झुग्गि - बस्तीयों में नहीं खत्म हो रहे 2000 के नोट, एक साल से हो रहा है काले धन का सफाया
punjabkesari.in Thursday, Nov 21, 2024 - 01:09 PM (IST)
नेशनल डेस्क: केंद्र सरकार द्वारा 19 मई 2023 को 2000 रुपये के नोटों को चलन से बाहर करने के बाद, शहर की राजीव नगर बस्ती में एक अजीब और चौंकाने वाली घटना सामने आई है। यहां के लोग आरबीआई (भारतीय रिजर्व बैंक) से लगातार 2000 रुपये के नोट बदलवाने के लिए पहुँच रहे हैं। 30 सितंबर 2023 के बाद भी यह प्रक्रिया जारी है, और रोज़ाना लगभग 200 महिलाएं सुबह-सुबह नोट बदलवाने के लिए बैंक पहुंच रही हैं। इस पूरे मामले को लेकर आरोप है कि एक संगठित गिरोह सक्रिय है, जो काले धन को सफेद करने का काम कर रहा है।
गिरोह का तरीका और काम करने की विधि
जानकारी के अनुसार, राजीव नगर बस्ती में एक संगठित गिरोह काम कर रहा है, जो रोज़ाना 200 महिलाओं को 2000 रुपये के नोट बदलने के लिए भेजता है। इन महिलाओं को सुबह 7 बजे से 9 बजे के बीच गिरोह के सदस्य 10-10 नोट देते हैं और वे इन नोटों को आरबीआई में बदलने के लिए भेजी जाती हैं। इसके बदले में हर महिला को 200 रुपये का भुगतान किया जाता है। गिरोह के सदस्य महिलाओं से आधार कार्ड की फोटो कॉपी लेते हैं और उन्हें अलग लाइन में लगने के लिए कहते हैं।
नोट बदलने की प्रक्रिया
आरबीआई में महिलाओं को 20,000 रुपये के 2000 के नोटों के बदले 500 रुपये के 30 नोट दिए जाते हैं। साथ ही, अतिरिक्त 5000 रुपये 2-2 रुपये के सिक्कों के रूप में दिए जाते हैं। इस पूरी प्रक्रिया को अंजाम देने के बाद ये नोट और सिक्के बस्ती में ही स्थित दो दुकानों पर जमा कर दिए जाते हैं। फिर इन नोटों और सिक्कों को बोरियों में भरकर लोडिंग ऑटो से भोपाल के विभिन्न इलाकों में भेजा जाता है, जैसे बैरागढ़, रेतघाट, अशोका गार्डन आदि। इस तरह से यह गिरोह बड़े कारोबारियों के काले धन को सफेद करने में सक्रिय है।
पुलिस और सुरक्षा एजेंसियों की मिलीभगत का संदेह
हालांकि, यह काम बड़े स्तर पर चल रहा है, लेकिन इसके बावजूद स्थानीय पुलिस और अन्य सुरक्षा एजेंसियों की निगरानी में कोई खास कार्रवाई होती नहीं दिख रही है। राजीव नगर बस्ती के आसपास सीसीटीवी कैमरे और सुरक्षा गार्ड तैनात हैं, लेकिन इस गिरोह के सदस्य खुलेआम आरबीआई से नोट बदलने के बाद बस्ती में पहुंचते हैं, बिना किसी पूछताछ के। रिपोर्ट्स के मुताबिक, आरबीआई में जाते ही सुरक्षा टीम मोबाइल फोन बंद करा देती है, ताकि कोई सबूत बाहर न जा सके। इससे यह सवाल उठता है कि क्या स्थानीय पुलिस और इंटेलिजेंस एजेंसियां इस गिरोह के कामकाज से अनजान हैं, या फिर उनके साथ किसी तरह की मिलीभगत हो सकती है। गिरोह के सदस्य बड़ी चतुराई से काम करते हैं और इन महिलाओं को काम पर लगा कर आसानी से काले धन को सफेद कर रहे हैं।
बड़े कारोबारियों का काले धन को सफेद करने का तरीका
कहा जा रहा है कि यह गिरोह बड़े व्यापारियों के काले धन को सफेद करने में मदद कर रहा है। 2000 रुपये के नोटों को बदलवाने के बाद इन नोटों का इस्तेमाल छोटे कारोबारियों के तौर पर किया जा रहा है, ताकि बड़े पैमाने पर काले धन को वाइट किया जा सके। यह गिरोह इस प्रक्रिया को एक साल से अधिक समय से चला रहा है और रोज़ाना लाखों रुपये का लेन-देन हो रहा है।
स्थानीय निवासियों की प्रतिक्रिया
राजीव नगर बस्ती के आसपास के निवासी इस गिरोह के कामकाज को देखकर हैरान हैं। उनका कहना है कि यह सब खुलेआम हो रहा है, लेकिन किसी भी प्रकार की कार्रवाई नहीं की जा रही। यहां के निवासी यह भी आरोप लगा रहे हैं कि कुछ स्थानीय पुलिसकर्मी और सुरक्षाकर्मी भी गिरोह के कामकाज में मदद कर रहे हैं। इसके बावजूद, इस पूरी घटना के बारे में किसी भी सरकारी अधिकारी की ओर से कोई स्पष्ट बयान नहीं आया है।
नोट बदलने के बाद की स्थिति
आरबीआई से नोट बदलवाने के बाद अधिकांश महिलाएं और गिरोह के अन्य सदस्य हाथों में सिक्कों और नोटों के थैले लेकर बस्ती लौटते हैं। यह दृश्य किसी भी बाहर के व्यक्ति के लिए चौंकाने वाला होता है, क्योंकि ऐसे पैकेट लेकर इन लोगों को खुलेआम सड़कों पर देखा जाता है। इसके बावजूद, इस अवैध कारोबार के खिलाफ कोई सख्त कदम नहीं उठाया जा रहा है। भोपाल के राजीव नगर बस्ती में 2000 रुपये के नोटों को बदलवाने का यह मामला एक बड़ा सवाल खड़ा करता है। क्या सरकार और सुरक्षा एजेंसियां इस गहरे काले धन के नेटवर्क को पहचानने में नाकाम हो गई हैं? क्या स्थानीय प्रशासन इस गिरोह की जांच और कार्रवाई को लेकर गंभीर नहीं है? इन सवालों का जवाब सिर्फ समय ही दे सकेगा, लेकिन फिलहाल यह स्पष्ट है कि इस गिरोह के सक्रिय रहने से काले धन के सफाए में कोई बड़ी बाधा नहीं आ रही है।