Aadhar Card: आधार कार्ड को वेरीफिकेशन दस्तावेज के रूप में मान्यता दी जाए: सुप्रीम कोर्ट का आदेश
punjabkesari.in Friday, Aug 22, 2025 - 04:10 PM (IST)

नेशनल डेस्क: बिहार में चल रहे विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) अभियान को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने एक बड़ा और अहम फैसला सुनाया है, जिससे करोड़ों मतदाताओं को राहत मिल सकती है। चुनाव आयोग (ECI) द्वारा हाल ही में 65 लाख लोगों के नाम मसौदा मतदाता सूची से हटाए जाने के बाद यह मामला काफी चर्चा में था। अब सुप्रीम कोर्ट ने न सिर्फ इस फैसले की वैधता पर सवाल उठाए हैं, बल्कि प्रक्रिया को अधिक जन-सुलभ और पारदर्शी बनाने के लिए नए निर्देश भी जारी किए हैं।
क्या है पूरा मामला?
बिहार में 2025 विधानसभा चुनाव से पहले ECI ने राज्य में मतदाता सूची का विशेष गहन पुनरीक्षण (Special Intensive Revision) शुरू किया। इसके तहत 18 अगस्त को 65 लाख लोगों के नाम हटाए गए, जिन्हें आयोग ने संदिग्ध या अपूर्ण दस्तावेज वाले मतदाता बताया। यह मुद्दा तूल पकड़ गया क्योंकि इन मतदाताओं को दोबारा नाम जुड़वाने के लिए जिन 11 दस्तावेजों की जरूरत थी, उनमें आधार कार्ड को शामिल नहीं किया गया था। विपक्षी दलों और नागरिक संगठनों ने इसे "अलोकतांत्रिक और भेदभावपूर्ण" बताया, जिसके बाद मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा।
सुप्रीम कोर्ट का क्या फैसला आया?
सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को सुनवाई करते हुए चुनाव आयोग को कई महत्वपूर्ण आदेश दिए:
-आधार कार्ड को वेरीफिकेशन दस्तावेज के रूप में मान्यता दी जाए।
-मतदाता यदि चाहें तो ऑनलाइन या ऑफिस में जाकर अपना दावा प्रस्तुत कर सकते हैं।
-चुनाव आयोग को अपने बूथ लेवल एजेंट्स (BLA) को स्पष्ट निर्देश देने होंगे कि वे हटाए गए मतदाताओं को फॉर्म भरने और प्रक्रिया समझाने में मदद करें।
पूरी प्रक्रिया को मतदाता के लिए आसान और अनुकूल बनाया जाए।
-कोर्ट ने यह भी सवाल उठाया कि इस संवेदनशील मुद्दे पर राजनीतिक दलों की निष्क्रियता क्यों है।
ECI की स्थिति और आंकड़े
ECI ने कोर्ट में बताया:
-इस अभियान के दौरान 85,000 नए मतदाता सामने आए हैं।
-अब तक केवल दो आपत्तियां राजनीतिक दलों द्वारा दर्ज की गई हैं।
-आयोग ने यह भी कहा कि 11 स्वीकृत दस्तावेजों के साथ ही प्रक्रिया जारी है, लेकिन कोर्ट के आदेश के बाद अब आधार कार्ड को भी स्वीकार किया जाएगा।
क्या बदलेगा अब?
जिन 65 लाख लोगों के नाम हटाए गए हैं, वे अब आधार कार्ड के जरिए भी अपना नाम वापस जोड़ सकते हैं। मतदाता सूची को लेकर किसी भी तरह की अस्पष्टता या डर अब कम हो सकती है, क्योंकि प्रक्रिया अब ज्यादा सुलभ और डिजिटल फ्रेंडली होगी। बूथ लेवल एजेंट्स की जिम्मेदारी बढ़ेगी – अब उन्हें सक्रिय भूमिका निभानी होगी।