उइगर नेता ने दुनिया को ललकाराः ‘शिनजियांग नहीं, ईस्ट तुर्किस्तान कहिए’,‘नाम बदलने से चीन का सच नहीं छुपेगा’
punjabkesari.in Tuesday, Dec 23, 2025 - 07:17 PM (IST)
International Desk: ईस्ट तुर्किस्तान सरकार-इन-एग्ज़ाइल (ETGE) के विदेश और सुरक्षा मंत्री सलीह हुदायार ने चीन पर तीखा हमला बोलते हुए कहा है कि अंतरराष्ट्रीय मंचों पर ‘शिनजियांग’ शब्द का इस्तेमाल बीजिंग के औपनिवेशिक नैरेटिव को मजबूत करता है। उन्होंने स्पष्ट कहा कि इस क्षेत्र को उसके ऐतिहासिक नाम ‘ईस्ट तुर्किस्तान’ से ही संबोधित किया जाना चाहिए। हुदायार ने Genocide Watch की रिपोर्ट “Genocide Emergency: Xinjiang, China 2025” का स्वागत तो किया, लेकिन साथ ही चेताया कि गलत शब्दावली और संदर्भ चीन के सैन्य कब्जे की वास्तविकता को धुंधला कर देते हैं। उन्होंने कहा कि ‘शिनजियांग’ का शाब्दिक अर्थ ‘नई भूमि’ है, जो बीजिंग द्वारा थोपा गया एक औपनिवेशिक नाम है और यह ईस्ट तुर्किस्तान के स्वतंत्र इतिहास को मिटाने का प्रयास है।
We appreciate @Genocide_Watch for recognizing and condemning China’s ongoing genocide in our homeland in its recent “Genocide Emergency: Xinjiang, China 2025” alert. At the same time, some of the terminology and framing still reflect Beijing’s narrative and risk understating the… pic.twitter.com/5Oychh6VwC
— Salih Hudayar (@SalihHudayar) December 22, 2025
उन्होंने जनसंख्या आंकड़ों पर भी सवाल उठाए। हुदायार के अनुसार, अंतरराष्ट्रीय रिपोर्ट्स में उइगरों की संख्या को लगभग 1.2 करोड़ बताया जाता है, जबकि स्वयं चीन के सरकारी आंकड़े पूरे क्षेत्र की आबादी करीब 2.6 करोड़ बताते हैं। उइगर और तुर्किक विद्वानों का अनुमान है कि 2014 में कठोर नीतियां शुरू होने से पहले यह आबादी 4.5 करोड़ तक हो सकती थी। हुदायार ने जोर देकर कहा कि ईस्ट तुर्किस्तान की स्थिति को चीन का “आंतरिक मामला” बताना भ्रामक है। उनके मुताबिक, यहां सामूहिक हिरासत, जबरन श्रम, जन्म-नियंत्रण, बच्चों को परिवारों से अलग करना, धार्मिक व भाषाई पहचान का विनाश और जनसांख्यिकीय इंजीनियरिंग—ये सभी एक संगठित औपनिवेशिक जनसंहार की रणनीति का हिस्सा हैं।
उन्होंने मानवाधिकार संगठनों और सरकारों से अपील की कि वे रिपोर्टिंग में ‘ईस्ट तुर्किस्तान’ शब्द का प्रयोग करें या स्पष्ट रूप से लिखें—“ईस्ट तुर्किस्तान (जिसे चीन ‘शिनजियांग’ कहता है)”। साथ ही उन्होंने कहा कि समाधान सुधारों में नहीं, बल्कि आत्मनिर्णय, उपनिवेशवाद से मुक्ति और ईस्ट तुर्किस्तान की स्वतंत्रता में निहित है।हुदायार ने चेताया, “जनसंहार को नाम देना जरूरी है, लेकिन उतना ही जरूरी है देश, जनता और मूल कारण चीनी कब्जे को पहचानना। यही इसे रोकने का एकमात्र रास्ता है।”
