गोरखधंधा : रेलवे के पार्सल विंग में अवैध वसूली करने वाले 9 गुर्गे गिरफ्तार

punjabkesari.in Wednesday, Nov 16, 2016 - 08:03 AM (IST)

चंडीगढ़ (लल्लन): उत्तर रेलवे के अंबाला मंडल के उच्चाधिकारियों के आदेशों के बाद आखिरकार चंडीगढ़ रेलवे स्टेशन के सी.पी.एस. ने पार्सल विभाग में अवैध रूप से कार्य करने वाले 5 कर्मचारियों को बाहर का रास्ता दिखा दिया है। सी.पी.एस के आदेशों के बाद रेलवे स्टेशन के पार्सल विभाग के बाहर सामान का ढेर लग गया है। रेलवे के उच्चाधिकारियों की ओर से सख्त निर्देश जारी हुए हैं कि पार्सल विंग में कोई भी बाहरी व्यक्ति दिखा तो अफसरों पर भी कार्रवाई की जाएगी। जिनके इशारे पर पार्सल विभाग में अवैध वसूली का धंधा चल रहा था वह अभी भी पकड़ से दूर हैं, जिनकी जानकारी रेलवे पुलिस व अधिकारियों को है पर उन्हें अभी भी मामले में शामिल नहीं किया गया, जोकि  लीज की आड़ में अपने कारिंदों से अवैध कार्य रेलवे स्टेशन पर करा रहे हैं। रेलवे स्टेशन में चल रहे उक्त अवैध धंधे को पास ही के गांव दड़वा से ऑप्रेट किया जा रहा है और दड़वा रेलवे पुलिस की हद में नहीं है। अधिकारियों का कहना है कि कर्मचारी कम होने के कारण लोगों को दिहाड़ी पर काम करने की आज्ञा दी गई थी, ताकि पार्सल विंग का काम ना रुके। 

 

पार्सल विभाग ने 6 को स्टेशन से भगाया
फहीम, संतोष, राज, राजेंद्र व राजू तथा विनोद को ‘पंजाब केसरी’ में प्रकाशित समाचार के बाद गैर-कानूनी तरीके से काम करने पर कार्रवाई करने की बजाय सुबह ही सी.पी.एस. सुंदर लाल ने स्टेशन से भगा दिया, जिससे सी.पी.एस की भूमिका पर सवाल उठ रहे हैं। पूछने पर भी सी.पी.एस. यह बताने को तैयार नहीं हुए कि भगाए गए लोग किसके कारिंदे थे। जांच में पाया गया कि कई ऐसे लोग भी हैं जिनके पास कुली का नंबर तो है लेकिन काम पार्सल विंग में करते हैं। इन सब सवालों के बीच जब अम्बाला मंडल के उच्चाधिकारियों से बात की गई तो उनका कहना था कि भविष्य में इस तरह की लापरवाही ना हो इसके लिए जल्द ही दिशा-निर्देश जारी किए जाएंगे, यही नहीं जिन अधिकारियों की भूमिका उक्त अवैध धंधे में सामने आएगी, उन पर भी सख्त कार्रवाई होगी। 

 

होना चाहिए था आपराधिक मामला दर्ज
जी.आर.पी.एफ. के रिटायर्ड एस.पी. रैंक के अधिकारी स्वर्ण सिंह के अनुसार जिस तरह से ‘पंजाब केसरी’ ने मामले को उठाया है उस हिसाब से पार्सल विंग के गैर-कानूनी तरीके से काम करने वालों पर ट्रैस पासिंग, धोखाधड़ी, गुमराह करने और साजिश की धाराओं के तहत मामला दर्ज होना चाहिए था, उन्होंने हैरानी जताई कि रेलवे अधिकारियों पर कोई विभागीय कार्रवाई नहीं हुई, जिनकी नाक ताले सब कुछ हो रहा था। 


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