महाकुंभ: 2013 से लेकर अब तक कितना परिवर्तन आया पढ़े, कुंभ की कहानियां

punjabkesari.in Tuesday, Apr 26, 2016 - 09:08 AM (IST)

विश्व का सबसे बड़ा धार्मिक आयोजन महाकुंभ प्रत्येक 12 वर्ष में होता है।इतिहासविदों के अनुसार यह किवदंती 19वीं सदी में लोकप्रिय हुई थी कि इलाहाबाद, हरिद्वार, उज्जैन तथा नासिक में अमृत गिरा था।

कुंभ की कहानियां

2013 में इलाहाबाद महाकुंभ 

* 12 करोड़  श्रद्धालु, नागा साधु तथा पर्यटक  इलाहाबाद में गंगा नदी के तट पर वर्ष 2013 में आयोजित महाकुंभ में उमड़े थे। इस महाकुंभ का आयोजन अमरीका के मैनहट्टन महानगर के करीब एक-तिहाई इलाके जितने बड़े क्षेत्र में किया गया था। वहीं इससे पहले 2001 में 55 दिन चले इलाहाबाद महाकुंभ मेले के सबसे व्यस्त दिन 4 करोड़ लोग जमा हुए थे।

* 12 हजार से 15 हजार करोड़ रुपए का कारोबार 2 महीने से ज्यादा चले 2013 के महाकुंभ में हुआ।

* 39 करोड़ संदेशों का आदान-प्रदान हुआ (फोन कॉल, मैसेज आदि)। किसी एक स्थान पर यह मोबाइलों का सबसे ज्यादा प्रयोग था। 

* 14 करोड़ 60 लाख टैक्स्ट मैसेज और साढ़े 24 करोड़ फोन कॉल 50 दिन से ज्यादा लम्बे इस आयोजन के दौरान किए गए। 

2015 में नासिक कुंभ

कुंभाथन नामक इस आयोजन के लिए ‘एम.आई.टी. मीडिया लैब्स’ ने 1 वर्ष लम्बे ‘इनोवेशन सैंड बॉक्स’ परियोजना की शुरूआत की थी। इसके तहत वैज्ञानिकों व छात्रों ने विभिन्न परियोजनाओं पर कार्य किया। उदाहरण के लिए भोजन के लिए विशेष आपूर्ति इंतजाम, कैशलैस पेमैंट सिस्टम, महामारी नियंत्रण के लिए विशेष निगरानी, थ्री डी मैपिंग (नक्शों में साफ-साफ इन्फोग्राफिक्स द्वारा सभी महत्वपूर्ण स्थान दिखाई देते थे जिनमें सैंट्रल ऑफिस, पुलिस स्टेशन, फायर ब्रिगेड, डिस्पैंसरी, शौचालय तथा वाटर टैंक आदि को विभिन्न भाषाओं से चिन्हित किया गया था)। 

 

इसके अलावा वहां ऐसे रियल टाइम सिस्टम का इस्तेमाल भी किया गया जिससे विभिन्न इलाकों में भीड़ का घनत्व पता चलता था ताकि समय रहते भगदड़ को रोका जा सके। इसके अलावा ऐसी परियोजनाएं भी चलाई गईं जैसे ‘वन टाइम पासकोड’ देना जिनसे साइकिलों के लॉक खोले जा सकते थे या ऐसा ‘ऑयल एक्स्ट्रैक्टर’ तैयार करना  जिससे मंदिरों से निकलने वाले कचरे से दोबारा इस्तेमाल के लिए तेल निकाला जा सकता था।

2016 में उज्जैन कुंभ मेला 

* 10 करोड़ से ज्यादा लोगों के मध्यप्रदेश के उज्जैन में सिंहस्थ कुंभ मेले में शामिल होने की आशा है। 

* 40 मोबाइल टावर तथा 10 नए टैलीफोन एक्सचेंज बी.एस.एन.एल. वहां स्थापित कर रहा है ताकि 24 घंटे सरलता से सम्पर्क में रहा जा सके। 

* 350 वैज्ञानिक और इंजीनियर ‘जी.पी.एस. ट्रैकर’ और ‘वियरेबल डिवाइसेका’ का प्रयोग करके भीड़ का नक्शा बनाने तथा लोगों की गतिविधियों के रुझानों पर नजर रखेंगे। उनका उद्देश्य ऐसा सिस्टम बनाना है जिससे भगदड़ होने की किसी भी संभावना की चेतावनी पहले ही दी जा सके। 

* 30 मिनट पहले ऐसी दुर्घटना की चेतावनी जारी की जा सकेगी।

 

बॉलीवुड की कई फिल्में सगे भाइयों के कुंभ मेलों में बिछडऩे की कहानियों पर बनी हैं। कुंभ मेलों में ‘भूले-भटके शिविर’ भी होते हैं। यहां लोग मेले में बिछड़े अपने भाई-बहनों, बच्चों, माता-पिता की तलाश करने के लिए माइक पर घोषणाएं करवा सकते हैं जो मेले में दूर-दूर तक सुनाई देती हैं। 

 

‘‘यह सब हैरतअंगेज है। लोगों में ऐसी आस्था है जिसकी शक्ति इतनी बड़ी संख्या में बुजुर्गों, कमजोरों तथा बच्चों को भी बिना किसी झिझक या शिकायत के ऐसी अविश्वसनीय यात्राएं तथा हर तरह के कष्टों को सहने के लिए सक्षम बना देती है। मैं नहीं कह सकता कि वे ये सब प्रेम या किसी भय की वजह से करते हैं। चाहे इसके पीछे प्रेरणा कोई भी क्यों न हो, यह सब कल्पना से परे है।’’

-मार्क ट्वेन 

(विश्वविख्यात अमरीकी लेखक) 

‘‘कई लोग ‘अपनी तलाश’ में कुंभ मेले में जाते हैं... अगर मुझे खुद को तलाश करना होता तो मुझे नहीं लगता कि मैं ऐसे किसी मेले में खुद को ढूंढ पाता जहां 2 करोड़  लोग मौजूद हों।’’

-कार्ल पिलकिंगटन 

(अंग्रेज कलाकार) 


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