दिल्ली अध्यादेशः ममता, केसीआर, नीतीश के बाद अब इस राज्य के सीएम का मिला केजरीवाल को समर्थन

punjabkesari.in Thursday, Jun 01, 2023 - 08:43 PM (IST)

नेशनल डेस्कः दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल अपने सहयोगियों के साथ गुरुवार को तमिलनाडु पहुंचे। केजरीवाल के साथ पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान, दिल्ली सरकार में शिक्षा मंत्री आतिशी, राज्यसभा सांसद संजय सिंह, राघव चड्ढा भी मौजूद थे। जहां उन्होंने राज्य के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन से मुलाकात की। मुलाकात के दौरान केजरीवाल ने दिल्ली में केंद्र सरकार द्वारा लाए गए अध्यादेश पर स्टालिन से समर्थन मांगा।

तमिलनाडु में सत्तारूढ़ द्रविड़ मुन्नेत्र कषगम (द्रमुक) के प्रमुख स्टालिन ने  कहा, ‘‘केंद्र आम आदमी पार्टी (आप) के लिए संकट उत्पन्न कर रहा है और विधिवत चुनी हुई सरकार को स्वतंत्र रूप से काम करने से रोक रहा है। आप सरकार के पक्ष में उच्चतम न्यायालय के फैसले के बावजूद, केंद्र अध्यादेश लाया। द्रमुक इसका कड़ा विरोध करेगी।'' इस दौरान स्टालिन के साथ दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान भी थे। स्टालिन ने केजरीवाल को अपना ‘‘अच्छा दोस्त'' बताया और कहा कि अध्यादेश का विरोध करने के मुद्दे पर उनके बीच हुई चर्चा उपयोगी रही।

स्टालिन ने आग्रह किया, ‘‘गैर-भाजपा शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों और राजनीतिक दलों के नेताओं को भी अध्यादेश के विरोध में अपना समर्थन देना चाहिए।'' उन्होंने कहा कि देश में लोकतंत्र की रक्षा के लिए विपक्षी दलों के बीच इस तरह की स्वस्थ चर्चा जारी रहनी चाहिए। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेतृत्व वाली सरकार पर सुप्रीम कोर्ट के आदेश को निष्प्रभावी करते हुए अध्यादेश लाने का आरोप लगाते हुए केजरीवाल ने कहा कि द्रमुक इसका कड़ा विरोध करने और आप सरकार और दिल्ली के लोगों के साथ खड़े होने के लिए सहमत है।

केजरीवाल स्टालिन का समर्थन मांगने के लिए विमान से चेन्नई पहुंचे थे। उन्होंने कहा, ‘‘इस अध्यादेश का संसद में सामूहिक रूप से विरोध किया जाना चाहिए क्योंकि यह अलोकतांत्रिक, संघीय ढांचे के खिलाफ और असंवैधानिक है।'' उन्होंने अध्यादेश का विरोध करने के लिए विपक्षी दलों के एकसाथ आने को 2024 के लोकसभा चुनाव का ‘सेमीफाइनल' बताया।

पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने कहा कि द्रमुक सरकार को एक ऐसे राज्यपाल के खिलाफ लड़ाई लड़नी पड़ी, जिसने न केवल विधानसभा विधेयकों का अनुमोदन करने से परहेज किया बल्कि राज्य सरकार द्वारा तैयार किए गए भाषण को भी नहीं पढ़ा। मान ने कहा, ‘‘मैं अपने राज्य में इसी तरह की समस्याओं का सामना कर रहा हूं। मुझे बजट सत्र बुलाने के लिए उच्चतम न्यायालय का रुख करना पड़ा क्योंकि राज्यपाल इसकी अनुमति नहीं दे रहे थे। हम लोकतंत्र को बचाने के लिए द्रमुक का समर्थन चाहते हैं।''

इन नेताओं से भी कर चुके हैं मुलाकात
इससे पहले सीएम केजरीवाल बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, एनसीपी प्रमुख शरद पवार, शिवसेना उद्धवबालासाहेब ठाकरे प्रमुख उद्धव ठाकरे, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, तेलंगाना के मुख्यमंत्री केसीआर से भी मुलाकात कर अध्यादेश के खिलाफ समर्थन मांगा है। वहीं, केजरीवाल ने कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे और कांग्रेस नेता राहुल गांधी से मुलाकात के लिए समय मांगा है। 

बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने 12 मई को एक फैसले में कहा था कि दिल्ली की नौकरशाही पर ट्रांसफर, पोस्टिंग में दिल्ली सरकार का हक है। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद केंद्र सरकार ने करीब 10 दिन बाद एक अध्यादेश के जरिए सुप्रीम कोर्ट के फैसले को पलट दिया। आम आदमी पार्टी ने इसे गैर संवैधानिक बताया और विपक्षी दलों से मुलाकात कर इसके खिलाफ समर्थन जुटा रहे हैं। माना जा रहा है कि मानसून सत्र में केंद्र सरकार एक बिल लेकर आ सकती है। 


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Content Writer

Yaspal

Recommended News

Related News