दुबई में इस साल विदेशों से 6700 करोड़पतियों के आने का अनुमान
punjabkesari.in Tuesday, Jul 02, 2024 - 09:46 AM (IST)
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नेशनल डेस्क: संयुक्त अरब अमीरात ( यू.ए.ई.) का व्यापारिक केंद्र दुबई दुनिया भर के अमीरों के आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। इसकी पहचान खुद को धनी लोगों को शरणस्थली के तौर पर बचने की बन चुकी है। एक वैल्थ कंसल्टेंसी हेनले एंड पार्टनर्स के अनुसार यहां पर इस साल 6700 करोड़पतियों के आने का अनुमान है। एक रिपोर्ट के मुताबिक अब दुबई में आने वाले अमीर लोगों की संख्या अमरीका से लगभग दोगुना है। अमरीका में ऐसे 55 लाख लोग 10 लाख डॉलर या उससे अधिक की संपत्ति रखते हैं।
आय, संपत्ति या पूंजीगत लाभ पर कोई टैक्स नहीं
दुबई व्यापार करने के लिए एक आसान जगह है और दुनिया में लगभग हर जगह के लिए यहां से सुविधाजनक उड़ानें है। इसकी सड़कें न्यूयॉर्क या लंदन की तुलना में ज्यादा साफ-सुथरी और अधिक सुरक्षित हैं। दूसरा यह विदेशी अमीरों को इसलिए भी अपनी ओर आकर्षित करता है क्योंकि यहां पर आय, संपत्ति या पूंजीगत लाभ पर कोई टैक्स नहीं लगता है। रिपोर्ट में कहा गया है लंबे समय से पड़ोसी देशों के अमीर रूसियों, भारतीयों और अरबों के लिए एक शरणस्थल रहा दुबई अब मुगल प्रवासियों के एक नए समूह को आकर्षित कर रहा है। इसमें यूरोपीय लोग शामिल हैं जो अपने देशों में बढ़ती राजनीतिक अनिश्चितता से परेशान हो रहे हैं।
दुबई में बसने की क्या है वजह
फ्रांस में कट्टर-दक्षिणपंथी सरकार के सत्ता में आने के अंदेशे से यहां के अमीर दुबई में बसने के लिए ब्रोकर और एजेंटों को कॉल कर रहे हैं। देश की दंडात्मक नीतियों के कारण अमीर इटालियंस भी दुबई की ओर रुख करने के ज्यादा इच्छुक दिखाई दे रहे हैं। 2024 के पहले तीन महीनों में दुबई में भारतीयों के साथ-साथ फ्रांसीसी और इटालियंस घर खरीदने में सबसे ज्यादा उत्साहित थे।
कहा जा रहा है कि फरवरी माह में यूरोपीय लोगों ने दुबई ने अपनी ओर एकाएक खींच लिया जब यहां एक अंतर-सरकारी निकाय, वित्तीय कार्रवाई कार्य बल (एफ.ए.टी.एफ.) ने मनी-लॉन्ड्रिंग और अन्य वित्तीय शरारती लोगों द्वारा पसंद किए जाने वाले संदिग्ध स्थानों की अपनी ग्रे सूची से हटा दिया। अमीराती बैंक अब अपने ग्राहकों की अधिक सावधानी से जांच करते हैं और बड़े प्रॉपर्टी डेवलपर्स अब नकदी से भरे ब्रीफकेस स्वीकार नहीं करते हैं।
गाजा पट्टी पर चल रहा संघर्ष भी बड़ी वजह
दुबई को यूरोपियन अमीरों द्वारा तरजीह दिए जाने का एक और कारण यह भी है कि गाजा पट्टी पर चल रहे संघर्ष के बीच अब इजरायल और हिज्बुल्लाह के बीच लड़ाई तेज हो गई है। हिजबुल्लाह ईरान समर्थित समूह है और लेबनान के अधिकांश हिस्से को नियंत्रित करता है। इसलिए यूरोपियन अमीर यह भी तर्क देते हुए दिखाई देते हैं कि यह एक क्षेत्रीय संघर्ष में बदल सकता है।