अंतिम चरण में भारत और श्रीलंका के बीच 5 अरब डॉलर का सड़क-रेल लिंक बनाने की चर्चा
punjabkesari.in Monday, Oct 14, 2024 - 03:27 PM (IST)
नेशनल डेस्क. भारत और श्रीलंका के बीच 5 अरब डॉलर की लागत से एक महत्वपूर्ण सड़क और रेलवे लिंक बनाने की चर्चा अंतिम चरण में है। यह जानकारी श्रीलंका के पर्यावरण सचिव Prabath Chandrakeerthi ने दी। इस परियोजना का पूरा खर्च भारत उठाएगा।
यह द्विपक्षीय आधार पर घोषित पहला बड़ा बुनियादी ढांचा परियोजना है, जो हाल ही में राष्ट्रपति अनुरा कुमार दिस्सानायक के चुनाव के बाद सामने आई है। इसका उद्देश्य नई दिल्ली द्वारा चीन के प्रभाव को नियंत्रित करना है। भारत, श्रीलंका का सबसे बड़ा व्यापार भागीदार है और विदेशी प्रत्यक्ष निवेश (FDI) का एक बड़ा योगदानकर्ता भी है। 2021 में भारत का श्रीलंका में निवेश लगभग 142 मिलियन डॉलर था।
पर्यावरण सचिव ने बताया कि पिछले महीने मैंने नई दिल्ली में एक बैठक में भाग लिया और हम भारत के रामेश्वरम और श्रीलंका के त्रिनकोमाली के बीच सड़क और रेलवे कनेक्टिविटी स्थापित करने जा रहे हैं। यह कनेक्टिविटी व्यापार को बढ़ावा देगी और दोनों देशों के व्यवसायियों को लाभ पहुंचाएगी।
श्रीलंकाई सरकार ने 2002 में भारत के रामेश्वरम और श्रीलंका के मन्नार द्वीप के तालैमान्नार के बीच एक भूमि पुल बनाने का प्रस्ताव रखा था और इस पर एक समझौता भी किया गया था। लेकिन इसके बाद तमिलनाडु सरकार ने इस परियोजना का विरोध किया।
2015 में फिर से बातचीत शुरू हुई, जब भारत ने एशियाई विकास बैंक से रामेश्वरम और तालैमान्नार के बीच सड़क और रेल लिंक के लिए पूर्व-व्यावसायिक अध्ययन कराने का अनुरोध किया। लेकिन अब रेलवे और सड़क लिंक को त्रिनकोमाली तक बनाने का निर्णय लिया गया है।
श्रीलंका और भारत के बीच वर्तमान में कोई सड़क या रेलवे कनेक्शन नहीं है। भारत के धनुषकोडी में एक रेलवे स्टेशन था, लेकिन यह 1964 में आए चक्रवात में क्षतिग्रस्त हो गया। 1966 तक तालैमान्नार और धनुषकोडी के बीच एक छोटी नाव की सेवा थी।
Chandrakeerthi ने कहा कि इस परियोजना की लागत अभी तय नहीं हुई है। हमें इसके बारे में और चर्चा करनी होगी, लेकिन यह लगभग 5 अरब डॉलर के करीब होने का अनुमान है। पूरा खर्च भारतीय सरकार द्वारा उठाया जाएगा। हमें पर्यावरण मंजूरी के लिए कुछ अनुमोदन भी प्राप्त करने होंगे। इस परियोजना में पुल और पानी के नीचे सुरंगों का निर्माण भी शामिल हो सकता है, ताकि जहाजों की निर्बाध आवाजाही सुनिश्चित की जा सके।