गर्भपात कानून पर फिर सुलग रहा अमेरिका, सुप्रीम कोर्ट का फैसला लीक होने पर देशभर में मचा बवाल

punjabkesari.in Thursday, May 05, 2022 - 10:59 AM (IST)

वॉशिंगटन: अमेरिका में बेहद गंभीर व संवेदनशील माने जाने वाले अबॉर्शन (गर्भपात) कानून को लेकर  लोग सड़कों पर उतर आए हैं और विरोध-प्रदर्शन कर रहे हैं। अमेरिका के लिए ये मुद्दा पिछले 50 सालों से काफी संवेदनशील बना हुआ है।   इसको लेकर हजारों  लोग अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट के बाहर प्रदर्शन कर रहे हैं।  ये मुद्दा अचानक फिर से  उठा है और अमेरिकी सरकार के रूख और सुप्रीम कोर्ट के फैसले को लेकर लोगों का रोष भड़का हुआ है।  जानकारी के अनुसार अमेरिका में पिछले 50 सालों से गर्भपात कानून को लेकर विवाद चल रहा है और अमेरिकी समाज  गर्भपात करवाने के लिए कानून होना चाहिए या नहीं होना चाहिए,   मुद्दे पर दो हिस्सों में बंटा हुआ है।  

 

इस वक्त भी सुप्रीम कोर्ट में गर्भपात कानून से जुड़े एक मुद्दे पर सुनवाई चल रही है और कुछ ही दिनों में गर्भपात कानून पर अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने वाला है, लेकिन इससे पहले की सुप्रीम कोर्ट अपना फैसला सुनाता, कोर्ट के जजों का ही फैसला लीक हो गया। अमेरिका की 'पोलिटिको' नाम की एक खोजी वेबसाइट ने अमेरिकी जजों के फैसले को लीक कर दिया और फिर पूरा अमेरिका सुलग उठा।   'पोलिटिको' वेबसाइट ने दावा किया है कि, कि अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट के 9 में से 5 जजों ने गर्भपात कानून के पक्ष में अपना फैसला दिया है, जबकि चार जजों ने कानून के खिलाफ फैसला दिया है। यानि, इस कानून को लेकर 9 सदस्यीय जजों की टीम भी बंटी नजर आ रही है।

 

अगर 'पोलिटिको' का दावा सही है, तो अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट के फैसले का मतलब ये हुआ, कि गर्भपात करवाना गैर-कानूनी ही रहेगा। जबकि, अमेरिकी की एक बड़ी आबादी का मानना है, कि गर्भपात करवाना उनका मौलिक अधिकार है और सुप्रीम कोर्ट उनसे यह अधिकार नहीं छीन सकता है। वेबसाइट का दावा ये भी है, कि सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस भी कानून बनाने के समर्थन में हैं। जिसके बाद अमेरिका में गर्भपात पर कानून बनाने का रास्ता खुल जाएगा। सुप्रीम कोर्ट का पुराना फैसला क्या था? अमेरिका में सबसे पहले गर्भपात को लेकर विवाद साल 1973 में शुरू हुआ था, जब अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट की 9 सदस्यीय बेंच ने 7-2 के बहुमत गर्भपात कानून के खिलाफ फैसला सुनाया था। 

 

उस वक्त सुप्रीम कोर्ट ने कहा था, कि गर्भपात करना महिलाओं का निजी अधिकार है। अमेरिकी कोर्ट ने कहा था, कि गर्भपात करना महिलाओं के लिए उनका मौलिक अधिकार है। इसके बाद साल 1992 में भी अमेरिका में इसी तरह का एक मामला आया और उस वक्त भी सुप्रीम कोर्ट ने गर्भपात कानून के खिलाफ ही फैसला सुनाया था। उस वक्त अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए यहां तक कहा था, कि एक मां गर्भपात करने लिए पूरी तरह से स्वतंत्र है और इसमें किसी भी तरह की दखलअंदाजी नहीं दी जा सकती है। हालांकि, अदालत की तरफ से अपने फैसले में ये भी कहा गया था, कि कोख में जब तक भ्रूण है, तभी तक मां ऐसा कर सकती है, लेकिन एक बार जैसे ही भ्रूण में जीवन आ जाए, उसके बाद सरकार गर्भपात पर कानून बना सकती है।

 

 फिर से क्यों उठा है गर्भपात कानून का मुद्दा? 
अमेरिका में गर्भपात कानून को लेकर चूंकी समाज पूरी तरह से शामिल है, लिहाजा ये मुद्दा पूरी तरह से राजनीतिक हो चुका है और रिपब्लिकन पार्टी गर्भपात पर रोक लगाने वाली कानून के समर्थन में है, लिहाजा जिन राज्यो में रिपब्लिकन पार्टी की सरकार है, वहां पर ऐसे कानूनी इंतजामात किए जा रहे हैं, जो गर्भपात को कानूनी दायरे में लाए। रिपब्लिकन पार्टी की सरकार वाली मिसिसिपी राज्य में सरकार ने कानून बनाते हुए 15 हफ्ते से ऊपर के भ्रूण गिराने को गैर-कानूनी घोषित कर दिया है। जिसके बाद राज्य सरकार के इस कानून को अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी और इसीलिए सुप्रीम कोर्ट के 9 जजों की एक बेंच इस केस की सुनवाई कर रही है और माना जा रहा है, कि बहुत जल्द गर्भपात कानून पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला आ सकता है।


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Content Writer

Tanuja

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