भारत-रूस की नजदीकी से अमेरिका में मची खलबली, ट्रंप के सलाहकार बोले - भारत को हमारे साथ रहना चाहिए

punjabkesari.in Tuesday, Sep 02, 2025 - 11:09 AM (IST)

इंटरनेशनल डेस्क: हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के बीच शंघाई सहयोग संगठन (SCO) समिट के दौरान एक खास मीटिंग हुई। इस मीटिंग के दौरान दोनों नेताओं के बीच कई अहम मुद्दों पर चर्चा हुई जिससे भारत और रूस के बीच रिश्ते और मजबूत हुए हैं। इस मजबूत होती साझेदारी से अमेरिका खासा नाराज़ नजर आ रहा है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के व्यापार सलाहकार पीटर नवारो ने इस पर तीखी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा कि भारत को अमेरिका के साथ खड़ा होना चाहिए न कि रूस के साथ। उनके इस बयान से साफ झलकता है कि भारत की स्वतंत्र विदेश नीति अमेरिका को रास नहीं आ रही।

पीटर नवारो की भारत को चेतावनी

'फ्री प्रेस जर्नल' की रिपोर्ट के अनुसार पीटर नवारो ने कहा, "भारत को हमारे साथ रहना चाहिए न कि रूस के साथ। प्रधानमंत्री मोदी चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग और रूस के राष्ट्रपति पुतिन के साथ मिलकर काम कर रहे हैं यह सही नहीं है।" उन्होंने ये भी कहा कि अमेरिका भारत पर नजर बनाए हुए है और उसे यह पसंद नहीं आ रहा कि भारत रूस और चीन जैसे देशों के साथ दोस्ताना रिश्ते बना रहा है।

मोदी-पुतिन की मीटिंग बनी चिंता की वजह

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की यह मुलाकात चीन में हुई SCO समिट के दौरान हुई थी। इस दौरान दोनों नेताओं ने द्विपक्षीय संबंधों, वैश्विक राजनीति, ऊर्जा सहयोग और व्यापार जैसे मुद्दों पर चर्चा की। इस मुलाकात के दौरान दोनों नेताओं के बीच जिस गर्मजोशी और आत्मीयता का माहौल दिखा वह अमेरिका के लिए चिंता का कारण बन गया।

भारत पर अतिरिक्त टैरिफ का कारण क्या है?

पीटर नवारो ने भारत पर लगाए गए 25 प्रतिशत अतिरिक्त टैरिफ के पीछे दो प्रमुख कारण बताए हैं। पहला कारण है भारत का कथित "अनुचित व्यापार व्यवहार" यानी Unfair Trade Practices। अमेरिका का आरोप है कि भारत के व्यापारिक नियम और नीतियाँ अमेरिकी कंपनियों के लिए हानिकारक हैं और उन्हें भारत में प्रतिस्पर्धा करने में कठिनाई होती है। इसी कारण अमेरिका ने टैरिफ बढ़ाया है ताकि भारत पर दबाव बनाया जा सके। दूसरा बड़ा कारण है रूस से भारत की तेल खरीद। अमेरिका को इस बात पर आपत्ति है कि भारत रूस से बड़ी मात्रा में तेल आयात कर रहा है, जिससे रूस की अर्थव्यवस्था को मजबूती मिल रही है। नवारो का कहना है कि यही पैसा रूस यूक्रेन युद्ध में इस्तेमाल कर रहा है, और इस तरह भारत अप्रत्यक्ष रूप से युद्ध को आर्थिक सहयोग दे रहा है। इन दोनों कारणों को आधार बनाकर अमेरिका ने भारत पर 25 प्रतिशत अतिरिक्त टैरिफ लगाया है।

रूस से तेल खरीद पर अमेरिका क्यों नाराज है?

रूस और यूक्रेन के बीच चल रहा युद्ध महीनों से थमा नहीं है। अमेरिका का आरोप है कि भारत रूस से बड़ी मात्रा में तेल खरीदकर अप्रत्यक्ष रूप से इस युद्ध को आर्थिक सहायता दे रहा है। नवारो ने कहा, "भारत की यह नीति रूस की अर्थव्यवस्था को मजबूत कर रही है और यह पैसा युद्ध में इस्तेमाल हो रहा है।"  इस बयान से साफ है कि अमेरिका चाहता है कि रूस को पूरी तरह से आर्थिक रूप से अलग-थलग कर दिया जाए और भारत उसकी इस रणनीति में सहयोग करे।

भारत की स्वतंत्र विदेश नीति और अमेरिका की अपेक्षा

भारत लंबे समय से यह स्पष्ट करता आ रहा है कि उसकी विदेश नीति “राष्ट्र हित सर्वोपरि” के सिद्धांत पर आधारित है। भारत अपने फैसले स्वतंत्र रूप से लेता है और किसी देश के दबाव में नहीं आता। चाहे वह रूस से रक्षा सौदे हों या तेल की खरीद, भारत हमेशा अपने आर्थिक और रणनीतिक हितों को प्राथमिकता देता है। अमेरिका की अपेक्षा है कि भारत रूस से दूरी बनाए और पश्चिमी देशों के साथ कदम मिलाकर चले, खासकर यूक्रेन युद्ध के मुद्दे पर। लेकिन भारत का रुख यह रहा है कि वह युद्ध को खत्म करने की अपील करता है और बातचीत के ज़रिए समाधान चाहता है।


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Content Editor

Ashutosh Chaubey

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