मोदी सरकार 3.0 के वो 6 बड़े फैसले जिन पर सरकार को पीछे खींचने पड़े अपने कदम, जानिए क्या रही वजह
punjabkesari.in Thursday, Dec 12, 2024 - 12:53 PM (IST)
नेशनल डेस्क: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में मोदी सरकार 3.0 ने सत्ता में आने के बाद कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए हैं, जो न केवल राजनीतिक बल्कि सामाजिक और आर्थिक दृष्टिकोण से भी प्रभावशाली रहे हैं। मोदी सरकार के इन फैसलों ने युवाओं, महिलाओं, वरिष्ठ नागरिकों और समाज के अन्य वर्गों के जीवन को बेहतर बनाने की दिशा में कदम उठाए हैं। हालांकि, सरकार को कुछ फैसलों पर कदम भी पीछे खींचने पड़े हैं, विशेष रूप से गठबंधन सरकार के चलते, जहां सहयोगी दलों के दबाव और विरोध के कारण सरकार को कुछ फैसलों पर पुनर्विचार करना पड़ा।
मोदी सरकार के महत्वपूर्ण फैसले
1. वन नेशन, वन इलेक्शन (One Nation, One Election)
भारत में चुनावों की प्रक्रिया पर लंबे समय से बहस होती रही है कि एक ही समय पर लोकसभा और राज्य विधानसभा चुनाव होने चाहिए ताकि चुनावी खर्च और समय की बचत हो सके। मोदी सरकार ने ‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ का प्रस्ताव पेश किया, जिसे लागू करने के लिए सरकार ने पहल की। इसके लिए पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में एक समिति गठित की गई थी, जिसने 62 राजनीतिक दलों से विचार-विमर्श किया। इस समिति की रिपोर्ट के अनुसार, 32 दलों ने इसका समर्थन किया, जबकि 15 दलों ने इसका विरोध किया और 15 दलों ने इस पर कोई जवाब नहीं दिया। यह प्रस्ताव अगर संसद में पास होता है तो भारत में लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के चुनाव एक साथ होंगे। इससे चुनावी खर्च, समय की बचत, और चुनावी प्रक्रिया में पारदर्शिता में वृद्धि हो सकती है। हालांकि, यह मुद्दा संवेदनशील है और इसके बारे में व्यापक चर्चा की आवश्यकता है, जो आगे चलकर भारतीय राजनीति की दिशा तय कर सकता है।
2. इंटर्नशिप योजना (Internship Scheme)
मोदी सरकार ने भारतीय युवाओं के लिए रोजगार अवसर बढ़ाने और उनकी क्षमताओं को बेहतर बनाने के उद्देश्य से एक नई इंटर्नशिप योजना की शुरुआत की है। इस योजना के तहत 1.25 लाख युवाओं को 5,000 रुपये प्रति माह का स्टाइपेंड मिलेगा। यह योजना विशेष रूप से उन युवाओं के लिए है जो अपनी पढ़ाई के बाद कार्य अनुभव प्राप्त करना चाहते हैं। इस इंटर्नशिप में भाग लेने वाले युवाओं को विभिन्न सरकारी विभागों और सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों में काम करने का मौका मिलेगा। इस पहल का उद्देश्य युवाओं को रोजगार के लिए तैयार करना और उन्हें कार्यस्थल पर जरूरी अनुभव प्राप्त करने का अवसर देना है। इस कदम से युवा कामकाजी दुनिया में कदम रखने से पहले ही अपनी स्किल्स को बेहतर बना सकते हैं, जिससे भविष्य में उनकी employability बढ़ेगी। योजना का रजिस्ट्रेशन पहले ही पूरा हो चुका है, लेकिन इसके आधिकारिक लॉन्च का इंतजार किया जा रहा है।
3. वरिष्ठ नागरिकों के लिए मुफ्त इलाज (Free Healthcare for Senior Citizens)
भारत में वरिष्ठ नागरिकों के लिए स्वास्थ्य सुविधाओं की उपलब्धता हमेशा एक बड़ा मुद्दा रही है। मोदी सरकार ने इस समस्या का समाधान निकालते हुए आयुष्मान भारत योजना के तहत 70 वर्ष और उससे ऊपर के सभी वरिष्ठ नागरिकों को मुफ्त इलाज देने का ऐलान किया। इस योजना के तहत वरिष्ठ नागरिकों को अस्पतालों में भर्ती और इलाज के लिए आर्थिक मदद मिल सकेगी। आयुष्मान भारत योजना पहले से ही लाखों लोगों के लिए फायदेमंद साबित हो चुकी है, लेकिन अब इस योजना का विस्तार करने से देश के बुजुर्गों को स्वास्थ्य सेवाओं तक बेहतर पहुंच मिलेगी। इसके अलावा, यह योजना गरीब और निम्न आय वर्ग के वरिष्ठ नागरिकों के लिए बहुत बड़ी राहत साबित हो सकती है, जो अक्सर स्वास्थ्य सेवाओं की उच्च लागत के कारण इलाज से वंचित रह जाते हैं।
4. महिलाओं के लिए तीन लाख करोड़ की योजनाएं (Three Lakh Crore for Women)
प्रधानमंत्री मोदी ने महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए केंद्रीय बजट में तीन लाख करोड़ रुपये की राशि आवंटित करने की घोषणा की। यह योजना महिलाओं के लिए कई कल्याणकारी योजनाओं को लागू करने के लिए है, जिसमें शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार, और वित्तीय स्वावलंबन जैसे क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा। इसमें लखपति दीदी योजना प्रमुख है, जिसका उद्देश्य महिलाओं को छोटे व्यवसायों के लिए वित्तीय सहायता प्रदान करना है, ताकि वे आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बन सकें। इस योजना के तहत ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में महिलाएं अपनी आर्थिक स्थिति को मजबूत कर सकती हैं, जिससे सामाजिक स्थिति में भी सुधार होगा। यह कदम महिलाओं को समाज में एक मजबूत और आत्मनिर्भर इकाई बनाने के उद्देश्य से उठाया गया है। सरकार की यह पहल महिलाओं के लिए एक नई दिशा खोल सकती है।
कदम पीछे खींचे
हालांकि, सरकार को अपने कुछ फैसलों पर कदम भी पीछे खींचने पड़े हैं, खासकर तब जब सहयोगी दलों और विपक्ष ने इन फैसलों पर विरोध किया:
1. वक्फ एक्ट संशोधन अधिनियम (Waqf Act Amendment)
वक्फ संपत्तियों को लेकर भारत में लंबे समय से विवाद होते रहे हैं। मोदी सरकार ने वक्फ एक्ट में संशोधन करने का प्रस्ताव दिया था, जिसका उद्देश्य वक्फ संपत्तियों के बेहतर प्रबंधन और उनके गलत उपयोग को रोकना था। हालांकि, जब यह संशोधन संसद में पेश हुआ, तो इसका विरोध होने लगा। कई राजनीतिक दलों ने इसे असंवैधानिक और मुस्लिम समुदाय के खिलाफ बताया। इसके चलते सरकार को यह बिल संसद में प्रस्तुत करने के बाद संयुक्त संसदीय समिति (JPC) के पास भेजने का निर्णय लिया, ताकि इस मुद्दे पर और अधिक चर्चा की जा सके और सभी पक्षों को न्याय मिले।
2. लेटरल एंट्री (Lateral Entry)
लोक सेवा आयोग के माध्यम से सरकारी सेवाओं में योग्य और अनुभवी व्यक्तियों को सीधे भर्ती करने की योजना को ‘लेटरल एंट्री’ कहा जाता है। मोदी सरकार ने इस योजना के तहत 45 उच्च पदों के लिए भर्ती प्रक्रिया शुरू की थी, ताकि सार्वजनिक क्षेत्र में दक्षता और पारदर्शिता बढ़ाई जा सके। हालांकि, विपक्ष और कुछ सहयोगी दलों ने इस योजना पर सवाल उठाए, यह आरोप लगाते हुए कि इससे केवल उन लोगों को लाभ मिलेगा जिनके पास राजनीतिक या बाहरी संपर्क होंगे। एलजेपी जैसे सहयोगी दलों के विरोध और सवालों के कारण सरकार ने इस योजना को वापस लिया। यह कदम सरकार के लिए एक कड़ा निर्णय साबित हुआ क्योंकि यह योजनाएं सरकारी सेवाओं में सुधार के उद्देश्य से लाए गए थे, लेकिन राजनीतिक दबाव ने सरकार को इसे रद्द करने के लिए मजबूर किया।
मोदी सरकार 3.0 ने देश के विभिन्न वर्गों के लिए कई महत्वाकांक्षी योजनाएं शुरू की हैं, जिनका उद्देश्य समाज के हर तबके को बेहतर जीवन स्तर प्रदान करना है। हालांकि, सरकार को गठबंधन दलों और विपक्ष के दबाव में कुछ फैसलों को वापस लेना पड़ा, जैसे वक्फ एक्ट संशोधन और लेटरल एंट्री। सरकार को इन मुद्दों पर आगे और सोच-समझकर निर्णय लेने की आवश्यकता है। इसके बावजूद, सरकार ने कई सकारात्मक कदम उठाए हैं जो भारतीय समाज और अर्थव्यवस्था को मजबूती प्रदान करेंगे।