भविष्य जानने की प्राचीन विधि, स्वभाव और किस्मत का पता लगाएं
punjabkesari.in Wednesday, Jun 22, 2016 - 02:25 PM (IST)

गेहुएं रंग का मांस-बिंदु, जो त्वचा के ऊपर रक्त विकार के कारण उभर आता है और कुछ समय बाद स्वयं ही अथवा औषधोपचार से कट कर गिर जाता है। आकार के अनुसार मस्सा यदि राई अथवा बाजरे के दाने के बराबर हो तो वह अच्छा होता है। इससे बड़े आकार का हो तो वह शुभ नहीं माना जाता। एक बात स्मरण रखने योग्य है कि जब कभी मस्से का जन्म होता है अर्थात मस्से का उद्गम आरंभ हो जाता है, उस समय जातक के मन में चिंताएं उत्पन्न होना आदि उसके प्रभाव स्वरूप आरंभ हो जाते हैं। तदुपरांत जब मस्सा पूर्ण हो जाता है, तब यह अपना प्रभाव प्रदर्शित करना आरंभ कर देता है। पश्चिमी विद्वानों ने मस्सा तथा लहसुन आदि का प्रभाव भी तिल के समान ही माना है परंतु भारतीय विद्वानों ने इन सबके प्रभाव के विषय में अलग-अलग वर्णन किया है।
मस्से के तीन भेद कहे गए हैं :
1 शरीर की त्वचा पर काले रंग का बाहर की ओर निकला (उठा) हुआ मांस-बिंदू।
2 त्वचा के भीतर दबा हुआ, परंतु कुछ उभरा हुआ रोमयुक्त मांस-बिंदू।
3 यदि सिर के ऊपरी भाग पर मस्सा हो तो जातक को विपुल धन की प्राप्ति होती है।
मस्सों द्वारा भविष्य
* यदि सिर के पिछले भाग पर मस्सा हो तो उसे सौभाग्य का लक्षण समझना चाहिए।
* यदि ललाट पर मस्सा हो तो धन का आगम अधिक होता है।
* यदि मस्तक पर मस्सा हो तो जातक को प्रत्येक स्थान पर लाभ, यश एवं मान-सम्मान की प्राप्ति होती है।
* यदि भौंह के ऊपर मस्सा हो तो उसे प्रतिकूल हालात का लक्षण समझना चाहिए।
* यदि दोनों भौंहों के बीच में मस्सा हो तो जातक को प्रियजनों का साथ एवं सहयोग विशेष रूप से प्राप्त होता है।
* यदि आंख की पलकों के ऊपर मस्सा हो तो वह जातक को परेशानी देने वाला होता है।
* यदि नेत्र पर मस्सा हो तो जातक को अपने प्रियजनों के दर्शन का सुख प्राप्त होता है।
* यदि कनपटी अथवा भौंह के ऊपर ललाट एवं आंख की हड्डी के संगम-स्थल पर मस्सा हो तो जातक के स्वभाव में विरक्ति का संकेत है।
* जिस स्थान से आंख से आंसू गिरते हैं उस स्थान पर मस्सा हो तो जातक के हृदय में चिंता उत्पन्न होती है।
* यदि नाक पर मस्सा होने पर जातक को नवीन वस्त्र प्राप्त होता है।
* यदि गाल पर मस्सा हो तो जातक को पुत्र रत्न की प्राप्ति होती है।
* यदि होंठ पर मस्सा हो तो उत्तम भोजन की प्राप्ति होती है।
* यदि कान पर मस्सा हो तो जातक को आध्यात्मिक ज्ञान अथवा आभूषणों की प्राप्ति होती है।
* यदि कंठ पर मस्सा हो तो जातक को खाने-पीने के अच्छे पदार्थ प्राप्त होते हैं।
* यदि हंसली (सिर और गर्दन के जोड़ वाला भाग) पर मस्सा हो तो लोहे के शस्त्र अथवा औजार द्वारा ग्रीवा पर चोट लगती है।
* यदि हृदय अथवा वक्ष स्थल पर मस्सा हो तो जातक को पुत्र की प्राप्ति होती है।
* यदि पसली अथवा उसके नीचे मस्सा हो तो जातक को दुख प्राप्त होता है।
* यदि कंधे पर मस्सा हो तो जातक निरर्थक भ्रमण करता है।
* यदि आंख पर मस्सा हो तो जातक के धन का अनेक प्रकार से नाश होता है।
* यदि पीठ पर मस्सा हो तो दुख एवं चिंताओं से छुटकारा मिलता है।
* यदि कलाई पर तथा उंगलियों पर मस्सा हो तो जातक स्वयं बंधन को प्राप्त होता है।
* यदि पेट पर मस्सा हो तो वह दुख क्लेश कारक होता है।
* यदि नाभि पर मस्सा हो तो जातक को उत्तम भोजन एवं पेय पदार्थों की प्राप्ति होती है।
* नाभि के नीचे मस्सा हो तो चोरी के कारण जातक के धन की हानि होती है।
* पेडू पर मस्सा हो तो सुंदर स्त्री तथा पुत्र की प्राप्ति होती है।
* जांघ पर मस्सा हो तो स्त्री तथा वाहन का लाभ होता है।
* घुटनों पर मस्सा होने पर जातक को शत्रुओं के कारण हानि उठानी पड़ सकती है। यह अशुभ माना जाता है।
* पिंडलियों पर मस्सा होने की स्थिति में शस्त्राघात से पीड़ा होती है।
* यदि टखनों पर मस्सा हो तो जातक को बंधन का दुख अथवा यात्रा में कष्ट उठाना पड़ता है।
* नितम्ब पर मस्से का होना धन का नाश होने की संभावना की चेतावनी है।
* एड़ी पर मस्सा होना यह संकेत देता है कि किसी से अनुचित संबंध स्थापित हो सकता है या यात्रा करनी पड़ सकती है।
* पांव की उंगलियों पर मस्सा होने पर बंधन का दुख भोगना पड़ सकता है।
* यदि पांव के अंगूठे पर मस्सा हो तो जातक को अन्य लोगों द्वारा मान-सम्मान प्राप्त होता है।
(राजा पाकेट बुक्स द्वारा प्रकाशित ‘भविष्य जानने की 51 प्राचीन विधियां’ से साभार) —पं. कमल राधाकृष्ण ‘श्रीमाली