महाराष्ट्र में अजित पवार के साथ रिश्ता खत्म कर सकती है बीजेपी, RSS भी जता चुका है नाराजगी

punjabkesari.in Thursday, Jun 13, 2024 - 03:56 PM (IST)

नेशनल डेस्क: भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) अजित पवार के नेतृत्व वाली एनसीपी के साथ संबंध तोड़ सकती है। एक रिपोर्ट की मानें तो बीजेपी आगामी महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में सीएम एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना के साथ मिलकर लड़ सकती है। अजित पवार ने जहां एक ओर 80 सीटों की मांग की है तो वहीं दूसरी तरफ बीजेपा का बड़ा गुट अजित को महायुति में रखने का पक्षधर नहीं है। 

एनसीपी के साथ गठबंधन महाराष्ट्र में हार का कारण
यह बात तब सामने आई है जब आरएसएस के मुखपत्र में एक लेख में कहा गया था कि उपमुख्यमंत्री अजित पवार के नेतृत्व वाली एनसीपी के साथ गठबंधन महाराष्ट्र में भाजपा की लोकसभा चुनाव में हार का एक कारण था। हाल ही में संपन्न लोकसभा चुनाव 2024 में विपक्षी महा विकास अघाड़ी (एमवीए) ने महाराष्ट्र की 48 में से 30 सीटें जीतीं। एनडीए का हिस्सा सत्तारूढ़ महायुति को सिर्फ 17 सीटें मिलीं। 2019 में एनडीए ने महाराष्ट्र की 48 में से 43 सीटें जीती थीं, जबकि तत्कालीन यूपीए ने शेष पांच सीटें हासिल की थीं। यद्यपि मतदाताओं ने लोकसभा और विधानसभा चुनावों में अलग-अलग तरीके से चुनाव किया, लेकिन लोकसभा चुनाव के परिणाम का इन दोनों राज्यों में होने वाले आगामी विधानसभा चुनावों पर असर पड़ेगा। 
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घोटालों से जुड़े होने के कारण अजित पवार के विरोधी हैं
एक रिपोर्ट में एक वरिष्ठ भाजपा नेता के हवाले से कहा गया है, "आरएसएस-भाजपा कार्यकर्ताओं को पवार विरोधी नारे पर तैयार किया जा रहा है। सिंचाई और महाराष्ट्र राज्य सहकारी बैंक घोटालों से जुड़े होने के कारण वे अजित पवार के विरोधी हैं। लेकिन जूनियर पवार के भाजपा से हाथ मिलाने के बाद पवार विरोधी बयान पीछे छूट गया। घाव पर नमक छिड़कते हुए उन्हें महायुति सरकार में उपमुख्यमंत्री बना दिया गया।''

एनसीपी ने भाजपा के प्रस्ताव को ठुकरा दिया
रविवार को मोदी सरकार के तीसरे कार्यकाल के शपथ ग्रहण से कुछ घंटे पहले राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) ने पार्टी नेता प्रफुल्ल पटेल को नई सरकार में स्वतंत्र प्रभार वाला राज्य मंत्री बनाने के भाजपा के प्रस्ताव को ठुकरा दिया। एनसीपी के अजित पवार गुट के सदस्य पटेल ने कहा कि राज्य मंत्री का पद स्वीकार करना उनके लिए एक तरह से पदावनत करने जैसा होगा क्योंकि वह पहले भी कैबिनेट मंत्री रह चुके हैं।
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प्रचार को तैयार नहीं थे RSS-BJP कार्यकर्ता 
भाजपा नेता ने कहा, "लोकसभा चुनावों में यह स्पष्ट था कि आरएसएस-भाजपा कार्यकर्ता एनसीपी उम्मीदवारों के लिए प्रचार करने के लिए तैयार नहीं थे और कई जगहों पर वे उदासीन बने रहे।नतीजतन, 2019 में भाजपा की सीटों की संख्या 23 से घटकर 2024 में नौ रह गई।" आम चुनावों में एनसीपी का अजित पवार गुट पांच सीटों पर चुनाव लड़कर केवल एक सीट - रायगर - ही जीत सका था। 

भाजपा की ब्रांड वैल्यू कम हो गई - आरएसएस
आरएसएस के मुखपत्र ऑर्गनाइजर में छपे लेख में आजीवन आरएसएस कार्यकर्ता रतन शारदा ने लिखा कि अजित पवार के साथ गठबंधन करने से “भाजपा की ब्रांड वैल्यू” कम ​​हो गई और यह “बिना किसी अंतर वाली एक और पार्टी” बन गई।
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समझौता न करने का क्या असर होगा?
रिपोर्ट के अनुसार, सूत्रों ने बताया कि भाजपा नेतृत्व इस बात पर विचार कर रहा है कि इस साल के अंत में होने वाले विधानसभा चुनावों में अजित के साथ कोई समझौता न करने का क्या असर होगा। अगर यह सच है, तो यह कदम अजित पवार के लिए एक झटका हो सकता है, जो लोकसभा में हार के बाद अनिश्चित राजनीतिक भविष्य की ओर देख रहे हैं। महाराष्ट्र में सत्तारूढ़ गठबंधन का हिस्सा होने और अपने चाचा शरद पवार से मूल पार्टी का नाम और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) का चुनाव चिन्ह हासिल करने के बावजूद ऐसा हुआ है।

 


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Content Editor

rajesh kumar

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