वीर सांघवी की किताब में हुआ खुलासा

punjabkesari.in Monday, Mar 02, 2015 - 03:51 AM (IST)

राहुल ने खुद को साबित करने में बहुत समय लिया
नई दिल्ली (प.स.): कांग्रेस में राहुल गांधी की भावी भूमिका को लेकर छिड़ी बहस के बीच एक नई किताब में कहा गया है कि युवा नेता ने ‘खुद को साबित करने में बहुत समय लिया’ और वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में उनका प्रचार अभियान हालिया समय का ‘सर्वाधिक खराब’ अभियान था।

वरिष्ठ पत्रकार वीर सांघवी की जल्द ही आ रही नई पुस्तक ‘मैंडेट: विल ऑफ द पीपुल’ में हाल ही के राजनीतिक इतिहास की कई घटनाओं का जिक्र है। इसमें साल 2004 में सोनिया गांधी के प्रधानमंत्री बनने से इंकार करने और बड़े मुद्दों पर राहुल गांधी के दुविधा में रहने की प्रवृत्ति के चलते परिदृश्य में भाजपा के उभरने का मार्ग प्रशस्त होने जैसी घटनाओं पर रोशनी डाली गई है।

लेखक का कहना है कि राहुल ने ‘खुद को साबित करने में बहुत लंबा समय’ लिया और जब वह सामने आए तो यह स्पष्ट नहीं था कि वह तत्कालीन मनमोहन सिंह सरकार के पक्ष में थे अथवा खिलाफ?’’ सांघवी लिखते हैं, ‘‘प्रैस से दूरी बनाए रखते हुए और प्रमुख मुद्दों पर अपने नजरिए को हमसे सांझा करने से इंकार करने वाले राहुल ने अपने पहले साक्षात्कार में राजनीतिक आत्महत्या कर ली।’’

पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को लेकर सांघवी लिखते हैं, ‘‘उन्हें हर उस पैमाने पर परखा गया जो उन्होंने वर्ष 2009 में अपने लिए तय किए थे। मनमोहन एक त्रासदी रहे। पहले शानदार कार्यकाल के बाद उन्होंने भारतीय इतिहास में सबसे खराब प्रधानमंत्री के तौर पर अपनी पारी खत्म की।’’

सांघवी ने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को एक ‘रहस्य’ करार दिया है। लेखक ने लिखा है, ‘‘वह बेहद निजी जीवन से निकलकर कांग्रेस को उबारने के लिए आई थीं और 2 चुनावों (2004 एवं 2009) में कांग्रेस की जीत की अगुवाई की। जब यह सब कुछ हो रहा था तो वह कहां थीं? उनका राजनीतिक सहज ज्ञान कहां था? क्या उन्हें यह नहीं दिख रहा था कि कांग्रेस विनाश की ओर बढ़ रही है?’’ उन्होंने कहा, ‘‘इन सवालों का जवाब वास्तव में कोई नहीं जानता है।’’ सांघवी के अनुसार सोनिया के लिए यही सही होता कि वह यू.पी.ए.-2 के शासनकाल के बीच में ही प्रधानमंत्री को बदलने की पार्टी की मांग को स्वीकार करलेतीं।

इस पुस्तक में आपातकाल, संजय गांधी के उत्थान और पतन, पंजाब में आतंकवाद, इंदिरा गांधी की हत्या और इसके बाद के दंगों के बारे में बात की गई है। इसमें राजीव गांधी के उदय और बोफोर्स मामले के बाद उनकी हार को लेकर भी बात की गई है।


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