2000 से ज्यादा पक्षियों की मौत... इस बीमारी का फैला कहर
punjabkesari.in Wednesday, Oct 29, 2025 - 09:14 PM (IST)
नेशनल डेस्क: जर्मनी की राजधानी बर्लिन के पास स्थित लिनम गांव, जो कभी पक्षी प्रेमियों का स्वर्ग कहा जाता था, इस बार पक्षी फ्लू की चपेट में आ गया है। गर्मियों में जहां यहां स्ट्रॉक्स (सारस) के घोंसले सजते थे, वहीं अब चारों ओर मृत क्रेनों (क्रेन पक्षियों) के शव बिखरे पड़े हैं।
2000 से ज्यादा क्रेनों की मौत, दृश्य दर्दनाक
हाल के दिनों में 2000 से अधिक क्रेनों के शव तालाबों और खेतों में पाए गए हैं। वॉलंटियर्स फुल प्रोटेक्टिव सूट पहनकर इन शवों को पानी से निकाल रहे हैं- एक ऐसा दृश्य जो किसी को भी विचलित कर दे। फ्रेडरिक लॉफलर इंस्टीट्यूट, जो जर्मनी का प्रमुख पशु स्वास्थ्य विभाग है, ने बताया कि कम से कम 30 स्थानों पर बर्ड फ्लू के आउटब्रेक दर्ज किए गए हैं।
अब तक मुर्गी, बत्तख, हंस और टर्की के 5 लाख से ज्यादा पक्षियों को मारना पड़ा है ताकि संक्रमण न फैले। विशेषज्ञों का कहना है कि क्रेनों पर इतनी बड़ी तबाही पहले कभी नहीं देखी गई।
‘पहली बार ऐसा विनाश’- विशेषज्ञों की चिंता
जर्मन पक्षी विशेषज्ञ नॉर्बर्ट श्नीवाइस के अनुसार, इस माइग्रेशन रूट पर क्रेनों में ऐसी तबाही पहली बार देखी गई है। उन्होंने कहा “दो साल पहले हंगरी में कुछ इसी तरह के मामले सामने आए थे, लेकिन इतनी बड़ी संख्या में मौतें कभी नहीं हुईं”। संक्रमण का स्रोत अब तक स्पष्ट नहीं है, लेकिन माना जा रहा है कि यह जंगली पक्षियों से घरेलू पोल्ट्री तक फैल गया।
तालाबों में तैरते शव, रुकी उड़ानें
लिनम के खेतों और झीलों में अब क्रेनों के शव तैरते नजर आते हैं। कुछ पक्षी इतने बीमार हो चुके हैं कि उड़ नहीं पा रहे- वे जमीन पर लड़खड़ाकर गिर रहे हैं। ऊपर आसमान में जहां कुछ स्वस्थ क्रेनें उड़ान भर रही हैं, वहीं नीचे मौत का सन्नाटा पसरा है।
श्नीवाइस बताते हैं, “हम सिर्फ शव हटा सकते हैं। हमने पानी का बहाव रोक दिया है ताकि जगह पक्षियों के लिए कम आकर्षक बने, लेकिन मध्य यूरोप में ऐसे रेस्टिंग स्पॉट बहुत कम हैं।”
टूर रद्द, गांव में सन्नाटा
हर साल हजारों पर्यटक लिनम आते थे- शाम के समय उड़ती क्रेनों का नज़ारा देखने। लेकिन अब सारे टूर रद्द कर दिए गए हैं। हालांकि हालात अब कुछ हद तक काबू में नजर आ रहे हैं- नई मौतों की संख्या घट रही है और कुछ पक्षी स्वस्थ हैं।
वॉलंटियर्स की थकान और उदासी
वॉलंटियर लारा वाइनमैन बताती हैं, “हम जानते हैं कि ये काम संरक्षण के लिए जरूरी है, लेकिन जब इतने सुंदर पक्षी मरते हुए दिखते हैं, तो मन बेहद उदास हो जाता है।”
वायरस का बदलता रूप, वैज्ञानिकों में चिंता
विशेषज्ञों का कहना है कि अब यह वायरस सिर्फ पक्षियों तक सीमित नहीं रहा। यह कुछ स्तनधारी जीवों में भी पाया गया है, जिससे खतरा और बढ़ गया है। वैज्ञानिकों को आशंका है कि अगर वायरस ने रूप बदला, तो यह इंसानों में आसानी से फैल सकता है- और यह पूरी दुनिया के लिए चिंता का विषय है।
