महालक्ष्मी व्रत कल: मां लक्ष्मी का आशीर्वाद पाने के लिए इस विधि से करें व्रत-पूजन

punjabkesari.in Thursday, Sep 22, 2016 - 08:12 AM (IST)

आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को महालक्ष्मी व्रत करने का विधान है। शास्त्रों में महालक्ष्मी के आठ स्वरूपों का वर्णन किया गया है। इस दिन मां के गजलक्ष्मी स्वरूप की आराधना करने का विधान है। कल 23 सितंबर, शुक्रवार को इनका व्रत व पूजन करने का विधान है।   

 

कैसे करें महालक्ष्मी पूजन: प्रात:काल स्नान से पहले हरी दूब (दूर्वा) को अपने पूरे शरीर पर घिसें। स्नान से निवृ्त होकर व्रत का संकल्प करें। पूरा दिन व्रत रखकर संध्या के समय लकड़ी की चौकी पर श्वेत रेशमी कपड़ा बिछाएं। इसके बाद देवी लक्ष्मी के गजलक्ष्मी यंत्र स्थापित करें। इसके बाद एक कलश पर अखंड ज्योति स्थापित करें, तथा यंत्र को पंचामृ्त से स्नान कराकर सोलह प्रकार से पूजन करें। मेवा, मिठाई, सफेद दूध की बर्फी का भोग लगाएं। 

 

पूजन सामग्री में चंदन, ताल, पत्र, पुष्प माला, अक्षत, दूर्वा, लाल सूत, सुपारी, नारियल रखें। नए पीले सूत के 16-16 की संख्या में 16 बार सागड़े रखें। पीले कलावे में 16 गांठे लगाकर लक्ष्मी जी को अर्पित करें। इसके बाद महालक्ष्मी पर सोलह सिंघार चढ़ाएं। मीठे रोट का भोग लगाएं।

 

पूजन के समय ध्यान रखें की देवी का मुख उत्तर दिशा में हो व सभी व्रती पश्चिम दिशा की ओर मुंह करके पूजन करें।

 

चंद्रमा के निकलने पर तारों को अर्घ दें व उत्तरमुखी होकर पति-पत्नी एक–दूसरे का हाथ थाम कर देवी महालक्ष्मी को दीपावली पर अपने घर आने के लिए तीन बार आग्रह करें। 

 

इसके बाद देवी पर चढ़ाई 16 वस्तुएं चुनरी, सिंदूर, लिपिस्टिक, रिबन, कंघी, शीशा, बिछिया, नाक की नथ, फल, मिठाई, मेवा, लौंग, इलायची, वस्त्र, रुमाल श्रीफल इत्यादि विप्र पत्नी अर्थात ब्राह्मणी को दान करें। 

 

पूजन पश्चात 16 गांठे लगाएं हुए पीले कालवा घर का हर सदस्य ब्राह्मणी द्वारा अपनी कलाई पर बंधवाएं। 

 

मंत्र: ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं गजलक्ष्म्यै नमः॥   


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