केदारनाथ धाम के पास चोराबाड़ी ग्लेशियर में हिमस्खलन, 2013 में यहीं टूटी थी झील; क्या डरने वाली बात
punjabkesari.in Friday, Sep 05, 2025 - 12:08 AM (IST)

नेशनल डेस्कः पवित्र केदारनाथ मंदिर के पास चोराबाड़ी ग्लेशियर क्षेत्र में गुरुवार दोपहर एक बार फिर हिमस्खलन (Avalanche) की घटना हुई। यह हिमस्खलन दोपहर करीब 2:30 बजे हुआ और बर्फ का गुबार लगभग पांच मिनट तक ऊपरी हिमालय क्षेत्र में छाया रहा।हालांकि राहत की बात यह है कि इस घटना से केदारनाथ मंदिर, तीर्थ यात्रियों या स्थानीय लोगों को कोई नुकसान नहीं हुआ है। प्रशासन और आपदा प्रबंधन विभाग ने इसे सामान्य भौगोलिक घटना बताते हुए लोगों से घबराने की जरूरत नहीं कहा है।
घटना का स्थान और कारण
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हिमस्खलन केदारनाथ से लगभग 6 किलोमीटर ऊपर स्थित चोराबाड़ी ग्लेशियर के ऊपरी हिस्से में हुआ।
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पिछले कई दिनों से निचले इलाकों में लगातार बारिश और ऊपरी क्षेत्र में बर्फबारी हो रही थी।
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इससे नई बर्फ जमा हो गई थी, जिससे पुरानी बर्फ का संतुलन बिगड़ा और वह खिसककर नीचे खाई में गिर गई।
घटना का दृश्य मोबाइल में कैद
घटना के समय मौजूद तीर्थयात्रियों और स्थानीय लोगों ने बर्फ के गुबार को मोबाइल कैमरे में कैद किया। वीडियो में ऊंचे पहाड़ों से भारी मात्रा में बर्फ नीचे गिरती और धूल व धुंध उड़ती दिखाई देती है।
प्रशासन की प्रतिक्रिया और अलर्ट
रुद्रप्रयाग जिला आपदा प्रबंधन अधिकारी नंदन सिंह रजवार ने कहा: "यह उच्च हिमालयी क्षेत्र की सामान्य भौगोलिक प्रक्रिया है। चोराबाड़ी और कंपेनियन ग्लेशियर में इस तरह की घटनाएं सामान्य रूप से होती रहती हैं।" प्रशासन की ओर से बचाव और राहत दलों को अलर्ट मोड पर रखा गया है। विशेषज्ञों की टीम को भी मौके की स्थिति का तुरंत आकलन करने के लिए भेजा गया है। उन्होंने लोगों से अपील की कि भ्रम फैलाने वाली अफवाहों से बचें और सत्यापित जानकारी पर ही भरोसा करें।
पहले भी हो चुकी हैं ऐसी घटनाएं
जून 2023 में भी चोराबाड़ी ग्लेशियर में एक हफ्ते में पांच बार हिमस्खलन हुआ था। उस समय वाडिया हिमालय भूविज्ञान संस्थान की टीम ने हवाई और पैदल निरीक्षण कर यह निष्कर्ष निकाला था कि: हिमस्खलन से केदारनाथ को कोई सीधा खतरा नहीं है। लेकिन हिमस्खलन की बढ़ती आवृत्ति को देखते हुए निगरानी और अलर्ट सिस्टम मजबूत करना जरूरी है।
क्या है चोराबाड़ी ग्लेशियर और इसका महत्व?
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चोराबाड़ी ग्लेशियर, जिसे पहले गांधी सरोवर क्षेत्र भी कहा जाता था, केदारनाथ मंदिर से कुछ ही दूरी पर स्थित है।
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यही ग्लेशियर 2013 की केदारनाथ त्रासदी में प्रमुख कारणों में से एक बना था, जब एक झील फटने से भारी तबाही हुई थी।
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इस क्षेत्र में लगातार हिमस्खलन और ग्लेशियर बदलावों की वैज्ञानिक निगरानी जरूरी मानी जाती है।