सितंबर में आएगा जलजला, कहर बरपाएगी प्रकृति... बाबा वेंगा की 'जल प्रलय' वाली भविष्यवाणी हो रही सच!
punjabkesari.in Wednesday, Sep 03, 2025 - 06:08 AM (IST)

नेशनल डेस्कः 2025 का मानसून अब तक के इतिहास में असामान्य और अत्यधिक सक्रिय रहा है। इस बार बारिश की तीव्रता और आवृत्ति दोनों दोगुनी हो गई हैं, जिससे देश के कई हिस्सों में बाढ़, भूस्खलन और जनजीवन अस्थिर हो गया है। खासकर उत्तर भारत, पूर्वोत्तर, हिमालयी क्षेत्र और पंजाब में भारी तबाही देखने को मिली है।
मानसून की तेज़ी और तबाही
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इस साल मानसून सामान्य गति से कहीं ज्यादा तेज़ रहा है, जिससे उत्तर भारत से लेकर पूर्वोत्तर तक कई इलाकों में नदियाँ उफान पर हैं।
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हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, जम्मू-कश्मीर, अरुणाचल प्रदेश जैसे पहाड़ी राज्यों में लैंडस्लाइड और बादल फटने की घटनाओं ने भारी नुकसान पहुंचाया है। शिमला, बिलासपुर, सिरमौर, सोलन, ऊना में पहले ही रेड अलर्ट जारी हो चुका है।
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पंजाब में दशकों की सबसे भयानक बाढ़ ने भारी तबाही मचाई है। नदियों के उफान से नहरें टूट गईं, हजारों हेक्टेयर फसल बर्बाद हुई और लाखों लोग विस्थापित हो गए हैं।
IMD की चेतावनी: सितंबर में भारी बारिश
भारतीय मौसम विभाग (IMD) ने हाल ही में जारी अपने मासिक मौसम पूर्वानुमान में चेतावनी दी है कि सितंबर 2025 में सामान्य से लगभग 109% अधिक बारिश होने की संभावना है। इस महीने की औसत वर्षा 167.9 मिमी से ऊपर रह सकती है, जिससे बाढ़ और भूस्खलन के खतरे और बढ़ जाएंगे।
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IMD के महानिदेशक मृत्युंजय महापात्र ने बताया कि पिछले चार दशकों में सितंबर महीने में वर्षा की तीव्रता में बढ़ोतरी देखने को मिली है।
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अगस्त 2025 में उत्तर-पश्चिम भारत में रिकॉर्ड 265 मिमी बारिश दर्ज की गई, जो पिछले 100 वर्षों में सबसे ज्यादा है।
उत्तर भारत में आपदा की आशंका
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सितंबर में उत्तराखंड, हिमाचल, जम्मू-कश्मीर, हरियाणा, दिल्ली, राजस्थान के कई हिस्सों में भारी बारिश से भूस्खलन, फ्लैश फ्लड और बाढ़ की आशंका है।
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कई धार्मिक यात्राएं जैसे अमरनाथ और वैष्णो देवी यात्रा, जो इस क्षेत्र की जीवनधारा हैं, बारिश और भूस्खलन के कारण प्रभावित हो चुकी हैं।
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राज्य प्रशासन और केंद्र सरकार ने कई इलाकों में पहले ही रेड और ऑरेंज अलर्ट जारी किए हैं।
पश्चिमी विक्षोभ और मानसून की देरी
मौसम विशेषज्ञों का मानना है कि इस बार मानसून की सक्रियता का एक बड़ा कारण लगातार आ रहे पश्चिमी विक्षोभ हैं, जो मानसून की दिशा और गति को प्रभावित कर रहे हैं। इसके कारण मानसून की वापसी सितंबर में देर से होगी, जिससे सितंबर माह भी अत्यधिक वर्षा का गढ़ बन सकता है।
बाबा वेंगा की भविष्यवाणी: जल प्रलय का खतरा?
बाबा वेंगा की भविष्यवाणी में 2025 के अंत तक कई प्राकृतिक आपदाओं का संकेत दिया गया है, जिनमें भीषण सूखा, बाढ़, भूकंप और असामान्य तापमान वृद्धि शामिल हैं।
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हाल के महीनों में अफगानिस्तान में आए विनाशकारी भूकंप में 800 से अधिक लोग मारे गए।
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रूस में भी हाल ही में तेज भूकंप दर्ज हुआ है।
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बाबा वेंगा की पूर्वानुमानित घटनाओं में 9/11 हमला, चेरनोबिल परमाणु दुर्घटना, सोवियत संघ का विघटन, प्रिंसेस डायना की मौत और 2004 की सुनामी जैसी घटनाएं शामिल हैं, जो उनकी भविष्यवाणी की विश्वसनीयता बढ़ाती हैं।
क्या जल प्रलय का खतरा सच हो सकता है?
इस साल के रिकॉर्ड मानसून, भारी बारिश, बाढ़, और भू-स्खलन की घटनाओं के बीच बाबा वेंगा की जल प्रलय वाली भविष्यवाणी को लेकर चिंता बढ़ रही है। हालांकि वैज्ञानिक चेतावनी और तैयारी से इस संभावित आपदा को नियंत्रित किया जा सकता है।
तैयारी और सतर्कता ही बचाएगी जानें
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प्रशासन और आपदा प्रबंधन विभाग को त्वरित कार्रवाई के साथ-साथ जन जागरूकता पर भी ध्यान देना होगा।
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जल निकासी के बेहतर इंतजाम, सुरक्षित स्थानों पर लोगों का समय पर स्थानांतरण, और संपूर्ण सतर्कता जरूरी है।
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मौसम विभाग की ताज़ा रिपोर्ट्स पर लगातार नजर रखी जानी चाहिए।
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आम जनता को भी मौसम की स्थिति के अनुसार सावधानी बरतनी चाहिए, खासकर पहाड़ी क्षेत्रों में यात्रा से बचना चाहिए।