यहां धूम्रपान करना पड़ सकता है महंगा!

punjabkesari.in Monday, Jun 01, 2015 - 05:19 PM (IST)

लगवैली (कुल्लू): धूम्रपान एक ऐसी बुरार्इ है, जो व्यकित को समय से पहले ही मौत के मुंह तक ले जाती है। ध्रूमपान के जरिए लोग तम्बाकू जैसे जहरीले पदार्थ का सेवन करते हैं।


आपको बता दें कि हिमाचल प्रदेश में कई जिले ऐसे है जिनकी अपनी परंपरा होती  है। ऐसी ही एक अनूठी परंपरा कुल्लू जिला मुख्यालय सटी लगवैली में है। यहां धूम्रपान करना लोगों को महंगा पड़ जाता है। दरअसल उन लोगों का धूम्रपान करने पर हुक्का पानी बंद किया जाता है। उस व्यक्ति से सभी रिश्ते तोड़ दिए जाते  है और कोई उससे बात नहीं करता। यही कारण है कि आज भी इस घाटी के 90 प्रतिशत लोग धूम्रपान करने से डरते है। भले ही अब सरकार ने सार्वजिनक स्थलों में धूम्रपान पर पूर्णत: प्रतिबंध लगा दिया है लेकिन घाटी में धूम्रपान नहीं करने की परंपरा सदियों से चली आ रही है।


दर्जनों गांवों में परंपरा
लगवैली में अगर कोई धम्रपान करता है तो उसे लोग सामाजिक तौर पर अपने  से अलग कर देते हैं। उसके साथ किसी भी तरह का मेल मिलाप नहीं रखा जाता। राज्य के कुल्लू जिले के लगघाटी के दर्जनों गांवों में धूम्रपान नहीं करने की परंपरा को देव आदेशों से भी जोड़ते हैं और गांव में धूम्रपान करना तो दूर इससे संबंधित सामग्री भी गांव के अंदर नहीं ले जाते। अन्यथा उन्हें कठोर देव दंड भी भुगतना पड़ता है।


कहां-कहां है प्रतिबंध
22 हजार से अधिक की आबादी वाली लगघाटी के जठाणी, त्यूण, पिछला ग्रामंग, खोपरी, खारका, कशामटी, फलाण, हलाण, जिंदी, लियाणी, मशगां, थाच, भलियाणी, मढग्रां व भुमतीर गांवों में धूम्रपान वर्जित है।


देव श्राप के कारण सेवन वर्जित

कहा जाता है कि लगघाटी के फलाणी नारायण देवता पर शत्रुओं ने आक्रमण किया। आक्रमण से बचने के लिए देवता ने मधुमक्खी का रूप धारण किया और तंबाकू के फूल में छुप गए। तब तंबाकू के पेड़ से फलाणी नारायण ने कहा था कि अगर आक्रमणकारी उनके बारे में पूछें तो कुछ मत बताना। परंतु फलाणी नारायण ने तंबाकू के पौधे को हिलने के कारण श्राप दे दिया कि जहां मुझे देवता माना जाता है वहां तंबाकू का सेवन नहीं होगा।


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