2G स्पेक्ट्रमः यह खास चेहरे शामिल रहे देश के सबसे बड़े घोटाले में

punjabkesari.in Thursday, Dec 21, 2017 - 07:36 PM (IST)

नेशनल डेस्कः केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) की पटियाला हाऊस स्थित विशेष अदालत ने सबूतों के अभाव के चलते 2जी स्पेक्ट्रम आबंटन मामले में आज पूर्व दूरसंचार मंत्री ए.राजा द्रमुक नेता कनिमोझी सहित सभी आरोपियों को बरी कर दिया। 2जी स्पेक्ट्रम केस के साथ ही वो चेहरे एक बार फिर सुर्खियों में आ गए हैं जिन पर आरोप लगा था लेकिन उन सभी को आज बरी कर दिया।


जानिए कौन-कौन था इस घोटाले में शामिल

राजनीतिज्ञ

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ए. राजा
यूपीए सरकार में पूर्व दूरसंचार मंत्री और द्रमुक नेता ए. राजा को इस मामले में बड़ी कीमत चुकानी पड़ी। उन्हें पहले तो मंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा और फिर 2 फरवरी, 2011 को वे जेल गए। करीब 15 महीनों के बाद उन्हें जमानत मिली। राजा पर आरोप था कि इन्होंने नियम कायदों से परे जाकर 2जी स्पेक्ट्रम की विवादित नीलामी की। सीबीआई के मुताबिक राजा ने 2008 में साल 2001 में तय की गई दरों पर स्पेक्ट्रम बेच दिया और अपनी चुनिंदा कंपनियों को पैसे लेकर गलत ढंग से स्पेक्ट्रम आबंटित किए।

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एम.के .कनिमोझी
द्रमुक सुप्रीमो और 5 बार मुख्यमंत्री रहे एम.करुणानिधि की बेटी और राज्यसभा सांसद कनिमोझी पर भी घोटाले का आरोप लगा। कनिमोझी पर आरोप था कि इन्होंने राजा के साथ मिलकर इस घोटाले में काम किया। इन पर आरोप था कि इन्होंने अपने टीवी चैनल कलाइगनार टीवी के लिए 200 करोड़ रुपए की रिश्वत डीबी रियलटी के सहसंस्थापक शाहिद बलवा से ली और बदले में राजा ने न सिर्फ गलत ढंग से स्पेक्ट्रम दिलाया बल्कि कलाइगनार टीवी को मान्यता दी और डीटीएच सेवा में शामिल कराया। कनिमोझी पर कर चोरी करने के भी आरोप लगे। सीबीआई ने उन्हें 20 मई, 2011 को गिरफ्तार किया लेकिन उसी साल 28 नवंबर को जमानत मिल गई।


नौकरशाह भी घोटाले में संलिप्त

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सिद्धार्थ बेहुरा
सिद्धार्थ बेहुरा ए.राजा के दूरसंचार मंत्री रहने के दौरान दूरसंचार सचिव थे। सीबीआई का आरोप था कि बेहुरा बी राजा के साथ इस घोटाले में शामिल थे। इन पर आरोप था कि आवेदन का समय (3:30 से 4:30 के बीच) तय होने के दौरान उन्होंने अन्य कंपनियों के आवेदन का मौका नहीं देने के लिए काउंटर बंद करा दिया था। इनको भी 2 फरवरी 2011 को राजा के साथ गिरफ्तार किया गया था लेकिन 9 मई, 2012 को उन्हें जमानत मिल गई।

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आर.के. चंदोलिया
जिस समय यह घोटाला हुआ उस वक्त आर.के. चंदोलिया राजा के पूर्व निजी सचिव थे और उन पर आरोप था कि उन्होंने बेहुरा और राजा समेत कई लोगों के साथ मिलकर कुछ निजी कंपनियों को लाभ दिलाया। साथ ही वह आवेदन के समय (3:30 से 4:30 के बीच) वह खुद काउंटर पर बैठे थे ताकि दूसरी कंपनियां आवेदन करने में कामयाब न हो सकें। चंदोलिया को भी 2 फरवरी 2011 को गिरफ्तार किया गया और 1 दिसंबर, 2011 को उन्हें जमानत मिली। लेकिन हाईकोर्ट ने खुद इस मामले में संज्ञान लिया और उनकी जमानत रद्द कर दी। इसके बाद 9 मई, 2012 को वह रिहा हो ही गए।


कॉर्पोरेट जगत के कई नाम आए सामने

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शाहिद बलवा
स्वॉन टेलीकॉम और डीबी रियलटी के महाप्रबंधक बलवा पर सरकारी मुलाजिम के साथ मिलकर आपराधिक साजिश रचने का आरोप था जिसके कारण उनकी कंपनियों को गलत तरीके से बेहद कम दामों पर स्पेक्ट्रम आबंटित किए गए। उन्हें भी 8 फरवरी 2011 को गिरफ्तार किया गया जबकि 29 नवंबर को रिहा कर दिया गया।

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संजय चंद्रा
यूनिटेक के पूर्व महाप्रबंधक संजय चंद्रा की कंपनी भी इस स्पेक्ट्रम घोटाले में लाभ हासिल करने वालों में शुमार थी। चंद्रा पर आरोप था कि स्पेक्ट्रम हासिल करने के बाद यूनिटेक ने स्पेक्ट्रम को विदेशी कंपनियों को ज्यादों दामों पर बेच कर भारी मुनाफा कमाया। इन आरोपों के चलते उन्हें 20 अप्रैल 2011 को सीबीआई ने गिरफ्तार किया लेकिन उसी साल 24 नवंबर को उनको रिहा कर दिया गया।


आसिफ बलवा
आसिफ बलवा शाहिद बलवा के भाई हैं और कुसगांव फ्रूट्स और वेजीटेबल प्राइवेट लिमिटेड के निदेशक भी। उनकी कंपनी में 50% हिस्सेदारी थी। इन पर भी सरकारी मुलाजिम के साथ मिलकर आपराधिक साजिश रचने का आरोप था। इन्हें  29 मार्च 2011 को गिरफ्तार किया गया लेकिन 28 नवंबर को रिहा कर दिया गया।
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essar group
स्पेक्ट्रम घोटाले में एस्सार समूह के प्रोमोटर्स रवि कांत रुइया और अंशुमान रुइया तथा विकास सर्राफ का नाम सामने आया था। इनके इलावा लूप टेलीकॉम लिमिटेड, लूप मोबाइल (इंडिया) लिमिटेड और एस्सार टेलीहोल्डिंग्स लिमिटेड भी शामिल था। इन तीनों पर साजिश रचने के चलते भारतीय दंड संहिता की 120 (बी) (आपराधिक षड्यंत्र) धारा के तहत आरोप तय किए थे।

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reliance ADAG

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सुरेन्द्र पिपारा, हरी नायर और गौतम दोषी
अनिल अंबानी समूह की कंपनी (रिलायंस अनिल धीरूभाई अंबानी ग्रुप) के 3 शीर्ष अधिकारियों पर भी इस पूरी साजिश में शामिल होने का आरोप लगा था। इन तीनों पर सरकारी मुलाजिम के साथ मिलकर आपराधिक साजिश रचने और गलत तरीकों से बेहद कम दामों पर कंपनियों को स्पेक्ट्रम आबंटन कराने में शामिल होने का आरोप था। इन तीनों को 20 अप्रैल 2011 को जेल भेजा गया। हालांकि 24 नवंबर को तीनों को जमानत पर रिहा कर दिया गया।

अन्य आरोपी

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शरथ कुमार
शरथ कुमार एम.के. कनिमोझी के कलाइगनार टीवी चैनल के मैनेजिंग डायरेक्टर थे। इन पर भी गलत तरीके साजिश रचने और कम दामों पर कंपनियों को स्पेक्ट्रम आबंटन कराने का आरोप था। शरथ को 20 मई, 2011 में गिरफ्तार किया गया और 28 नवंबर को वह जेल से बाहर आए।

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विनोद गोयनका
स्वॉन टेलीकॉम और डीबी रिएलटी के निदेशक विनोद पर आरोप था कि उन्होंने अपने सांझीदार शाहिद बलवा के साथ मिलकर आपराधिक षड्यंत्र में भाग लिया था। सीबीआई ने  20 अप्रैल, 2011 को उन्हें गिरफ्तार किया लेकिन 24 नवंबर को जमानत पर रिहा हो गए।

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करीम मोरानी
सिनेयुग फिल्म्स के प्रमोटर और निदेशक करीम को भी इस घोटाले में आरोपी बनाया गया था। उन पर आरोप था कि कुसगांव फ्रूट्स और वेजिटेबल प्राइवेट लिमिटेड से 200 करोड़ रुपए से ज्यादा लिए और कनिमोझी को 200 करोड़ रुपए रिश्वत के रूप में दिए गए ताकि शहीद बलवा की कंपनियों को स्पेक्ट्रम आबंटित करा दिया जाए।

राजीव अग्रवाल
कुसगांव फ्रूट्स और वेजिटेबल प्राइवेट लिमिटेड के निदेशक राजीव अग्रवाल पर आरोप था कि उनकी कंपनी से 200 करोड़ रुपए रिश्वत के लिए करीम मोरानी की कंपनी सिनेयुग को दिए गए जो बाद में करुणानिधि की बेटी कनिमोझी तक पहुंचाए गए। राजीव को 29 मार्च, 2011 को गिरफ्तार किया गया और 28 नवंबर को रिहा हो गए।
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इसके अलावा 3 कंपनियों के खिलाफ भी चार्जशीट दाखिल की गई थी जिसमें यूनिटेक वायरलैस, रिलायंस टेलीकॉम और स्वान टेलीकॉम शामिल हैं और इन पर भी आरोप लगाए गए थे लेकिन कोर्ट ने आज सभी कोे बरी कर दिया।


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