8th Pay Commission: 2.86 फिटमेंट फैक्टर की मांग.. लेकिन सैलरी में बढ़ोतरी तय नहीं, जानिए क्यों
punjabkesari.in Saturday, May 10, 2025 - 04:44 PM (IST)

नेशनल डेस्क: भारत सरकार की ओर से 8वें वेतन आयोग को लेकर चर्चा एक बार फिर तेज हो गई है। सरकारी कर्मचारी संगठनों की तरफ से लगातार यह मांग उठ रही है कि इस बार फिटमेंट फैक्टर को 2.86 तक बढ़ाया जाए। अगर यह मांग मानी जाती है, तो कर्मचारियों की न्यूनतम सैलरी 51,480 रुपये तक पहुंच सकती है और पेंशनधारियों को भी 25,740 रुपये तक लाभ मिल सकता है।
क्या होता है फिटमेंट फैक्टर?
फिटमेंट फैक्टर सरकारी वेतन संरचना में एक गुणनांक होता है, जिसका उपयोग करके 7वें वेतन आयोग या आगामी 8वें वेतन आयोग में नई बेसिक सैलरी तय की जाती है। इसे इस तरह समझ सकते हैं: उदाहरण के लिए, अगर किसी कर्मचारी की वर्तमान बेसिक सैलरी 18,000 रुपये है और फिटमेंट फैक्टर 2.86 लागू होता है, तो नई बेसिक सैलरी 18,000 × 2.86 = ₹51,480 होगी।
तो फिर सैलरी क्यों नहीं बढ़ेगी?
इसका उत्तर पिछले दो वेतन आयोगों की तुलना से मिलता है:
6वां वेतन आयोग:
➤ फिटमेंट फैक्टर: 1.86
➤ वेतन वृद्धि: करीब 54%
महंगाई भत्ता और अन्य भत्तों में बड़ा बदलाव, जिससे कुल वेतन में बड़ा इजाफा हुआ।
7वां वेतन आयोग:
➤ फिटमेंट फैक्टर: 2.57
➤ वेतन वृद्धि: मात्र 14.2%
➤ यहां भत्तों में कटौती और महंगाई भत्ते को अलग तरीके से समायोजित किया गया।
इस तुलना से स्पष्ट है कि फिटमेंट फैक्टर बड़ा होने के बावजूद भी अगर अन्य भत्तों और महंगाई भत्ते में संशोधन नहीं होता, तो कुल वेतन में विशेष लाभ नहीं मिलता।
क्या कहती हैं कर्मचारी यूनियनें?
कई कर्मचारी संगठन सरकार से मांग कर रहे हैं कि:
➤ फिटमेंट फैक्टर 2.86 या उससे अधिक तय किया जाए
➤ न्यूनतम वेतन 26,000 रुपये से बढ़ाकर 50,000 रुपये तक किया जाए
➤ भत्तों और पेंशन में भी समानुपातिक सुधार हो
8वें वेतन आयोग की संभावित समयसीमा
अब तक के संकेतों के अनुसार, 8वां वेतन आयोग 2026 के आसपास लागू हो सकता है, क्योंकि पिछला आयोग 2016 में लागू हुआ था और आमतौर पर 10 साल का अंतर होता है। हालांकि चुनावी साल और कर्मचारियों के दबाव को देखते हुए यह निर्णय पहले भी लिया जा सकता है।
सिर्फ उम्मीदों से नहीं बढ़ती सैलरी
सरकारी कर्मचारियों को यह समझना होगा कि वेतन बढ़ोतरी एक समग्र प्रक्रिया है, जिसमें फिटमेंट फैक्टर के साथ-साथ महंगाई भत्ता, एचआरए, अन्य भत्ते और कर नीति भी अहम भूमिका निभाते हैं। अगर ये पहलू संतुलित तरीके से नहीं सुधारे जाते, तो सिर्फ फिटमेंट फैक्टर बढ़ाने से सैलरी में अपेक्षित बढ़ोतरी नहीं होगी।