कोरोना से सूरत में 14 दिन के बच्चे की मौत, दिल्ली-गाजियाबाद में भी मासूम ज्यादा चपेट में

punjabkesari.in Thursday, Apr 15, 2021 - 10:52 AM (IST)

नेशनल डेस्क: कोरोना की दूसरी लहर में अधिक उम्र वालों के अलावा इस बार बच्चे भी शिकार बन रहे हैं। बच्चों में भी रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होती है जिससे वे जल्दी इस संक्रमण का शिकार हो रहे हैं। देश के कई राज्यों में कोरोना से बुरे हाल हैं। गुजरात के अहमदाबाद, सूरत, वडोदरा में कोरोना संक्रमण तेजी से फैल रहा है। सूरत के न्यू सिविल अस्पताल में 14 दिन के बच्चे की कोरोना से मौत हो गई। वहीं सरत के एक अन्य स्पताल में 14 दिन की बच्ची की हालत गंभीर बनी हुई और उसे वेटिंलेटर पर रखा गया है। अहमदाबाद सिविल अस्पताल के डाक्टरों के मुताबिर पिछली बार के मुकाबले इस बार ज्यादा युवा और बच्चे कोरोना की चपेट में आ रहे है और 15 प्रतिशत सिर्फ युवा मरीजों क मौत हुई है। 

 

दिल्ली में भी बच्चों पर कोरोना का साया
दिल्ली में भी बच्चे कोरोना की चपेट में ज्यादा आ रहे हैं। बच्चों में कोरोना के इतने गंबीर लक्षण हैं कि उनको अस्पताल में भर्ती करना पड़ रहा है। लोकनायक अस्पताल में कोरोना से गंभीर आठ बच्चे भर्ती हैं जिनकी उम्र 8 से 12 साल के बीच है। इन बच्चों को तेज बुखार, डायरिया, न्यूमोनिया और स्वाद का नहीं पता लगने जैसे लक्षण बताए जा रहे हैं। गाजियाबाद में तो इससे भी ज्यादा बुरे हाल हैं। गाजियाबाद में 130 बच्चे कोरोना संक्रमित हैं। वहीं हरियाणा में आठ प्रतिशत बच्चे कोरोना से संक्रमित हैं। 

 

शवों के अंतिम संस्कार के लिए लगी भीड़
गुजरात में बीते एक हफ्ते से शमशानों में भारी भीड़ देखने को मिल रही है, जिसके चलते कोविड-19 या अन्य रोगों के कारण जान गंवाने वाले लोगों के संबंधियों को उनके अंतिम संस्कार के लिए घंटों इंतजार करना पड़ रहा है। हिंदू धर्म में आमतौर पर सूरज ढलने के बाद अंतिम संस्कार नहीं किया जाता। लेकिन इन दिनों शमशानों में शवों की भारी संख्या के चलते लोगों को रात में भी अंतिम संस्कार करना पड़ रहा है। सूरत शहर के उमरा इलाके के एक शमशान में दो दिन पहले रात के समय एक साथ 25 शवों का लकड़ियों से बनी चिताओं पर अंतिम संस्कार किया गया। वडोदरा में भी शमशानों में भीड़ बढ़ने के कारण लोगों को रात में ही अंतिम संस्कार करने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है। हालात से निपटने और इंतजार के घंटे कम करने के लिये अधिकारियों ने कुछ शमशानों में लोहे की चिताओं का भी इंतजाम किया है। साथ ही जिन शमशानों में अंतिम संस्कार नहीं किया जा रहा था, उन्हें भी खोल दिया गया है। अहमदाबाद शहर में कुछ मृतकों के परिजनों ने दावा किया कि उन्हें शमशान में आठ घंटे से अधिक समय तक इंतजार करना पड़ा।


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Content Writer

Seema Sharma

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