हाथ में पत्नी की तस्वीर लेकर मौत मांग रहा पति... राष्ट्रपति से लगाई ये गुहार
punjabkesari.in Monday, Jul 07, 2025 - 11:08 PM (IST)

नेशनल डेस्क: उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर में एक अजीबोगरीब और चौंकाने वाला मामला सामने आया है। यहाँ एक युवक अपनी पत्नी के कथित जुल्मों से इतना परेशान हो गया कि उसने कलेक्ट्रेट पहुँचकर राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री को ज्ञापन सौंपकर इच्छामृत्यु की मांग कर डाली। युवक की शादी को अभी सिर्फ एक साल ही हुआ है।
शादी के दूसरे दिन ही शुरू हो गया झगड़ा
मुजफ्फरनगर के गांधीनगर कॉलोनी के रहने वाले सुमित सैनी की शादी 1 जुलाई 2024 को कुकड़ा गाँव की पिंकी से हुई थी। सुमित का आरोप है कि शादी के दूसरे ही दिन उसकी पत्नी पिंकी ने उसे बताया कि यह शादी उसकी मर्जी से नहीं हुई है और वह किसी और से प्यार करती है। इसके बाद से ही पिंकी लगातार घर में झगड़ा करने लगी। सुमित का कहना है कि पिंकी आए दिन उसकी पिटाई करती थी और जान से मारने की नीयत से उसका गला भी घोटने की कोशिश करती थी।
"लड़के भेजकर पत्नी ने पिटवाया"
पीड़ित पति सुमित ने यह भी बताया कि पिंकी पिछले छह महीने से अपने मायके में रह रही है, लेकिन इस दौरान भी वह फोन पर लगातार उसे धमकी देती रही। सुमित का आरोप है कि पिंकी लड़के भेजकर उसकी पिटाई भी करवाती है। इन सबसे परेशान और हताश होकर सोमवार को सुमित ने कलेक्ट्रेट पहुँचकर इच्छामृत्यु की मांग की। इस दौरान सुमित के हाथ में एक बैनर भी था, जिस पर उसने अपनी परेशानियाँ लिखी हुई थीं।
"पत्नी ने कई बार मरवाने की कोशिश की"
सुमित सैनी ने मीडिया से बात करते हुए कहा, "मैं माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी और अपने मुख्यमंत्री जी से इच्छामृत्यु की मांग करता हूँ। मैं अपनी पत्नी से बहुत परेशान हूँ। मेरी पत्नी मुझे बहुत परेशान कर रही है। मेरी शादी 14 जुलाई 2024 को हिंदू रीति-रिवाज के साथ बिना दहेज के हुई थी। शादी के दूसरे ही दिन पत्नी ने कहा कि मैं किसी और से प्यार करती हूँ। मेरी माँ और मामा ने मेरी शादी जबरदस्ती तुमसे कर दी है।"
सुमित का आरोप है कि उसकी पत्नी ने शादी के तुरंत बाद से ही उसके साथ मारपीट और गाली-गलौज करना शुरू कर दिया था। उसने यह भी आरोप लगाया कि उसकी पत्नी ने उसे कई बार मरवाने की कोशिश की है।
यह घटना समाज में वैवाहिक संबंधों में बढ़ती जटिलताओं और पुरुषों के प्रति घरेलू हिंसा के पहलुओं को भी उजागर करती है। क्या आपको लगता है कि ऐसे मामलों में कानून में कोई विशेष प्रावधान होना चाहिए?