जेलेंस्की का बड़ा ऐलान: “संधि खत्म, अब रूसियों को माफ नहीं करेंगे, बारूदी सुरंगों से उड़ा देंगे चीथड़े" !
punjabkesari.in Monday, Jun 30, 2025 - 06:36 PM (IST)

International Desk:रूस और यूक्रेन के बीच जारी युद्ध अब और भी क्रूर और विध्वंसक दिशा में बढ़ता दिख रहा है। शनिवार और रविवार की रात रूस ने यूक्रेन पर अब तक का सबसे भीषण हवाई हमला किया। इस हमले के बाद यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोदिमिर जेलेंस्की ने ओटावा कन्वेंशन (Anti-Personnel Mine Ban Treaty) से बाहर आने की औपचारिक प्रक्रिया शुरू कर दी है। इस डिक्री पर हस्ताक्षर करते हुए राष्ट्रपति जेलेंस्की ने कहा: “मैं 29 जून 2025 के यूक्रेनी राष्ट्रीय सुरक्षा और रक्षा परिषद के फैसले को लागू करने का आदेश देता हूं, जो हमें इस ऐतिहासिक संधि से बाहर लाने का रास्ता तैयार करता है।” इस आदेश को कानूनी प्रभाव में आने के लिए यूक्रेनी संसद की मंजूरी की आवश्यकता होगी, जिसके बाद इसे संयुक्त राष्ट्र को सूचित किया जाएगा।
क्या हैं एंटी-पर्सनल माइन और क्यों हैं खतरनाक?
- ये माइंस जमीन में छिपाकर रखी जाती हैं, जो किसी व्यक्ति के कदम पड़ते ही विस्फोट करती हैं।
- इनसे मृत्यु तो होती ही है पर ज़्यादातर मामलों में लोग अपंग या स्थायी रूप से विकलांग हो जाते हैं।
- युद्ध के बाद भी ये माइंस सालों तक ज़मीन में छिपी रहती हैं जिससे आम नागरिक भी शिकार बनते हैं।
क्यों लिया यूक्रेन ने यह फैसला?
यूक्रेनी विदेश मंत्रालय ने इस फैसले को देश की आंतरिक सुरक्षा और क्षेत्रीय रक्षा से जोड़ा है। एक आधिकारिक बयान में कहा गया “यूक्रेन अपने नागरिकों की सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता देता है। हम यह फैसला रूसी हमलों से अपनी धरती और लोगों को बचाने के लिए ले रहे हैं। यह एक कठिन लेकिन आवश्यक निर्णय है।”यूक्रेनी सांसद रोमन कोस्टेंको ने कहा कि “हमने यह कदम बहुत देर से उठाया है। रूस वर्षों से आम नागरिकों और सैनिकों के खिलाफ इन माइंस का उपयोग कर रहा है, अब हमें भी जवाब देना होगा।”
क्या है ओटावा कन्वेंशन?
यह संधि 1997 में अस्तित्व में आई और इसमें 160 देश शामिल हुए। इसके तहत सदस्य देशों पर एंटी-पर्सनल माइंस के उत्पादन, उपयोग, भंडारण और हस्तांतरण पर पूर्ण प्रतिबंध होता है। इस संधि का मकसद युद्ध के दौरान और बाद में भी नागरिकों को इन छिपी हुई मौतों से बचाना है।