ईसाई देशों की आंखों में खटक रहे मुसलमान ! इस कारण नापसंद किया जा रहा इस्लाम
punjabkesari.in Thursday, Jan 09, 2025 - 02:15 PM (IST)
International Desk: आजकल कई ईसाई देशों में इस्लाम के प्रति नकारात्मक दृष्टिकोण देखने को मिल रहा है। इसके पीछे कई कारण हैं, जिनकी वजह से इस्लाम को कुछ ईसाई देशों में नापसंद किया जा रहा है । इसके कई कारण बताए जा रहे हैें। सबसे पहले, यह देखा गया है कि कुछ मुस्लिम समुदायों के लोग अपनी धार्मिक पहचान और परंपराओं को बहुत महत्वपूर्ण मानते हैं, और जब इन परंपराओं के खिलाफ कुछ होता है, तो वे अक्सर इसे खारिज करते हैं या इससे जुड़े अपराधियों का बचाव करते हैं। उदाहरण के लिए, कुछ मुस्लिम समुदायों में बाल यौन शोषण जैसे अपराधों का बचाव किया जाता है, जो इस्लाम और इस्लामिक कानून के खिलाफ है। ऐसे अपराधियों का बचाव करना इस्लाम की छवि को नुकसान पहुंचाता है और लोगों के बीच नफरत फैलाता है। दूसरा कारण यह है कि कुछ मुस्लिम देशों में कानूनों और आचार संहिताओं के बीच अंतर है, जो पश्चिमी देशों की लोकतांत्रिक और मानवाधिकार आधारित व्यवस्था से मेल नहीं खाते।
There is an Islamic crime problem within the UK.
— Andrew Tate (@Cobratate) January 7, 2025
This is an objective fact.
This should outrage Muslims.
Instead muslims rush to deny the issue or defend the perpetrators.
RAPE IS ILLEGAL IN ISLAMIC COUNTRIES PUNISHABLE BY DEATH.
As is ILLEGALLY INVADING AND OCCUPYING…
इस्लामिक कट्टरवाद और आतंकवाद
इसके अलावा, इस्लामिक आतंकवाद और कट्टरवाद के कुछ उदाहरणों ने भी इस्लाम को नकारात्मक तरीके से प्रस्तुत किया है। कुछ आतंकवादी संगठन, जो खुद को मुस्लिम बताते हैं, ने हिंसा और आतंक फैलाया है, जिससे इस्लाम को लेकर गलतफहमियाँ और डर बढ़ा है। अंततः, जब किसी धर्म या समुदाय के कुछ लोग अपराधों का बचाव करते हैं, तो वह पूरे धर्म की छवि को प्रभावित करता है। यही कारण है कि कुछ ईसाई देशों में इस्लाम के प्रति नकारात्मक विचार विकसित हुए हैं, और यह नफरत और अविश्वास का कारण बनता है। 9/11 की घटना और उसके बाद के आतंकवादी हमलों ने इस्लाम को वैश्विक मंच पर हिंसा और आतंकवाद से जोड़ा। कुछ कट्टरपंथी मुस्लिम समूहों ने खुद को इस्लाम का प्रतिनिधि बताते हुए आतंक फैलाया, जिससे इस्लाम की छवि को नुकसान पहुंचा। इन आतंकवादी संगठनों ने पूरी दुनिया में मुस्लिम समुदाय को एक ही नज़र से देखने की प्रवृत्ति को बढ़ावा दिया, और इस्लाम को गलत तरीके से पेश किया। इसके परिणामस्वरूप, पश्चिमी देशों में इस्लाम को खतरे के रूप में देखा जाने लगा।
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वहाबीवाद और सलाफी विचारधारा
वहाबीवाद और सलाफी विचारधाराएं, जो कुछ इस्लामिक देशों में प्रचलित हैं, ने इस्लाम की एक अत्यधिक रूढ़िवादी और कट्टरपंथी छवि पेश की है। यह विचारधाराएं पश्चिमी देशों में इस्लाम के प्रति संदेह और भय का कारण बनती हैं, क्योंकि ये विचारधाराएं पश्चिमी मूल्यों और जीवनशैली को नकारती हैं। यही कारण है कि पश्चिमी समाज में इस्लाम को एक “रूढ़िवादी” और “विरोधी पश्चिमी” धर्म के रूप में देखा जाता है।
मुस्लिम प्रवासियों और सांस्कृतिक संघर्ष
पिछले कुछ दशकों में, मुस्लिम प्रवासियों का पश्चिमी देशों में आना बढ़ा है, विशेष रूप से यूरोप में। इसके साथ ही, सांस्कृतिक और सामाजिक संघर्ष भी बढ़े हैं। यूरोप में, विशेष रूप से फ्रांस, जर्मनी और ब्रिटेन जैसे देशों में, मुस्लिम समुदायों के साथ सांस्कृतिक टकराव हुआ है। मुस्लिमों के धार्मिक प्रतीकों जैसे हिजाब, कट्टरता के आरोप, और पारंपरिक इस्लामिक जीवनशैली को पश्चिमी समाज के आधुनिकता और स्वतंत्रता के मानकों से मेल नहीं खाने के रूप में देखा जाता है। इस संघर्ष ने इस्लाम और मुसलमानों के प्रति नकारात्मक दृष्टिकोण को बढ़ावा दिया।
धार्मिक अपराधों का बचाव और अपराधियों की रक्षा
कुछ मुस्लिम समुदायों के सदस्य जब अपराधियों का बचाव करते हैं, जैसे बाल यौन शोषण और बलात्कार के मामलों में, तो यह पूरी इस्लामिक धर्म की छवि को धूमिल कर देता है। उदाहरण के तौर पर, जब कुछ मुस्लिम नेता या समुदायों ने बाल शोषण और अन्य गंभीर अपराधों के दोषियों का समर्थन किया, तो यह इस्लाम के प्रति संदेह और नफरत को और बढ़ा देता है। जबकि इस्लाम में बलात्कार और बाल शोषण जैसे अपराधों की कड़ी निंदा की जाती है, कुछ अपराधियों का बचाव करना इस्लाम की सच्चाई को छुपा देता है और इस्लाम के प्रति नकारात्मक धारणा को प्रोत्साहित करता है।
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मीडिया का प्रभाव
मीडिया का भी इस्लाम की छवि पर गहरा प्रभाव पड़ा है। कई बार मीडिया में इस्लाम और मुस्लिम समुदायों को गलत तरीके से पेश किया गया है। जब कोई आतंकवादी हमला होता है, तो उसे तुरंत इस्लाम से जोड़ दिया जाता है, चाहे वह व्यक्ति वास्तव में धर्म के अनुयायी हो या नहीं। इससे इस्लाम को एक हिंसक और आक्रामक धर्म के रूप में देखा जाता है, जो पूरी दुनिया में नफरत और आतंक फैलाता है।
इसीलिए, इस्लाम को समझने और उसके सही संदेश को फैलाने की आवश्यकता है, ताकि इन गलतफहमियों और नफरत को दूर किया जा सके। ईसाई देशों में इस्लाम के प्रति नकारात्मक दृष्टिकोण एक जटिल और संवेदनशील मुद्दा है, जिसके पीछे कई सामाजिक, ऐतिहासिक और राजनीतिक कारण हैं। समय के साथ इस्लाम और मुस्लिम समुदायों के प्रति जो नकारात्मक विचार विकसित हुए हैं, वे केवल धार्मिक मतभेदों तक सीमित नहीं हैं, बल्कि यह कई सामाजिक और वैश्विक घटनाओं के परिणामस्वरूप भी उभर कर सामने आए हैं।