पिता के कातिल को पकड़ने के लिए पुलिस बनी बेटी, 25 साल बाद खुद किया इंसाफ

punjabkesari.in Thursday, Oct 17, 2024 - 10:47 AM (IST)

इंटरनेशनल डेस्क. आम लोगों को कई बार इंसाफ पाने के लिए सालों तक इंतजार करना पड़ता है। न्याय में देरी के कारण लोग परेशान होकर कानून अपने हाथ में ले लेते हैं। हालांकि, बदला लेने का एक कानूनी तरीका भी है। एक लड़की ने अपने पिता के हत्यारे को पकड़ने के लिए 25 साल तक पुलिस बनी और अंततः उसे जेल भेजने में सफल हुई।

उत्तरी ब्राजील की गिस्लेने सिल्वा डी डेउस उस समय सिर्फ नौ साल की थीं, जब 1999 में उनके पिता की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। गिस्लेने के पिता की जान महज 20 डॉलर के लिए ली गई थी और उनकी मौत ने गिस्लेने को गहरे सदमे में डाल दिया।

हत्या के मामले में रेमुंडो अल्वेस गोम्स को गिरफ्तार किया गया और उसके खिलाफ मुकदमा चलाया गया। 2013 में कोर्ट ने उसे 12 साल की सजा सुनाई, लेकिन वह जल्दी ही जेल से बाहर आ गया। गिस्लेने ने हिम्मत नहीं हारी और पुलिस में शामिल होकर उस हत्यारे को पकड़ने का फैसला किया। वर्षों की मेहनत और संघर्ष के बाद उन्होंने आखिरकार उसे फिर से गिरफ्तार करवा लिया और उसे न्याय दिलाया। यह कहानी न केवल इंसाफ की लड़ाई की है, बल्कि यह भी दर्शाती है कि धैर्य और मेहनत से कोई भी लक्ष्य हासिल किया जा सकता है।


गिस्लेने सिल्वा ने अपने पिता के हत्यारे को जेल में रखने के लिए कई बार अपील की, लेकिन उन्हें सफलता नहीं मिली। 2016 में हत्यारे के खिलाफ गिरफ्तारी का वारंट जारी हुआ, लेकिन तब तक वह फरार हो चुका था। अपने पिता के हत्यारे को पकड़ने के लिए गिस्लेने ने वकील की नौकरी छोड़कर पुलिस में शामिल होने का निर्णय लिया और जेल की अधिकारी बन गईं। उनका लक्ष्य था कि हत्यारा उसी जेल में आए, जहां वह काम कर रही थीं।

कड़ी मेहनत के बाद गिस्लेने अंततः उस व्यक्ति तक पहुंच गईं, जिसने उनके पिता की हत्या की थी। जब उन्होंने उसे पकड़ा, तो वह भावुक हो गईं और रोते हुए कहा कि उन्हें लगने लगा था कि शायद वह कभी उस पल तक नहीं पहुंच पाएंगी। 25 साल बाद आखिरकार उन्हें अपने पिता के हत्यारे को गिरफ्तार करने में सफलता मिली।

मीडिया से बात करते हुए गिस्लेने ने कहा- जब मैंने देखा कि मेरे पिता की मौत के लिए जिम्मेदार व्यक्ति को अंततः हथकड़ी पहना दी गई है, तो मैं अपने आंसू नहीं रोक सकी। उनके आंसू राहत के थे, जो इस लंबी लड़ाई के बाद आखिरकार मिले इंसाफ को दर्शा रहे थे। यह कहानी न केवल एक बेटी की संघर्ष की है, बल्कि यह दिखाती है कि मेहनत और समर्पण से इंसाफ भी मिल सकता है।


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Content Editor

Parminder Kaur

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