मां-बाप गोरे लेकिन बच्चा पैदा हुआ काला, इसकी वजह है ये एक मेडिकल कंडीशन
punjabkesari.in Tuesday, Nov 12, 2024 - 08:58 PM (IST)
नेशनल डेस्क : दैनिक जीवन में हम अक्सर ऐसी खबरें सुनते हैं जो हमें चौंका देती हैं और सोचने पर मजबूर कर देती हैं। आज हम आपको एक ऐसी ही घटना के बारे में बताने जा रहे हैं, जो न सिर्फ हैरान करने वाली है, बल्कि एक नए तरह के सामाजिक मुद्दे को भी उजागर करती है। यह मामला एक पति द्वारा अपनी पत्नी को तलाक देने से जुड़ा है, और इसका कारण था, उसकी पत्नी द्वारा जन्मे बच्चे का रंग।
हाल ही में चीन से एक अजीब और चौंकाने वाली घटना सामने आई है, जिसने सभी को हैरान कर दिया। एक 30 साल की महिला ने शंघाई के एक अस्पताल में एक बेटे को जन्म दिया, जो दिखने में काले रंग का था और उसकी त्वचा इतनी गहरी थी कि उसे एक अश्वेत (ब्लैक) व्यक्ति जैसा ही माना गया। इस मामले ने काफी सुर्खियां बटोरीं और अब यह विवादों में घिरा हुआ है। आइए जानते हैं पूरी कहानी।
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बच्चा देख हैरान हुए पिता
जब महिला के पति ने पहली बार अपने नवजात बेटे को देखा, तो वह पूरी तरह से चौंक गए। उन्होंने देखा कि बच्चे की त्वचा इतनी काली थी कि उसे एशियाई (चीन के स्थानीय) बच्चे की तरह देखना मुश्किल था। वह बच्चे को देख कर सोच में पड़ गए और उनके मन में कई सवाल उठे। बच्चा बिल्कुल एक अश्वेत व्यक्ति जैसा दिखाई दे रहा था, जो एक बड़ा हैरान कर देने वाला मामला था।
तलाक के बाद पैटर्निटी टेस्ट की सलाह
बच्चे को देखकर पिता ने तुरंत अपील की कि यह बहुत अनुचित है और वह इस बात को समझ नहीं पा रहे थे कि आखिर ऐसा क्यों हुआ। पिता ने कहा, "मैं किसी भी ब्लैक मैन को नहीं जानता", और इसी कारण उन्होंने सोचा कि बच्चा उनके नहीं हो सकता। उन्होंने आगे बताया कि उनके बेटे के जन्म के बाद उनका पत्नी से तलाक हो गया। इस पूरे मामले के सामने आने के बाद कई लोगों ने पैटर्निटी टेस्ट (DNA टेस्ट) कराने की सलाह दी, ताकि यह तय किया जा सके कि बच्चा किसका है।
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डॉक्टर का बयान: क्या होता है नवजात की त्वचा का रंग?
डॉक्टरों ने इस मामले को लेकर कुछ स्पष्ट बातें कही हैं। कई डॉक्टरों का कहना है कि नवजात शिशु की त्वचा का रंग जन्म के समय अस्थायी रूप से गहरा होता है। "नवजात शिशुओं की त्वचा गहरे रंग की या लाल हो सकती है, लेकिन समय के साथ यह रंग हल्का हो जाता है"। कई शिशुओं की त्वचा जन्म के तुरंत बाद लाल या गहरे रंग की होती है, लेकिन जैसे-जैसे समय बीतता है और उनका रक्त परिसंचरण बेहतर होता है, उनकी त्वचा का रंग बदलने लगता है।
नवजात बच्चों के त्वचा रंग का परिवर्तन
मेडिकल टीम ने बताया कि नवजात शिशुओं की त्वचा में पतले टिशू और खराब रक्त संचार की वजह से यह रंग परिवर्तन होता है। इसके बाद जब शिशु सांस लेना शुरू करता है, तो उनकी त्वचा का रंग भी बदलने लगता है। आमतौर पर, "नवजात शिशु की त्वचा का रंग पहले दिन में लाल हो जाता है और पहले दिन के बाद यह रंग हल्का होने लगता है"। डॉक्टरों का मानना है कि शिशु का असली रंग करीब 3 से 6 महीने में दिखाई देता है।
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क्या इस मामले में पैटर्निटी टेस्ट जरूरी है?
इस घटनाक्रम के बाद बहुत से लोग इस बात पर चर्चा कर रहे हैं कि क्या यह बच्चा वास्तव में उसी दंपत्ति का है या फिर कोई अन्य वजह हो सकती है। यह मामला अब समाज में एक बड़ा विवाद बन गया है। हालांकि, कुछ डॉक्टरों ने यह भी कहा है कि इस तरह की घटनाएं असामान्य नहीं हैं, और यह एक प्राकृतिक प्रक्रिया हो सकती है।
यह घटना एक उदाहरण है कि कभी-कभी जन्म के समय एक बच्चे का रंग अस्थायी रूप से अलग दिख सकता है। डॉक्टरों के मुताबिक, नवजात शिशु के रंग में बदलाव समय के साथ हो सकता है। हालांकि, बच्चे के असामान्य रंग के कारण परिवार में उत्पन्न हुआ विवाद और तलाक का मामला समाज में एक नई बहस का कारण बन चुका है।