अयोध्‍या मामलेः CJI गोगोई ने परंपरा को तोड़ तीन जजों की बेंच के फैसले को पलटा

punjabkesari.in Wednesday, Jan 09, 2019 - 07:28 PM (IST)

नेशनल डेस्कः भारत के प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई का विवादित आयोध्या राम जन्मभूमि-बाबरी मामले में संवैधानिक पीठ बनाने का फैसला काफी चौंकाने है। साथ ही यह फैसला अपनी तरह का पहला है। सुप्रीम कोर्ट में ऐसा पहले कभी नहीं हुआ, जब मुख्य न्यायाधीश के प्रशासनिक आदेश पर एक संवैधानिक पीठ का गठन हुआ है और इसके लिए न तो किसी छोटी बैंच ने सलाह दी और न ही ऐसे सवाल सामने आए,जिससे कि इस तरह की बेंच की जरूरत महसूस हो।
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जस्टिस गोगोई का आदेश इसलिए भी अनूठा है, क्योंकि इससे इसी मामले में तीन जजों की बैंच के उस आदेश को भी रद्द कर दिया, जिसमें संवैधानिक पीठ की मांग को खारिज किया गया था। सुप्रीम कोर्ट रजिस्ट्री ने मंगलवार शाम को एक नोटिस जारी किया। इसमें कहा गया कि राम जन्मभूमि मामले की सुनवाई 10 जनवरी से पांच जजों की संवैधानिक पीठ करेगी। पीठ में मुख्यन्यायाधीश गोगोई, जस्टिस एस बोबडे, जस्टिस एनवी रमना, जस्टिस यू यू ललित और जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ शामिल होंगे।
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पिछले साल सितंबर में तीन जजों की बैंच ने अपने आदेश में कहा था कि राम जन्मभूमि-बाबरी मामले को संवैधानिक पीठ को भेजे जाने की कोई जरूरत नहीं है। 2-1 के फैसले में कहा गया था कि इस मामले को पूरी तरह से जमीन विवाद की तरह सुना जाएगा। इसी प्रकार से यह मामला मुख्य न्यायाधीश गोगोई की अध्यक्षता वाली बैंच के सामने दो बार आया था।
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सुप्रीम कोर्ट के नियम 2013 के तहत चीफ जस्टिस के पास यह अधिकार होता है कि वह किसी भी मामले, अपील की सुनवाई के लिए दो या इससे ज्यादा जजों की बैंच बना सकते हैं। सुप्रीम कोर्ट की हैंडबुक में यह भी कहा गया है कि किसी भी मामले की सुनवाई के लिए पांच या इससे ज्यादा जजों की बैंच बनाने का अधिकार चीफ जस्टिस के पास होता है। लेकिन अभी तक किसी मुख्य न्यायाधीश ने अपनी इस ताकत का इस तरह से उपयोग नहीं किया था, जबकि संवैधानिक पीठ की मांग को ठुकरा दिया गया हो।  


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Yaspal

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