खूंखार कैदियों की रिहाई पर US ने राष्ट्रपति गनी को दिया "शानदार जवाब", तालिबान भी शांति वार्ता को तैयार
punjabkesari.in Tuesday, Aug 11, 2020 - 02:34 PM (IST)
काबुलः अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी ने लोया जिरगा (महासभा) द्वारा 400 खूंखार तालिबान कैदियों की रिहाई को एक बड़ी सफलता बताया है । गनी ने कहा इसमें अमेरिका का कोई सहयोग नहीं और कैदियों की रिहाई का सारा श्रेय अफगामिस्तान को जाता है। उन्होंने कहा कि अमेरिका ने कहा है कि अफगानिस्तान के साथ उसका कोई गुप्त सौदा नहीं है। गनी ने कहा कि हमने अमेरिका से पूछा कि क्या एक स्वतंत्र और लोकतांत्रिक अफगानिस्तान पर आम सहमति है, जिसके लिए व्हाइट हाउस ने हमें यह "शानदार जवाब" दिया। सबसे खास बात यह है कि अमेरिका के इस बयान के बाद तालिबान ने सोमवार को अफगान शांति वार्ता के लिए भी सशर्त सहमति दे दी।
तालिबान ने कहा कि कैदियों की रिहाई की प्रक्रिया पूरी होने के बाद एक सप्ताह के भीतर ही शांति प्रक्रिया में शामिल होंगे। अफगानिस्तान टाइम्स के संवाददाता मुजीब मशाल के अनुसार बयान में यह भी कहा गया है कि अफगानिस्तान की जनता और सरकार को आश्वासन दिया जाना चाहिए कि रिहा हुए तालिबान कैदी "युद्ध में नहीं लौटेंगे और उनकी गतिविधि पर नजर रखी जाएगी।" लोया जिरगा में हजारों अफगान बुजुर्ग, समुदाय के नेता और राजनेता शामिल हैं जो रविवार को काबुल में अंतिम 400 तालिबानी कैदियों को रिहा करने का फैसला करने के लिए एकत्र हुए थे।
बता दें कि अफगानिस्तान की महासभा ‘लोया जिरगा’ ने रविवार को तालिबान के 400 कैदियों की रिहाई को मंजूरी दे दी। तालिबान आतंकियों को रिहा करने का फैसला अफगानिस्तान में करीब दो दशक से चल रहे गृहयुद्ध को खत्म करने के मकसद से शांति वार्ता की शुरुआत का मार्ग प्रशस्त करेगा। इससे पहले अफगानिस्तान की सरकार करीब 5 हजार तालिबान कैदियों को रिहा कर चुकी है। बदले में तालिबान ने भी करीब 1100 सरकारी बलों, सरकारी कर्मचारियों और राजनीतिक दलों के लोगों को अपनी कैद से मुक्त किया है। गनी ने राजधानी काबुल में विधानसभा बुलाई थी, जहां करीब 3,200 अफगान समुदाय के नेताओं ने सरकार को सलाह दी कि तालिबान कैदियों को मुक्त किया जाए।
क्या है लोया जिरगा ?
लोया जिरगा मुख्य रूप से नए संविधान को अपनाने या युद्ध जैसे राष्ट्रीय या क्षेत्रीय मुद्दे को निपटाने के लिए आयोजित किया जाता है।लोया जिरगा में हजारों अफगान बुजुर्ग, समुदाय के नेता और राजनेता शामिल हैं । राष्ट्रपति गनी ने लोया जिरगा के फैसले का स्वागत किया और तालिबान से युद्ध खत्म करने का आग्रह किया। वहीं, तालिबान के राजनीतिक प्रवक्ता सुहेल शाहीन ने फैसले का स्वागत करते हुए इसे सकारात्मक कदम बताया। दोहा में पहले राउंड की वार्ता के दौरान तालिबान के प्रवक्ता सुहैल शाहीन ने बताया, 'हमारा पक्ष स्पष्ट है, यदि कैदियों की रिहाई पूरी हो जाती है तब हम एक सप्ताह के भीतर ही वार्ता के लिए तैयार हैं।' तालिबान कैदियों के अंतिम समूह को रिहा किए जाने के एक सप्ताह के अंदर अफगानिस्तान सरकार और आतंकी संगठन के बीच शांति वार्ता शुरू हो जाएगी।