जैश कमांडर की गिरफ्तारी के बाद सेना की चेतावनी, और हो सकती है घुसपैठ

punjabkesari.in Monday, May 16, 2016 - 03:43 PM (IST)

जम्मू कश्मीर : उतर कश्मीर के बारामूला से गिरफ्तार किए गए जैश-ए-मोहम्मद के कमांडर अब्दुल रहमान ने पूछताछ में कई अहम राज उगले हैं।


सेना की 19 इनफैंट्री डिवीजन के जनरल ऑफिसर कमांडिंग (जी.ओ.सी.) मेजर जनरल जे.एस नैन ने बताया कि जैश आतंकियों को आधार कार्ड भारत में घुसने के बाद दिए गए थे। सुरक्षा एजेंसियां यह पता लगा रही हैं कि रहमान के पास से बरामद आधार कार्ड असली है या फर्जी।


मेजर जनरल नैन ने यहां कहा कि जैश आतंकी की गिरफ्तारी सुरक्षाबलों के लिए बड़ी सफलता है। इससे अब यह पता लगाया जा सकेगा कि जैश किन वारदातों को अंजाम देने की प्लानिंग कर रहा है।
मेजर नैन ने बताया कि खुफिया जानकारी मिली है कि कुछ आतंकी भारत में घुसपैठ करने में कामयाब रहे हैं। रहमान की गिरफ्तारी से हमें यह पता लगाने में मदद मिलेगी कि आतंकियों की घुसपैठ के रूट कौन से हैं और उनके दूसरे आतंकी मॉड्यूल्स के बारे में भी जानकारी मिलेगी।


उन्होंने बताया कि रहमान पांच आतंकियों के ग्रुप का हिस्सा थाण् बाकी चार आतंकी कहां हैंए इस बारे में कोई सुराग नहीं मिला है, हो सकता है कि वो उत्तरी कश्मीर के दूसरे हिस्से में हों, जैश कमांडर के पास से एके राइफ ल, एके राउंड 4 ग्रेनेड और वायरलेस सेट बरामद किया गया है। इस बीच बारामुला में जैश के उच्च प्रोफाइल कमांडर की गिरफतारी के बाद सेना ने चेतावनी देते हुए कहा कि कई आतंकवादी संगठन उनके कार्यकताओं पर भारत में घुसपैठ करने के लिए दबाव बना रहे थे।


सेना के शीर्ष अधिकारी ने कहा कि वह अभियान को अत्याधिक सफल मान रहे है क्योंकि वरिष्ठ आतंकवादी को जिंदा पकडऩा बहेद महत्वपूर्ण था और उम्मीद व्यक्त की कि वह उससे पूछताछ के दौरान कुछ प्रमुख जानकारी प्राप्त कर सके जिसके आधार पर वह भविष्य के अभियानों की योजना बना सकते है।
उन्होने कहा कि आतंकी से पूछताछ से मिली अभी तक की जानकारी के अनुसार उसको चार अन्य सहयोगियों के साथ आई.एस.आई. की देखरेख में लगभग चार महीनों तक बालाकोट शिविर में प्रशिक्षण दिया गया। प्रशिक्षण के बाद उसने अन्य क्षेत्रों से भी कुछ विशेष प्रशिक्षण प्राप्त किया और गत जनवरी के दौरान उसने चार सहयोगियों के साथ भारत में घुसपैठ की।


जी.ओ.सी. ने कहा कि भारत में दाखिल होने के बाद आतंकवादी उसके दल के साथ जंगलों में कुछ समय तक छिप गया और पिछले दो महीनों से वह गतिविधियों में शामिल था जिसमें स्थानीय युवाओं को आतंकवादी में भर्ती करना भी शामिल है। वह जैश का गिरोह बनाना भी चाहता था जिसके बाद वह फिदायीन हमलों को अंजाम दोने की योजना बना रहा था।


जी.ओ.सी ने कहा कि उसने हमें उसके सहयोगियों के बारे में ज्यादा जानकारी नही दी है। अलग होने से पहले उन्होने एक दूसरे के साथ टेलोफोन नंबरों का आदान-प्रदान किया था। हमने उन नंबरों की जांच की लेकिन हम कोई भी संपर्क नही कर सके और आतंकी के अनुसार वह भी कुछ महीनों से अपने सहयोगियों के संपर्क में नही था।


आतंकी को जिंदा पकडने के लिए निर्धारित रहने पर सेना के लिए अभियान कितना मुश्किल था के बारे में मेजर जनरल ने कहा कि सैनिकों ने सब कुछ किया जिससे आतंकी को जिंदा पकडा गया। आतंकी को जिंदा पकडना चाहता थे ताकि उससे कुछ महत्वपूर्ण जानकारी प्राप्त की जा सके, इसलिए उसको जिंदा पकडना महत्वपूर्ण और सफल अभियान था।

 


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