कृषि कानूनों का विरोध या समर्थन- आधे से ज्यादा को इसके बारे में कोई जानकारी नहीं: सर्वे

punjabkesari.in Tuesday, Oct 20, 2020 - 04:32 PM (IST)

नेशनल डेस्क: सरकार द्वारा हाल में लाए गए कृषि संबंधी तीन कानूनों का समर्थन करने वाले या विरोध करने वालों में से आधे से अधिक किसानों को इसके बारे में कोई जानकारी नहीं है। यह बात ‘गांव कनेक्शन' द्वारा किए गए एक सर्वेक्षण (Survey) में सामने आआ है। सर्वेक्षण ‘द इंडियन फार्मर्स पर्सेप्शन आफ द न्यू एग्री लॉज' (The Indian Farmers Perception of the New Agri Lodge) में यह बात सामने आई कि इसका विरोध करने वाले 52 प्रतिशत में से 36 प्रतिशत को कानूनों के बारे में जानकारी ही नहीं है। सर्वेक्षण में यह बात भी सामने आई कि कृषि कानूनों का समर्थन करने वाले 35% में से लगभग 18% को इसके बारे में जानकारी नहीं है। नए कृषि कानून अन्य चीजों के अलावा किसानों को अपनी उपज खुले बाजार में बेचने की आजादी देते हैं। ‘गांव कनेक्शन' द्वारा जारी किए गए एक बयान के अनुसार, आमने-सामने का यह सर्वेक्षण 3 अक्तूबर से 9 अक्तूबर के बीच देश के 16 राज्यों के 53 जिलों में किया गया। सर्वेक्षण में उत्तरदाताओं के रूप में 5,022 किसानों को शामिल किया गया।

 

क्या कहते  हैं किसान
'द रूरल रिपोर्ट 2: द इंडियन फार्मर्स पर्सेप्शन ऑफ द न्यू एग्री लॉज़' के तौर पर जारी सर्वेक्षण के अनुसार, उत्तरदाता किसानों (57%) के बीच इन नए कृषि कानूनों को लेकर सबसे बड़ा डर यह है कि वे अब अपनी फसल उपज खुले बाजार में कम कीमत पर बेचने के लिए मजबूर होंगे, जबकि 33 प्रतिशत किसानों को डर है कि सरकार न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की व्यवस्था समाप्त कर देगी। इसके अलावा, 59% उत्तरदाता किसान चाहते हैं कि MSP प्रणाली को भारत में एक अनिवार्य कानून बना दिया जाए। मध्यम और बड़े किसानों की तुलना में सीमांत और छोटे किसानों का एक बड़ा वर्ग, जिसके पास पांच एकड़ से कम भूमि है, इन कृषि कानूनों का समर्थन करता है। 

 

किसानों को नहीं कोई जानकारी
सर्वे में कहा गया है, ‘‘दिलचस्प है कि उत्तरदाता किसानों में से आधे से अधिक (52 प्रतिशत) द्वारा कृषि कानूनों का विरोध करने के बावजूद (जिनमें से 36 प्रतिशत को इन कानूनों के बारे में जानकारी नहीं), लगभग 44 प्रतिशत उत्तरदाता किसानों ने कहा कि मोदी सरकार 'किसान समर्थक' है। वहीं लगभग 28 प्रतिशत ने कहा कि यह ‘किसान विरोधी' है। इसके अलावा एक अन्य सर्वेक्षण सवाल पर काफी किसानों (35 प्रतिशत) ने कहा कि मोदी सरकार किसानों का समर्थन करती है, जबकि लगभग 20 प्रतिशत ने कहा कि यह निजी कार्पोरेट या कंपनियों का समर्थन करती है। 

 

तीन कृषि कानून

  • संसद के मानसून सत्र के दौरान तीन कृषि विधेयक पारित किए गए थे जिसके बाद राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने 27 सितम्बर को उन्हें मंजूरी दी जिसके बाद ये कानून बन गए। कृषि उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्द्धन और सुविधा) कानून-2020, किसानों को अधिसूचित कृषि उपज बाजार समिति (एपीएमसी) के बाजार यार्ड के बाहर अपनी उपज बेचने की आजादी देता है। 
  • कृषक (सशक्तीकरण एवं संरक्षण) कीमत आश्वासन समझौता और कृषि सेवा पर करार कानून-2020 किसानों को एक पहले से सहमत कीमत पर भविष्य की कृषि उपज की बिक्री के लिए कृषि व्यवसायी फर्म, प्रोसेसर, थोक विक्रेताओं, निर्यातकों या बड़े खुदरा विक्रेताओं के साथ अनुबंध करने का अधिकार देता है। 
  • आवश्यक वस्तु (संशोधन) अधिनियम, 2020 का उद्देश्य अनाज, दलहन, तिलहन, प्याज, और आलू जैसी वस्तुओं को आवश्यक वस्तुओं की सूची से हटाना है और भंडारण सीमा लगाने की व्यवस्था समाप्त करना है। किसान और किसान संगठनों का एक वर्ग नए कृषि कानूनों का विरोध कर रहा है। 


यहां के किसानों को नहीं विरोध प्रदर्शन की जानकारी
इन नए अधिनियमों पर किसानों की राय और धारणा का दस्तावेजीकरण करने के लिए ‘गांव कनेक्शन' ने देश के सभी क्षेत्रों में फैले 5,022 उत्तरदाता किसानों के साथ यह सर्वेक्षण किया। इस बीच, दो-तिहाई किसानों को देश में हाल के किसानों के विरोध के बारे में जानकारी है। इस तरह के विरोध प्रदर्शनों के बारे में जागरूकता उत्तर-पश्चिम क्षेत्र के किसानों के बीच अधिक थी (91 प्रतिशत) जिसमें पंजाब, हरियाणा और हिमाचल प्रदेश शामिल हैं। पूर्वी क्षेत्र (पश्चिम बंगाल, ओडिशा, छत्तीसगढ़) के किसानों में किसानों के विरोध के बारे में सबसे कम जानकारी थी जहां आधे से कम (46 प्रतिशत) को इस बारे में जानकारी है। कुल मिलाकर, 52 प्रतिशत किसान तीन नए कृषि कानूनों के कथित तौर पर विरोध में हैं, जबकि 35 प्रतिशत इन अधिनियमों का समर्थन करते हैं। इन कानूनों का समर्थन करने वालों में से लगभग आधे (47 प्रतिशत) उनका पक्ष इसलिए लेते हैं क्योंकि उनका मानना ​​है कि इससे उन्हें देश में कहीं भी अपनी फसल बेचने की आजादी मिलेगी। इन कानूनों का विरोध करने वालों में, सबसे अधिक उत्तरदाता किसानों (57 प्रतिशत) ने कहा कि वे तीन कानूनों का समर्थन इसलिए नहीं करते क्योंकि ‘‘किसान खुले बाजार में कम कीमत पर अपनी उपज बेचने के लिए मजबूर होंगे।'


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Seema Sharma

Recommended News

Related News