मरने के बाद दोबारा जिंदा होंगे लोग? जानें क्या है वो तकनीक जिसके लिए 800 से ज्यादा लोगों ने किया आवेदन
punjabkesari.in Friday, Aug 22, 2025 - 05:46 AM (IST)

इंटरनेशनल डेस्कः मौत एक अंतिम सत्य है, ऐसा माना जाता है। लेकिन आधुनिक विज्ञान अब इस धारणा को भी चुनौती देने लगा है। एक ऐसी तकनीक जो मरने के बाद भी जीवन की उम्मीद देती है — इसे कहते हैं क्रायोनिक्स (Cryonics)।
आज दुनिया भर में कई वैज्ञानिक और निजी कंपनियां इस पर काम कर रही हैं। उनका दावा है कि अगर किसी इंसान या जानवर के शरीर को बेहद ठंडे तापमान पर सुरक्षित रखा जाए, तो भविष्य में नई तकनीकों से उसे फिर से जीवित किया जा सकता है। इस तकनीक में 800 से ज्यादा लोग अब तक आवेदन कर चुके हैं।
क्या है क्रायोनिक्स तकनीक?
क्रायोनिक्स एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें क्लिनिकली मृत व्यक्ति (यानि जिसका दिल और दिमाग काम करना बंद कर चुका हो) के शरीर को -196°C तापमान पर लिक्विड नाइट्रोजन में सुरक्षित रखा जाता है।
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इस प्रक्रिया का मकसद है शरीर की कोशिकाओं को सड़ने या टूटने से बचाना।
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इसमें शरीर के टिश्यू से पानी को निकालकर उसमें क्रायोप्रोटेक्टेंट भरा जाता है, ताकि वह बर्फ में न बदले बल्कि ग्लास-जैसी अवस्था में बदल जाए।
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इसके बाद शरीर को स्टील कंटेनर में लिक्विड नाइट्रोजन के अंदर अनिश्चितकाल तक स्टोर किया जाता है।
आशा यह है कि भविष्य में जब टेक्नोलॉजी और मेडिसिन काफी विकसित हो जाए, तब ऐसे शरीरों को दोबारा जिंदा किया जा सकेगा।
हॉलीवुड से लेकर हकीकत तक
क्रायोनिक्स की अवधारणा को विज्ञान-फंतासी फिल्मों में कई बार दिखाया गया है।
उदाहरण के तौर पर:
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'Vanilla Sky' (2001): टॉम क्रूज़ के किरदार को क्रायो-सस्पेंशन में रखा गया था ताकि भविष्य में उसे दोबारा जगाया जा सके।
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'Captain America' और कई अन्य फिल्मों में भी पात्रों को समय से “फ्रीज़” कर भविष्य में लाया गया।
अब यह कल्पना से निकल कर प्रयोगशाला की हकीकत बन चुकी है।
कौन-कौन सी कंपनियां कर रही हैं काम?
1. Tomorrow Bio (बर्लिन, जर्मनी)
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2020 से सक्रिय
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अब तक 20 इंसान और 10 पालतू जानवरों को स्टोर किया गया
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800 से अधिक लोग प्रक्रिया के लिए रजिस्टर कर चुके हैं
2. Alcor Life Extension Foundation (एरिज़ोना, अमेरिका)
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1972 में स्थापना
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अब तक 248 इंसान क्रायो-प्रिज़र्वेशन में
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यह सबसे पुरानी और सबसे महंगी सेवा देने वाली कंपनी है
3. CryoRus (रूस)
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100 इंसान और 77 जानवर फ्रीज किए जा चुके हैं
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यह कंपनी सस्ता विकल्प देने के लिए मशहूर है
कितना आता है खर्च?
क्रायोनिक्स आज की तारीख में बहुत महंगी प्रक्रिया मानी जाती है:
कंपनी | सेवा | अनुमानित लागत |
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Tomorrow Bio | पूरा शरीर | ₹2 करोड़ तक |
Alcor | पूरा शरीर | ₹70 करोड़+ |
Alcor | सिर्फ दिमाग | ₹25–30 करोड़ |
आमतौर पर लोग बीमा के ज़रिए यह खर्च कवर करते हैं।
दिमाग को अलग से क्यों स्टोर किया जाता है?
कुछ लोग सिर्फ अपने मस्तिष्क (ब्रेन) को फ्रीज करवाते हैं। इसका कारण यह मान्यता है कि इंसान की स्मृति, चेतना और व्यक्तित्व दिमाग में ही बसते हैं। भविष्य में यदि सिर्फ दिमाग को किसी कृत्रिम शरीर या डिजिटल सिस्टम से जोड़ा जा सके, तो व्यक्ति को फिर से सक्रिय किया जा सकता है।
क्या सच में दोबारा ज़िंदगी मुमकिन है?
यह सवाल अब भी बहस का विषय है:
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अभी तक कोई भी ऐसा केस सामने नहीं आया है जिसमें किसी को क्रायोनिक्स से फिर से जीवित किया गया हो।
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लेकिन नैनोटेक्नोलॉजी, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और बायोटेक्नोलॉजी के क्षेत्र में हो रही प्रगति से वैज्ञानिक आश्वस्त हैं कि भविष्य में यह संभव हो सकता है।
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वैज्ञानिक मानते हैं कि अगली कुछ दशकों में मृत कोशिकाओं की मरम्मत और पुनर्जीवन संभव हो सकेगा।
भारत में क्या स्थिति है?
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भारत में अभी क्रायोनिक्स को लेकर जागरूकता और सुविधा दोनों बेहद सीमित हैं।
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हालांकि, बड़े शहरों में कुछ निजी बायोटेक स्टार्टअप्स और हेल्थटेक कंपनियां इस पर रुचि दिखा रही हैं।
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कई भारतीय अब विदेशी क्रायोनिक्स कंपनियों में प्री-रजिस्ट्रेशन करवा रहे हैं।