मसूद अजहर में क्यों अटकी हैं चीन की सांसें ?

punjabkesari.in Wednesday, Feb 08, 2017 - 11:44 AM (IST)

बीजिंगः आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में भारत को अमरीका, ब्रिटेन और फ्रांस का अहम साथ मिला है। अमरीका के नेतृत्व में तीनों देशों ने पठानकोट और संसद पर हमले के आरोपी मसूद अजहर को अंतर्राष्ट्रीय आतंकी घोषित करने के लिए संयुक्त राष्ट्र (यू.एन.) में प्रस्ताव पेश किया है। पहले की तरह चीन ने इस बार भी इस प्रस्ताव पर वीटो लगा दिया है। बीते साल 31 दिसंबर को चीन के वीटो के कारण भारत का इसी तरह का प्रस्ताव गिर चुका है। ऐसे में यह जानना जरूरी है कि आखिर चीन इस आतंकी को क्यों बचा रहा है।  आज नजर डालते हैं इसके कुछ अहम कारणों पर..

चीन-पाकिस्तान इकोनॉमिक कॉरिडोर 
पीओके से गुजरने वाला चीन-पाकिस्तान इकोनॉमिक कॉरिडोर ( CPEC)) एक अहम प्रोजैक्ट है। चीन को डर है कि अगर वह मसूद अजहर के खिलाफ प्रस्ताव पास कराने की मुहिम में साथ देता है तो पाकिस्तानी आतंकी संगठन इस परियोजना के खिलाफ हो सकते हैं।

भारत का दलाई लामा को समर्थन
बौद्ध धर्मगुरु दलाई लामा को भारत का समर्थन चीन को हमेशा से खटकता रहा है। ऐसे में चीन मसूद अजहर के पक्ष में खड़ा होकर भारत को संदेश देना चाहता है।

भारत की तरक्की
एशिया में महाशक्ति बनने की ओर भारत के बढ़ते कदम से चीन को इस क्षेत्र में अपना दबदबा खतरे में पड़ता दिख रहा है। इसलिए भी वह भारत के समर्थन में खड़ा नहीं होना चाहता

अमरीका-भारत-जापान गठजोड़
चीन को घेरने के लिए अमरीका, भारत और जापान साथ आ गए हैं। तीनों देशों की नौसेनाएं समय-समय पर चीन को चेताने के लिए संयुक्त अभ्यास करती रहती हैं। इस वजह से भी चीन मसूद अजहर को बचा कर भारत, अमरीका और जापान पर निशाना साध रहा है।

 अक्साई चीन का विवाद
अक्साई चीन को लेकर चीन और भारत के बीच विवाद रहा है। भारत इसे जम्मू- कश्मीर का हिस्सा बताता है लेकिन शासन चीन का है। भारत ने लद्दाख में स्थित दौलत बेग ओल्डी में मिलिट्री बेस भी बनाया है। भारत के इस कदम ने भी चीन को चिंता में डाल रखा है।

 भारत के सैटेलाइट से चीन पर नजर
 वर्ष 2016 की शुरुआत में भारत के इस एेलान ने कि वह दक्षिणी विएतनाम में एक ऐसा सैटेलाइट ट्रैकिंग और इमेजिंग सेंटर स्थापित करेगा, जो विएतनाम को चीन और साउथ चाइना सी की गतिविधियों की सैटेलाइट तस्वीरें हासिल करने में मददगार होगा। इससे चीन की चिंता बढ़ गई और तभी से उसने अजहर पर प्रतिबंध का विरोध करना शुरू कर दिया।


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