8th Pay Commission Salary Hike: सरकार ने किया बड़ा खुलासा, जानिए कब से होगी सैलरी हाइक लागू
punjabkesari.in Thursday, Sep 18, 2025 - 11:33 AM (IST)

नेशनल डेस्क: केंद्र सरकार ने संसद में स्पष्ट किया है कि 8वीं केंद्रीय वेतन आयोग की सिफारिशें 1 जनवरी 2026 से लागू की जाएंगी। 7वें वेतन आयोग की अवधि 31 दिसंबर 2025 को समाप्त होने के बाद, नया आयोग तुरंत काम शुरू कर देगा। इस बदलाव से करीब 50 लाख केंद्रीय कर्मचारियों और 65 लाख पेंशनभोगियों को वित्तीय लाभ मिलने की संभावना है।
क्या है नया अपडेट?
सरकार ने लोकसभा में जवाब देते हुए कहा कि 8वीं वेतन आयोग का गठन प्रक्रिया में है, और इसकी रिपोर्ट लगभग 18-20 महीनों के अंदर तैयार हो जाएगी। हालांकि आयोग के सदस्यों की आधिकारिक घोषणा और उनके कार्यकाल की शर्तें अभी जारी होनी बाकी हैं, लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि वेतन वृद्धि की शुरुआत जनवरी 2026 से ही होगी। यदि रिपोर्ट तैयार होने में कोई देरी भी होती है, तो वेतन बढ़ोतरी का लाभ पीछे की तारीख से दिया जाएगा, जिससे कर्मचारियों को कोई नुकसान नहीं होगा।
डीए को बेसिक सैलरी में मिलाने की मांग
सरकार ने रक्षा, गृह, कार्मिक विभाग और राज्य सरकारों से सुझाव लेकर यह भी बताया कि कर्मचारियों के बीच महंगाई भत्ते (DA) को बेसिक वेतन में शामिल करने की मांग जोर पकड़ रही है। कर्मचारी संगठन इस दिशा में सरकार से सकारात्मक कदम उठाने की उम्मीद कर रहे हैं।
वेतन वृद्धि और फिटमेंट फैक्टर की संभावना
8वीं वेतन आयोग में फिटमेंट फैक्टर (वेतन समायोजन का अनुपात) 1.92 से लेकर 2.86 के बीच रहने की संभावना जताई जा रही है, जो कि 7वें आयोग के 2.57 से थोड़ा अधिक है। इसका मतलब है कि न्यूनतम वेतन लगभग 18,000 रुपये से बढ़कर 30,000 से 34,560 रुपये तक पहुंच सकता है। कुल मिलाकर सैलरी में 20% से 34% तक की वृद्धि होने की उम्मीद है।
अन्य लाभों में बदलाव
सिर्फ बेसिक वेतन नहीं, बल्कि हाउस रेंट अलाउंस (HRA), ट्रांसपोर्ट अलाउंस और पेंशन के नियमों में भी संशोधन किए जाएंगे। न्यूनतम पेंशन 17,280 रुपये से शुरू होकर 2.88 लाख रुपये तक हो सकती है। कुछ भत्तों को खत्म या मर्ज किया जा सकता है ताकि वेतन संरचना और ज्यादा सरल और पारदर्शी हो।
8वीं वेतन आयोग का मुख्य मकसद मुद्रास्फीति, आर्थिक हालात और जीवन यापन की लागत के अनुसार वेतन प्रणाली को पुनः व्यवस्थित करना है। पिछले दस वर्षों में वेतन वृद्धि के मामूली बदलाव के कारण कर्मचारियों में बढ़ती मांग को देखते हुए यह कदम जरूरी हो गया है। इसके अलावा, वेतन में वृद्धि से न केवल कर्मचारियों की क्रय शक्ति बढ़ेगी, बल्कि देश की जीडीपी को भी फायदा होगा क्योंकि इससे उपभोग और बचत दोनों में इजाफा होगा। कर्मचारी संगठनों ने सरकार से फिटमेंट फैक्टर को 3.68 तक बढ़ाने की मांग की है, लेकिन फिलहाल सरकार इसी प्रस्तावित स्तर पर विचार कर रही है।