New CJI: भारत के 52वें मुख्य न्यायाधीश बने जस्टिस बी.आर. गवई, राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने दिलाई शपथ
punjabkesari.in Wednesday, May 14, 2025 - 10:31 AM (IST)

नेशनल डेस्क: भारत की न्यायपालिका में एक नया अध्याय शुरू हुआ है। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने न्यायमूर्ति बी.आर. गवई को भारत के मुख्य न्यायाधीश (Chief Justice of India - CJI) के रूप में शपथ दिलाई। इस अवसर पर राष्ट्रपति भवन में आयोजित एक औपचारिक समारोह में न्यायमूर्ति गवई ने पदभार संभाला।
न्यायमूर्ति भूषण रामकृष्ण गवई ने भारत के 52वें मुख्य न्यायाधीश (CJI) के रूप में पदभार ग्रहण कर लिया है। वह इस शीर्ष संवैधानिक पद पर नियुक्त होने वाले देश के दूसरे अनुसूचित जाति समुदाय से आने वाले न्यायाधीश हैं, जो भारतीय न्यायिक व्यवस्था में समावेश की दिशा में एक अहम कदम माना जा रहा है।
कैसे हुई नियुक्ति?
CJI डी.वाई. चंद्रचूड़ के सेवानिवृत्त होने के बाद, वरिष्ठता परंपरा के अनुसार सरकार ने जस्टिस गवई को उत्तराधिकारी चुना। 16 अप्रैल को CJI जस्टिस संजीव खन्ना ने उनके नाम की सिफारिश की थी, जिसके बाद कानून मंत्रालय ने 30 अप्रैल को उनकी नियुक्ति की अधिसूचना जारी की।
कार्यकाल रहेगा सीमित
न्यायमूर्ति गवई का कार्यकाल लगभग छह महीने का होगा। वह 23 दिसंबर 2025 को सेवानिवृत्त होंगे। बावजूद इसके, उनकी न्यायिक यात्रा और अब तक के निर्णय उन्हें एक प्रभावशाली और ऐतिहासिक CJI के रूप में स्थापित करते हैं।
जस्टिस गवई: न्यायपालिका की विविध पृष्ठभूमि से
जन्म: 24 नवंबर 1960, अमरावती (महाराष्ट्र)
पिता: आर. एस. गवई — सामाजिक कार्यकर्ता और बिहार-केरल के पूर्व राज्यपाल
1985 में वकालत शुरू करने वाले जस्टिस गवई ने नागपुर और अमरावती के नगर निगमों के लिए स्थायी वकील के रूप में काम किया। इसके बाद वे बॉम्बे हाईकोर्ट में सहायक सरकारी वकील और फिर न्यायाधीश बने। 2019 में उन्हें सुप्रीम कोर्ट में पदोन्नत किया गया।
कुछ प्रमुख और ऐतिहासिक फैसले
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अनुच्छेद 370 (2023)
संविधान पीठ में जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद को निरस्त करने के केंद्र सरकार के फैसले को वैध ठहराया। -
राजीव गांधी हत्याकांड (2022)
दोषियों की रिहाई को मंजूरी दी, यह मानते हुए कि राज्यपाल ने तमिलनाडु सरकार की सिफारिश पर कार्रवाई नहीं की। -
नोटबंदी (2023)
2016 की नोटबंदी योजना को वैध करार देते हुए कहा कि यह निर्णय केंद्र और आरबीआई के बीच परामर्श से लिया गया। -
ईडी निदेशक का कार्यकाल (2023)
संजय कुमार मिश्रा के कार्यकाल विस्तार को असंवैधानिक बताया और हटाने का आदेश दिया। -
बुलडोजर कार्रवाई (2024)
बिना कानूनी प्रक्रिया के किसी की संपत्ति ध्वस्त करना असंवैधानिक करार दिया। -
मोदी सरनेम केस – राहुल गांधी को मिली राहत
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तीस्ता शीतलवाड़ केस – सामाजिक कार्यकर्ता को दी गई ज़मानत
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दिल्ली शराब घोटाला – मनीष सिसोदिया और बीआरएस नेता कविता को मिली ज़मानत