पुलिस को दोषी के जैविक नमूने एकत्र करने की अनुमति देने वाले विधेयक पर चिंदबरम ने उठाए सवाल, जानें क्या बोले?

punjabkesari.in Wednesday, Apr 06, 2022 - 08:25 PM (IST)

नेशनल डेस्क: कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी चिदंबरम ने पुलिस को अपराध के दोषियों और आरोपियों के जैविक तथा शारीरिक नमूने लेने की कानूनी मंजूरी देने के प्रावधान वाले विधेयक को राज्यसभा में बुधवार को ‘‘असंवैधानिक'' करार दिया। उच्च सदन में ‘दंड प्रक्रिया (शिनाख्त) विधेयक, 2022' पर चर्चा की शुरुआत करते हुए कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी चिदंबरम ने कहा कि विधेयक के प्रावधानों का दुरुपयोग किया जा सकता है क्योंकि पुलिस उन लोगों के भी फिंगरप्रिंट और डीएनए नमूने ले सकती है जो राजनीतिक रैलियों में हिस्सा लेते हैं। गृह मंत्री अमित शाह ने इस विधेयक को चर्चा के लिए उच्च सदन में पेश किया।

क्या उन्होंने कभी किसी कानून का उल्लंघन नहीं किया ?
चिदंबरम ने विधेयक को और अधिक विचार विमर्श के लिए प्रवर समिति में या स्थायी समिति में भेजे जाने की मांक करते हुए कहा ‘‘क्या सदन में ऐसा कोई है जिसने कानून का उल्लंघन नहीं किया हो? मैं, लंबे राजनीतिक करियर वाले माननीय गृह मंत्री से पूछता हूं कि क्या उन्होंने कभी किसी कानून का उल्लंघन नहीं किया ? अगर यह आप ऐसे अपराध के दोषी पाए जाते हैं जिसमें जुर्माना 100 रुपये है तो यह कानून लागू होगा।'' उन्होंने दावा किया कि इसका सर्वाधिक खामियाजा ‘‘दमन का शिकार हुए लोगों और गरीबों को उठाना पड़ेगा।'' चिदंबरम ने विधेयक का विरोध करते हुए कहा ‘‘यह असंवैधानिक है, गैरकानूनी है। अगर इस विधेयक को हम पारित करते हैं तो हम खुद के साथ छल करते हैं। यह विधेयक एक बड़ा जाल है जो देश में किसी को भी लपेट सकता है। और आप जानते हैं कि इस तरह का कानून लागू होने पर क्या होता है। इसका सर्वाधिक प्रभाव दमन के शिकार, वंचित लोगों और गरीबों पर पड़ेगा।''

डीएनए प्रौद्योगिकी विधेयक 2019 से लंबित क्यों है
चिदंबरम ने कहा ‘‘यह विधेयक हाल में लोकसभा में पारित हुआ है। वहां लगभग सभी विपक्षी दलों ने इसे प्रवर समिति या स्थायी समिति में भेजे जाने की मांग की थी। वहां कई सुझाव दिए गए थे लेकिन एक भी सुझाव को नहीं माना गया और विधेयक को पारित कर दिया गया। '' पूर्व गृह मंत्री ने कहा कि इस तरह अगर विधेयक पेश किए गए और पारित किए गए तो इसका मतलब है कि हम हर दिन संविधान को तोड़ रहे हैं। उन्होंने प्रश्न किया कि 102 साल तक यदि इंतजार किया जा सकता है तो 102 दिन प्रतीक्षा कर विधेयक को प्रवर समिति अथवा स्थायी समिति में क्यों नहीं भेजा जा सकता ताकि इसमें मौजूद खामियों को दुरुस्त किया जा सके। पूर्व गृह मंत्री चिदंबरम ने कहा कि डीएनए प्रौद्योगिकी विधेयक 2019 से लंबित है, अगर इस विधेयक को लाया जा सकता है तो उस विधेयक को भी लाया जा सकता है। उन्होंने प्रश्न किया, ‘‘वह क्यों लंबित है ?''

विधेयक के विभिन्न प्रावधानों पर चिदंबरम ने चिंता जताई 
विधेयक के विभिन्न प्रावधानों पर चिंता जाहिर करते हुए चिदंबरम ने पूछा कि यह कैसे सुनिश्चित होगा कि आरोपी और दोषी के जैविक तथा शारीरिक नमूने लेने से उनकी आजादी तथा निजता का हनन नहीं होगा। उच्चतम न्यायालय के कुछ फैसलों का हवाला देते हुए चिदंबरम ने कहा ‘‘2010 से देश में नार्को विश्लेषण, पॉलीग्राफ टेस्ट तथा बीईएपी (ब्रेन इलेक्ट्रिकल एक्टिवेशन प्रोफाइल) टेस्ट को गैरकानूनी, असंवैधानिक घोषित किया जा चुका है। ये टेस्ट आजादी तथा निजता का हनन करते हैं।''

उन्होंने कहा कि विधेयक में यह स्पष्ट नहीं है कि शारीरिक तथा जैविक नमूनों के माप को कैसे परिभाषित किया जाएगा। उन्होने मांग की कि सरकार को स्पष्ट करना चाहिए कि नार्को विश्लेषण, पॉलीग्राफ टेस्ट तथा बीईएपी (ब्रेन इलेक्ट्रिकल एक्टिवेशन प्रोफाइल) टेस्ट को इसमें शामिल किया गया है या नहीं। पूर्व गृह मंत्री ने इस बात पर भी चिंता जताई कि प्रस्तावित कानून, किसी अन्य कानून के तहत दंडनीय अपराध के दोषी पर भी लोगू होगा और मामूली अपराध के आरोपियों पर भी। उन्होंने कहा कि इसमें कानून बनाने वाली एजेंसियों को भी परिभाषित नहीं किया गया है।

 


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Content Editor

rajesh kumar

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