही है, लेकिन अभी तक कोई निर्णय नहीं लिया गया है। उनके अनुसार, एक प्रेजेंटेशन में इनकम, सेल्स और एक्साइज टैक्स को खत्म करने का प्रस्ताव आया था।

पार्टी के साथ आम लोगों की राय भी मांगी गई है
25 दिसंबर 2013 को, नितिन गडकरी ने ट्रेडर्स के साथ एक बैठक में इस प्रस्ताव पर चर्चा की। उन्होंने बताया कि पार्टी कई टैक्सेज को खत्म करना चाहती है ताकि ब्लैक मनी और इंस्पेक्टर राज की समस्या से निपटा जा सके। उन्होंने कहा कि बैंक ट्रांजैक्शंस पर 'ट्रांजैक्शन टैक्स' के जरिए राजस्व में कई गुना बढ़ोतरी हो सकती है। साथ ही बताया कि इस प्रस्ताव पर पार्टी के अंदर विचार-विमर्श चल रहा है और आम लोगों की राय भी मांगी गई है, जिसमें करीब 10,000 सुझाव मिले हैं।

थिंक टैंक 'अर्थ क्रांति' का आइडिया था
बीजेपी का यह टैक्स सुधार प्रस्ताव पुणे बेस्ड थिंक टैंक 'अर्थ क्रांति' का आइडिया था। इस आइडिया को बीजेपी के कई नेताओं ने समर्थन दिया, जिसमें सुब्रमण्यम स्वामी और नितिन गडकरी शामिल थे। अर्थ क्रांति ने 2 जनवरी 2014 को यह आइडिया एक प्रेजेंटेशन के रूप में बीजेपी के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी, राजनाथ सिंह, सुषमा स्वराज, अरुण जेटली, यशवंत सिन्हा और नितिन गडकरी के सामने रखा।

PM मोदी इतने कठोर विचार से सहमत नहीं थे
नितिन गडकरी का तर्क था कि बैंक लेनदेन पर टैक्स लगाने से इनकम टैक्स को समाप्त करने के बाद होने वाले राजस्व नुकसान की भरपाई हो सकती है। उन्होंने कहा कि अगर हम व्यय या लेनदेन पर 1 या 1.5 प्रतिशत टैक्स लगाते हैं, तो हमें 40 लाख करोड़ रुपये का राजस्व मिल सकता है। दूसरी तरफ, अरुण जेटली और यशवंत सिन्हा ने इसका विरोध किया। जेटली ने कहा कि इससे गरीबों पर अनावश्यक टैक्स का बोझ पड़ेगा और सिन्हा ने कहा कि इससे भारत की टैक्स व्यवस्था दशकों पीछे चली जाएगी।

उस समय बीजेपी के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी भी इतने कठोर विचार से सहमत नहीं थे। हालांकि, वह टैक्स सुधार की बात कर रहे थे। 15 जनवरी 2014 आते-आते बीजेपी को अपना आइडिया ड्राप करना पड़ा। 2014 में बीजेपी सत्ता में आई और तब से लगातार जीतती आ रही है। टैक्स रिफॉर्म को लेकर कई प्रस्तावों पर विचार भी हुआ, लेकिन किसी पर बात आगे नहीं बढ़ पाई।

 



 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 


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Content Editor

Utsav Singh

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