Two Bank Merge: दो बड़े बैंक हुए एक - PNB की अहम भूमिका, ग्राहकों को क्या मिलेगा फायदा? जानें सब कुछ

punjabkesari.in Saturday, Sep 20, 2025 - 04:45 PM (IST)

नेशनल डेस्क:  अब बिहारवासियों को बैंकिंग के लिए इधर-उधर भटकने की ज़रूरत नहीं पड़ेगी। उत्तर बिहार ग्रामीण बैंक और दक्षिण बिहार ग्रामीण बैंक के विलय के बाद 'बिहार ग्रामीण बैंक' के नाम से एक नया और सशक्त बैंक सामने आया है, जिसे पंजाब नेशनल बैंक (PNB) प्रायोजित कर रहा है।

बैंकिंग के नए युग की शुरुआत
चौसा शाखा के शाखा प्रबंधक नवीन कुमार जायसवाल ने जानकारी दी कि इस विलय का मकसद न सिर्फ ग्रामीण बैंकिंग को एकीकृत और मजबूत बनाना है, बल्कि गांव-गांव तक आधुनिक डिजिटल बैंकिंग सेवाएं पहुंचाना भी है। 'एक राज्य, एक ग्रामीण बैंक' की नीति के तहत यह कदम उठाया गया है, जिससे पूरे बिहार में ग्रामीण बैंकिंग का संचालन सरल और सुविधाजनक हो जाएगा।

क्या होंगे इस बदलाव के फायदे?
-ग्राहकों को अब एकीकृत बैंकिंग सेवाएं मिलेंगी – चाहे वह खाता खोलना हो, ऋण लेना हो या डिजिटल ट्रांजेक्शन।
-UPI, Google Pay और PhonePe जैसी सेवाएं अब ग्रामीण बैंक ग्राहकों को भी मिलेंगी।
-किसानों, महिलाओं, स्वयं सहायता समूहों और जीविका दीदियों को ऋण लेने में अधिक सहूलियत होगी।
-बैंक का संचालन ज्यादा संगठित होगा जिससे ऋण वितरण और जमा राशि का लक्ष्य समय पर पूरा किया जा सकेगा।
-बैंक की पहुंच दूर-दराज़ गांवों तक बढ़ेगी जिससे ग्रामीण इलाकों का आर्थिक विकास तेजी से होगा।

 ग्रामीण विकास की ओर एक ठोस कदम
नवीन जायसवाल के अनुसार, यह समावेशन केवल बैंकिंग को एकजुट करने का काम नहीं करेगा, बल्कि इससे ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी। अब बिहार ग्रामीण बैंक भी किसी बड़े राष्ट्रीयकृत बैंक की तरह पूरी क्षमता से कार्य करेगा। डिजिटल बैंकिंग की सुविधा, जैसे कि ऑनलाइन पेमेंट, बैलेंस चेकिंग, और फंड ट्रांसफर अब हर ग्राहक के लिए सहज और सुलभ होंगे — चाहे वह शहर में हो या किसी सुदूर गांव में। 

अब कितना बड़ा है बिहार ग्रामीण बैंक?
इस विलय के बाद बिहार ग्रामीण बैंक राज्य का सबसे बड़ा ग्रामीण बैंक बन चुका है, जिसकी कुल 2100 से अधिक शाखाएं हैं। दोनों बैंकों को मिलाकर कुल 5.5 करोड़ से ज्यादा खाताधारक, और कुल ऋण वितरण 19,877 करोड़ रुपये तक पहुंच चुका है। वहीं, कुल जमा राशि 41,334 करोड़ रुपये से भी अधिक हो गई है। यह बैंक अब पंजाब नेशनल बैंक (PNB) द्वारा प्रायोजित है।

 लेकिन क्या हर चीज बेहतर होगी?
जहां एक ओर बैंकिंग सेवाओं के एकीकरण से डिजिटल बैंकिंग, यूपीआई, गूगल पे, फोनपे जैसी सुविधाएं ग्रामीण क्षेत्रों में भी उपलब्ध हो जाएंगी, वहीं कुछ संभावित चुनौतियां भी सामने आ रही हैं। बैंक यूनियन के राष्ट्रीय संयोजक डी.एन. त्रिवेदी का कहना है कि इस बदलाव से ग्राहकों को कुछ असुविधाएं झेलनी पड़ सकती हैं। उन्होंने चेतावनी दी कि:
तकनीकी अंतर: ग्रामीण बैंक की तकनीक अभी भी प्रायोजक बैंक (PNB) के स्तर की नहीं है। 
सेवाशर्तों का अंतर: ग्रामीण बैंककर्मियों की सुविधाएं और वेतन PNB के बराबर नहीं हैं, जिससे कर्मचारियों में असंतोष बढ़ रहा है। 
ग्राहकों की उलझन: विलय के बाद ग्राहकों को कई बार PNB से जुड़ना पड़ सकता है, जिससे ग्रामीण क्षेत्रों में भ्रम की स्थिति बन सकती है।

कर्मचारियों की संख्या पर भी असर?
बताया जा रहा है कि इस विलय के चलते कुछ कर्मचारी अपने करियर को लेकर चिंतित हैं। सेवाशर्तों में असमानता और पदोन्नति की धीमी प्रक्रिया से ग्रामीण बैंककर्मियों की संख्या में गिरावट आ सकती है।


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Content Writer

Anu Malhotra

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