आधे वोट से शाह को मात

punjabkesari.in Thursday, Aug 10, 2017 - 11:09 AM (IST)

गांधीनगर: इसके बावजूद प्रधानमंत्री मोदी और भाजपा अध्यक्ष अमित शाह के गृह राज्य में अहमद पटेल का जीत जाना भाजपा के लिए किसी सदमे से कम नहीं है। इस जीत से जहां अहमद पटेल ने शाह को आधे वोट से मात दे अपनी बादशाहत कायम की है, वहीं इस हार से शाह की साख पर बट्टा लग गया है। अहमद पटेल को हराने की तमाम कोशिशों का नाकाम होना गुजरात विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा के लिए बड़ा झटका है। हालांकि अमित शाह अपनी सीट जीत गए लेकिन सवाल यह भी है कि भाजपा जिस तरह अपने ही एक विधायक की बगावत की वजह से हारी उससे तो साफ दिख रहा है कि भाजपा दूसरों के कुनबे को तोडऩे के चक्र में अपने कुनबे को भी संभाल नहीं पाई।

भाजपा विधायक ने ही डुबोई लुटिया
अहमद पटेल की इस जीत में भाजपा के विधायक नलिन कोटडिय़ा की बगावत का बड़ा हाथ रहा। नलिन अगर कांग्रेस को वोट नहीं देते तो अहमद पटेल की जीत मुश्किल थी। भाजपा विधायक की बगावत से हुई कांग्रेस की यह जीत अमित शाह और स्मृति ईरानी की दोहरी जीत पर भारी पड़ गई। नलिन कोटडिय़ा ने कहा कि मैंने राज्यसभा चुनाव में अपनी पार्टी के खिलाफ  मतदान किया है। उन्होंने कहा कि मैंने भाजपा के राज में पाटीदार समाज पर हुए अन्याय का विरोध करने के लिए ऐसा किया और पाटीदार समाज का बेटा होने के नाते आगे भी भाजपा का विरोध करता रहूंगा।

सफल साबित हुई कांग्रेस की रणनीति
अहमद पटेल की यह जीत लंबे अर्से बाद कांग्रेस के लिए राहत देने वाली खबर लेकर आई है। कांग्रेस के लिए यह एक बहुत बड़ी जीत है जिससे गुजरात के राज्यसभा चुनाव में भाजपा से लडऩे की उसकी रणनीति पर कामयाबी की मुहर लग गई है। इस जीत से अपने 44 विधायकों को पहले बेंगलूरु और फिर आणंद के रिजॉर्ट में रखने की कांग्रेस की रणनीति भी सफल साबित हुई है।

कैसे बदल गया जीत का गणित 
कांग्रेस के बागी विधायक भोला भाई और राघव भाई के वोट रद्द होने के बाद जीत के लिए जरूरी आंकड़े में बदलाव हो गया। अब जीत के लिए 43.5 वोट चाहिए थे जबकि अहमद पटेल को 44 वोट मिले और वह  आधे वोट से जीत गए। अहमद पटेल को जो 44 वोट मिले उनमें कांग्रेस के 41, जे.डी.यू. का 1, एन.सी.पी. का 1 और भाजपा के बागी विधायक का एक वोट शामिल था।

यह है नियम
बता दें कि द कंडक्ट ऑफ  इलैक्शन रूल्स 1961 का रूल 39 कहता है कि वोट देने वाले के लिए पोलिंग स्टेशन पर सीक्रेसी रखनी जरूरी है। अगर कोई इसका वॉयलेशन करता है तो प्रिजाडिंग ऑफिसर या पोलिंग ऑफिसर उस वोटर से बैलेट पेपर वापस ले लेता है।

जीत बढ़ाएगी कांग्रेस का मनोबल
अहमद पटेल की इस जीत ने गुजरात में इसी साल होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस का मनोबल बढ़ाने का काम किया है। यह जीत एक ऐसी संजीवनी है जिसकी शंकर सिंह वाघेला की बगावत से कमजोर पड़ी कांग्रेस को सख्त जरूरत थी। अहमद पटेल की इस जीत से भाजपा के खेमे में निराशा है। ऐसा इसलिए भी है क्योंकि अहमद पटेल को हराने के लिए भाजपा ने एड़ी-चोटी का जोर लगा दिया था।
 


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