कैप्टन पर है भाजपा की नजर, देखना है कि आगे होता है क्या?

punjabkesari.in Saturday, Sep 18, 2021 - 06:01 PM (IST)

नई दिल्लीः पंजाब में मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू के बीच चल रही कलह के दौरान भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की नज़र कैप्टन पर रही और अब उनके मुख्यमंत्री पद से इस्तीफ़ा दे देने के बाद इस प्रयास का असर जल्द ही दिखाई देने के कयास लगाये जाने लगे हैं। राजनीतिक हलकों में चर्चा है कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने कैप्टन अमरिन्दर सिंह को भाजपा में शामिल करने के लिए हरी झंडी दे दी है, अब इस पर फ़ैसला कैप्टन को करना है। भाजपा नेता सैयद जफर इस्लाम ने पंजाब के आज के घटनाक्रम पर कहा,‘‘ कैप्टन अमरिन्दर सिंह राष्ट्रवादी नेता हैं और आगे-आगे देखिये होता है क्या?'' भाजपा सूत्रों का कहना है कि इस मसले पर काफी समय से मंथन चल रहा था और पार्टी के कई नेता कैप्टन के साथ लगातार संपर्क में रहे हैं।

संघ ने संकेत दिया है कि कैप्टन के लिए उसके दरवाज़े खुले हुए हैं। संघ और भाजपा का मानना रहा है कि यदि कैप्टन अमरिंदर सिंह को सम्मान दिये जाने का भरोसा दिलाया जाए तो वह कांग्रेस छोड़ सकते हैं। संघ का मानना है कि यह वक्त भाजपा को सिर्फ अपने राजनीतिक फायदे को नहीं देखना है, बल्कि ध्यान इस पर रखना है कि कैप्टन जैसी राष्ट्रवादी ताकतों के साथ आने से उनके मिशन को ज़्यादा मजबूती मिल सकेगी। किसानों के आंदोलन के मसले पर अकाली दल के भाजपा से अलग हो जाने और कांग्रेस में ‘सिद्धू बनाम कैप्टन' की राजनीतिक जंग के बाद से ही इस पर सलाह-मशविरा और राजनीतिक कोशिशें चल रही हैं।

संघ कैप्टन अमरिंदर सिंह के फौजी इतिहास और उनके पटियाला राजघराने से रिश्ते को अहम मानता है और मध्यप्रदेश के ग्वालियर के सिंधिया घराने की तरह का सम्मान देता है। संघ कैप्टन अमरिंदर को राष्ट्रवादी ताकतों में जोड़ कर देखता है, इसलिए उसने अपनी तरफ से साफ कर दिया है कि उसे कैप्टन को भाजपा के साथ जोड़ने में कोई परेशानी नहीं है, लेकिन अंतिम फ़ैसला भाजपा नेताओं और कैप्टन को करना है। राजनीतिक जानकारों का कहना है कि पंजाब में भाजपा का कोई खास प्रभाव फिलहाल नहीं है और वह हमेशा अकाली दल के साथ अपनी गाड़ी को आगे बढ़ाती रही है।

संघ, पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी और पूर्व उप प्रधानमंत्री लाल कृष्ण आडवाणी के अकाली दल नेता सरदार प्रकाश सिंह बादल से अच्छे रिश्ते रहे हैं और दोनों दल कांग्रेस विरोधी राजनीति की वजह से लंबे समय तक साथ चलते रहे। साल 2017 के विधानसभा चुनावों और फिर 2019 के लोकसभा चुनावों में भी अकाली दल के खराब प्रदर्शन के बावजूद भाजपा ने रिश्ता नहीं तोड़ा, इसकी एक बड़ी वजह संघ का अकाली दल को साथ रखने पर ज़ोर था, लेकिन जब कृषि विधेयकों के विरोध में अकाली दल के वरिष्ठ नेता सुखविंदर सिंह की पत्नी हरसिमरत कौर ने मोदी सरकार से इस्तीफ़ा दे दिया और समर्थन वापस ले लिया तो फिर अलग-अलग रास्ते पर जाना ही पड़ा। संघ को लगता है कि कैप्टन अमरिन्दर सिंह के किसी भी तरह से जुड़ने से भाजपा को पंजाब में अपने पांव मजबूत करने मे मदद तो मिलेगी ही, इससे कांग्रेस को वहां कमजोर करना भी आसान होगा।


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Content Writer

Yaspal

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