शारीरिक अंगों से मिलते हैं भविष्य के संकेत, आईए जानें कैसे

punjabkesari.in Thursday, Jan 07, 2016 - 03:45 PM (IST)

कुछ फलित शास्त्रों एवं संहिता ग्रंथों में अनेकों निमित्तों का वर्णन पूर्ण विस्तार से किया गया है। निमित्त उन लक्षणों को कहते हैं जिन्हें देख कर अतीत में घटित हुई और भविष्य में घटित होने वाली घटनाओं का निरूपण किया जाता है। इन्हीं के अंतर्गत शारीरिक अंगों के स्फुरण से आगामी समय में प्राप्त होने वाले शुभाशुभ फल का वर्णन संक्षेप में किया गया है-

1 यदि किसी व्यक्ति में मस्तक, ललाट तथा घुटनों से एड़ी के मध्य पिंडलियों में से किसी एक या ज्यादा स्थानों पर स्फुरण हो तो यह समझना चाहिए कि आगामी समय में भूमि लाभ होगा। उस व्यक्ति को अत्यंत ही कम धन खर्च पर अत्यधिक भूमि प्राप्त होगी। नौकरी पेशा व्यक्ति अपना मनोवांछित स्थानांतरण प्राप्त करेगा।
 
2 यदि हाथ की हथेली में स्फुरण हो तो द्रव्य लाभ होता है। बाईं हथेली में स्फुरण होने से धन आता है और दाईं हथेली में स्फुरण होने से धन जाता है।
 
3 यदि किसी व्यक्ति के कंधे अथवा कंठ में स्फुरण हो तो व्यक्ति के भोग विलास के साधनों में वृद्धि होगी। ऐसे धन प्राप्ति की आशा भी होती है जिसके पाने की कोई आशा ही न हो।
 
नेत्र स्फुरण अन्य सभी अंग स्फुरणों से अधिक महत्वपूर्ण बतलाया जाता है इनका स्फुरण निम्र प्रकार से माना गया है-
1 दाहिनी आंख की निचली पलक का कान के पास वाला भाग अथवा बाईं आंख की ऊपरी पलक के कान के पास वाले भाग में स्फुरण स्वास्थ्य के प्रति हानिकारक होता है।
 
2 दाईं आंख की निचली पलक का मध्य हिस्सा अथवा बाईं आंख की ऊपरी पलक के नाक के पास वाला हिस्सा यदि स्फुरित होता है तो आगामी समय के खतरे की सूचना का संकेत है।
 
3 दाईं आंख की निचली पलक का नाक के पास वाला हिस्सा अथवा बाईं आंख के निचली पलक का मध्यभाग जब स्फुरित हो तो धनहानि अवश्यम्भावी है।
 
4 दाईं आंख की ऊपरी पलक का कान के निकट का भाग अथवा बाईं आंख की निचली पलक के नाक के पास वाले हिस्से में स्फुरण शुभ समाचार प्राप्ति के संकेत हैं।
 
5 वक्ष स्फुरण यदि हो तो विजय प्राप्त होती है। शत्रु नाश होता है, मुकद्दमों में भी विजय श्री मिलती है। बार-बार जिस कार्य में असफलता मिली हो, उसमें भी सफलता प्राप्त होती है।
 
6 कटि स्फुरण से आमोद-प्रमोद में वृद्धि होती है।
 
7 हृदय स्फुरण से मनोवांछित सिद्धि प्राप्त होती है।
 
8 गुदा स्फुरण से वाहन सुख की प्राप्ति होती है।
 
9 आंत अथवा आमाशय स्फुरण से रोग मुक्ति की सूचना मिलती है।
 
10 पीठ का लगातार स्फुरण आगामी समय में किसी संकट की सूचना देता है।
 
11 भुजाओं के फड़कने से मधुर भोजन व धन प्राप्ति की सूचना मिलती है। कहा भी गया है कि यदि किसी कंगाल की भुजा 15 दिनों तक फड़के तो वह करोड़पति हो जाता है।
 
12 पाद तलों (पैरों की तली) से यदि स्फुरण हो तो अनायास ही मान प्रतिष्ठा मिलती है।
 
13 नासिका, कटिपाश्र्व, लिंग, अधर, कपोल तथा जंघा में किसी भी भाग के स्फुरित होने पर प्रीतिसुख (प्रेम) प्राप्त होता है अर्थात प्रिय मिलन या किसी ऐसे नजदीकी व्यक्ति से मुलाकात होगी जिसके मिलन से सुख प्राप्त होगा।
 
उपरोक्त अंग स्फुरणों के फल प्राप्ति के संबंध में कभी-कभी तो फल शीघ्र ही प्राप्त हो जाते हैं किंतु कभी-कभी देर से प्राप्त होते हैं लेकिन यह सत्य है कि प्रत्येक स्फुरण एक सौर मास के अंतर्गत अपने फल को अवश्य ही प्राप्त कर लेता है। अंगों में लगातार स्फुरण ही लाभदायी व फलदायक होता है। क्षणिक स्फुरण का फल बहुत कम प्राप्त होता है।
 
स्त्रियों के बाएं अंगों का तथा पुरुषों के दक्षिणांगों (दाएं) का फड़कना शुभ माना गया है। अत: उपयुक्त फलितांतर्गत जो भाग दाएं-बाएं में योग्य विभाजित किए जा सकते हैं उनके फल को भी तदनुसार ही समझना चाहिए। जिन भागों में योग्य विभाजन संभव नहीं है उनके फलित स्त्री पुरुष दोनों में समान होंगे।
 
अंगों के स्फुरण के संबंध में एक विचारणीय बिंदू सामने आता है कि आज के इस इंटरनैट युग में क्या अपनी इन पुरानी बातों को महत्व देंगे। यह तो अपनी-अपनी सोच पर निर्भर करता है किंतु यदि छोटी-छोटी बातों और पुरानी मान्यताओं तथा परम्पराओं की गहराई में जाकर उनका अध्ययन करके समझा जाए तो कहीं न कहीं वैज्ञानिक तथ्य भी प्राप्त हो जाएंगे।  
 

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