लद्दाख के सियाचिन ग्लेशियर में भीषण हिमस्खलन, 3 सैन्यकर्मी शहीद, बचाव अभियान जारी

punjabkesari.in Tuesday, Sep 09, 2025 - 05:35 PM (IST)

नेशनल डेस्क: लद्दाख के सियाचिन बेस कैंप में मंगलवार को हुए भीषण हिमस्खलन में तीन भारतीय सैनिक शहीद हो गए। सेना के सूत्रों के अनुसार, यह हादसा "दुनिया के सबसे ऊंचे युद्धक्षेत्र" के रूप में प्रसिद्ध सियाचिन ग्लेशियर पर हुआ, जहां फिलहाल बचाव और खोज अभियान जारी है।

जानकारी के अनुसार, शहीद हुए सभी सैनिक महार रेजिमेंट से थे और वे गुजरात, उत्तर प्रदेश और झारखंड के रहने वाले थे। हादसे के बाद वे लगभग पांच घंटे तक बर्फ में फंसे रहे, जिसके बाद उनकी जान नहीं बचाई जा सकी। हालांकि, एक सेना के कैप्टन को समय रहते सुरक्षित निकाल लिया गया।

20,000 फीट की ऊंचाई पर खतरा बना रहता है

सियाचिन ग्लेशियर नियंत्रण रेखा (LoC) के उत्तरी छोर पर लगभग 20,000 फीट की ऊंचाई पर स्थित है। यहां तापमान अक्सर -60 डिग्री सेल्सियस तक गिर जाता है और हिमस्खलन जैसी घटनाएं आम मानी जाती हैं, जो इसे विश्व का सबसे कठिन और खतरनाक सैन्य क्षेत्र बनाती हैं।

पिछले वर्षों में भी हुए हैं ऐसे हादसे

यह कोई पहली घटना नहीं है जब सियाचिन में हिमस्खलन ने जवानों की जान ली हो।

2021 में सियाचिन के सब-सेक्टर हनीफ में हुए हिमस्खलन में दो सैनिक शहीद हो गए थे। करीब छह घंटे तक चले बचाव अभियान के बाद अन्य सैनिकों और कुलियों को सुरक्षित निकाला गया था।

2019 में एक और बड़े हिमस्खलन में चार सैनिक और दो कुली मारे गए थे। यह हादसा 18,000 फीट की ऊंचाई पर गश्त कर रहे एक दल पर हुआ था।

2022 में सबसे बड़ी त्रासदी अरुणाचल प्रदेश के कामेंग सेक्टर में हुई, जहां सात जवान हिमस्खलन की चपेट में आकर शहीद हो गए थे। घटना के तीन दिन बाद उनके शव बरामद किए जा सके थे।

सेना का बचाव अभियान जारी

सेना और राहत दल मौके पर मौजूद हैं और लगातार बचाव कार्य में जुटे हैं। अधिकारियों ने बताया कि खराब मौसम और बर्फबारी के बावजूद बचाव अभियान को प्राथमिकता दी जा रही है। सेना की ओर से इस हादसे पर अभी कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं हुआ है।


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Content Editor

Shubham Anand

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