आखिर कैसे कैप्टन विरोधी गुट आलाकमान से अपनी मांग मनवाने में कामयाब रहा, पढ़ें ये पूरी खबर

punjabkesari.in Saturday, Sep 18, 2021 - 06:58 PM (IST)

नेशनल डेस्क: पंजाब की दो बार कमान संभाल चुके कैप्टन अमरिंदर सिंह ने लंबे समय से चली आ रही पार्टी की अंतरकलह से तंग आकर आज शाम मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देकर सभी अटकलों पर विराम लगा दिया। उनके साथ उनके मंत्रिमंडल के सहयोगियों ने भी इस्तीफा दे दिया। 11 मार्च 1942 को पटियाला घराने में जन्मे कैप्टन सिंह राजनीति में आने से पहले सेना में रहे। वह 1963 में सेना में शामिल हुए और 1965 के शुरू में सेना छोड़ दी लेकिन भारत पाक युद्ध की संभावनाओं के चलते वह सेना में फिर शामिल हो गये और युद्ध समाप्ति के बाद सेना से इस्तीफा दे दिया।

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  • उसके बाद कैप्टन सिंह 1980 में पंजाब की राजनीति में उतरे और कांग्रेस प्रत्याशी के तौर पर चुनाव लड़ा और जीत दर्ज की।
  • उसके बाद 1984 में आपरेशन ब्लू स्टार से नाराज होकर वह अकाली दल में शामिल हो गये। वह राज्यसभा सदस्य भी रहे।
  • उसके बाद उन्होंने अकाली दल को अलविदा कह दिया और कांग्रेस में शामिल हो गये तथा वर्ष 1999 से 2002 ततक कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष रहे।
  • कैप्टन सिंह 2002 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की जीत केे बाद मुख्यमंत्री बने और 2007 तक इसी पद पर रहकर राज्य की सेवा की।
  • उसके बाद अकाली-भाजपा गठबंधन की सरकार बनने के बाद से दस साल तक वह कांग्रेस विधायक रहे और 2017 में कांग्रेस के भारी बहुमत से वापसी के बाद वह फिर मुख्यमंत्री बने और पिछले साढ़े चार सालों से राज्य की कमान संभालते रहे।

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मांग मनवाने में यह गुट कामयाब रहा
अगले विधानसभा चुनाव के निकट आते कांग्रेस में कैप्टन सिंह के खिलाफ एक गुट सक्रिय हो गया। पार्टी की प्रधानगी नवजोत सिद्धू के संभालने के बाद कैप्टन विरोधी गुट मुखर हो गया तथा उसने अमरिंदर को मुख्यमंत्री पद से हटाने की ठान ली। कांग्रेस आलाकमान से मिलकर अपनी मांग मनवाने में यह गुट कामयाब रहा। आज कैप्टन सिंह ने कांग्रेस आलाकमान के निर्देश पर आज शाम बुलाई विधायक दल की बैठक में अपनी छीछालेदर होने से पहले ही मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया।


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Content Editor

rajesh kumar

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