दिन भर में नौ घंटे से अधिक समय तक बैठे रहने से जल्द मौत का खतरा: अध्ययन

punjabkesari.in Thursday, Aug 22, 2019 - 06:22 PM (IST)

लंदन: शारीरिक तौर पर अधिक सक्रियता से जल्द मौत का खतरा कम हो जाता है। वहीं 9.5 घंटे या उससे अधिक समय तक बैठे रहने से जल्द मौत का जोखिम बढ़ जाता है। हाल ही में किए गए एक अध्ययन में यह दावा किया गया है। ब्रिटिश मेडिकल जर्नल (बीएमजे) में यह शोध प्रकाशित हुआ है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के दिशानिर्देशों में 18 से 64 वर्ष की आयु के लोगों के लिए हर हफ्ते कम से कम 150 मिनट तक मध्यम या 75 मिनट तक अत्यंत कड़ा शारीरिक परिश्रम करने की सलाह दी गई है। हालांकि ये सलाह मुख्य तौर पर खुद अपनाई गई गतिविधियों पर आधारित है। इसलिए किस उम्र में कितनी ज्यादा शारीरिक गतिविधियां जरूरी हैं या उनकी तीव्रता क्या होनी चाहिए इसका कोई स्पष्ट मानदंड नहीं है। 


9.5 घंटे बैठे रहने से बढ़ता है मौत का खतरा
नार्वे के ओस्लो में स्थित नॉर्वेजियन स्कूल ऑफ स्पोर्ट साइंसेज के प्रोफेसर उल्फ एकेलुंड के नेतृत्व में शोधकर्ताओं ने शारीरिक गतिविधियों और मृत्यु के साथ गतिहीन समय के संबंधों का आकलन करते हुए अवलोकन संबंधी अध्ययनों का विश्लेषण किया। अध्ययन में एक्सेलेरोमीटर (त्वरणमापी) का उपयोग किया गया है, जो एक पहनने योग्य उपकरण है जो जागने के घंटों के दौरान गतिविधि की मात्रा और तीव्रता को ट्रैक करता है, जिसका मकसद दैनिक गतिविधि के स्तर को मापना है। शारीरिक गतिविधियों के स्तर के उदाहरणों में धीरे-धीरे चलना या खाना पकाने या बर्तन धोने जैसे हल्के कार्य कम तीव्रता वाली गतिविधियों में आते हैं। मध्यम तीव्रता वाली गतिविधि में ऐसी कोई भी गतिविधिय शामिल है जिससे आपकी सांसे तेज हो जाती हैं, जैसे तेज चलना इत्यादि। शोध में कहा गया है कि गतिहीन होना- उदाहरण के लिए दिन भर में नींद के समय को छोड़कर 9.5 घंटे या उससे अधिक समय तक बैठे रहना समय से पहले मृत्यु के जोखिम को बढ़ाता है। 
 

शोध में किया गया 36,383 वयस्कों को शामिल
आठ उच्च गुणवत्ता वाले शोध में कम से कम 40 वर्ष या उससे अधिक की आयु वाले 36,383 वयस्कों को शामिल किया गया, जिनकी औसत आयु 62 वर्ष थी। गतिविधि के स्तर को खंडों में वर्गीकृत किया गया है, जिसमें कम सक्रियता से लेकर सबसे अधिक सक्रियता के स्तर का उल्लेख किया गया है। प्रतिभागियों पर औसतन 5.8 वर्ष तक नजर रखी गई। शोध के दौरान 2,149 (5.9 फीसदी) प्रतिभागियों की मौत हो गई। संभावित प्रभावशाली कारकों के समायोजन के बाद, शोधकर्ताओं ने पाया कि किसी भी स्तर की शारीरिक गतिविधि, चाहे वह किसी भी तीव्रता की हो, मृत्यु के जोखिम को काफी कम करती है। 
 

मेहनत करने वाले लोगों में मृत्यु का जोखिम आधा
शारीरिक गतिविधि की कुल मात्रा में से लगभग 300 मिनट (पांच घंटे) प्रति दिन हल्की तीव्रता वाली शारीरिक गतिविधि या प्रति दिन लगभग 24 मिनट मध्यम तीव्रता वाली शारीरिक गतिविधि के बढऩे के कारण मौतें बहुत कम हो गईं। इन स्तरों पर मेहनत करने वाले लोगों में कम या बिल्कुल भी शारीरिक परिश्रम नहीं करने वाले लोगों की तुलना में मृत्यु का जोखिम आधा हो गया था। ब्रिटेन की यूनिवर्सिटी ऑफ लीसेस्टर के एक प्रोफेसर टॉम येट्स ने कहा, इसका परिणाम शानदार हैं। यह पहले से व्यापक रूप से माना गया है कि स्वास्थ्य के लिए अधिक शारीरिक गतिविधि करना कितना बेहतर होता है।


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Edited By

Anil dev

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