अमरीकी स्कूलों, कालेजों में दाखिले को लेकर ट्रंप ने लिया बड़ा फैसला

punjabkesari.in Wednesday, Jul 04, 2018 - 06:04 PM (IST)

वाशिंगटनः ट्रंप प्रशासन ने ओबामा काल के उन दिशा - निर्देशों को निरस्त कर दिया है जिनमें अमेरिकी स्कूलों , कालेजों और उच्च शिक्षा के संस्थानों को दाखिला प्रक्रिया में नस्ल और जातीयता को एक कारक के रूप में इस्तेमाल को बढ़ावा देने के लिए प्रोत्साहित किया गया था। ट्रंप प्रशासन के इस कदम की व्यापक आलोचना हुई।  ये दिशा - निर्देश उन 24 नीति दस्तावेजों में शामिल थे जिन्हें अमेरिकी न्याय विभाग ने ‘‘ गैर - जरूरी , पुराने, मौजूदा कानून के हिसाब से असंगत या अनुचित ’’ बताते हुए कल निरस्त कर दिया।

अमरीका के अटार्नी जनरल जेफ सेशन्स ने कहा कि ट्रंप प्रशासन में हम कानून का शासन बहाल कर रहे हैं। सेशन्स ने आरोप लगाया कि पिछले प्रशासनों की एजेंसियां बिना किसी सार्वजनिक नोटिस या टिप्पणी काल के महज कोई पत्र भेज कर या फिर किसी वेबसाइट पर कोई मार्ग - निर्देश दस्तावेज पोस्ट कर अमेरिकी लोगों पर नया नियम थोपने का अकसर प्रयास करती रहीं। उन्होंने कहा कि वह गलत था , और यह अच्छी सरकार नहीं थी। शिक्षा मंत्री बेटसी डेवोस ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने निर्धारित किया है कि‘ अफर्मेटिव ऐक्शन ’की कौन सी नीतियां संवैधानिक हैं और अदालत के लिखित फैसले इस जटिल मुद्दे को तय करने के लिए बेहतरीन मार्गनिर्देश हैं। ट्रंप के इस कदम का विपक्षी डेमोक्रेटिक पार्टी और मानवाधिकार समूहों ने कड़ा विरोध किया है।

ओबामा के शासनकाल में न्याय विभाग के तहत स्कूलों में मानवाधिकार प्रवर्तन की प्रमुख रहीं अनुरिमा भार्गव ने वाल स्ट्रीट जर्नल से कहा कि इसपर कानून नहीं बदला है और उच्चतम न्यायालय ने दो बार अपने आदेश में विविधता के महत्व की फिर से पुष्टि की है। यह पूरी तरह राजनीतिक हमला है जिसका किसी को फायदा नहीं मिलता। डेमोक्रेटिक नेता नैंसी पेलोसी ने कहा कि ओबामा प्रशासन के दिशा - निर्देश ने इसकी पुष्टि की थी कि विविधता स्कूलों और देश की मजबूती है। इस पर ट्रंप प्रशासन का भेदभाव - पूर्ण एजेंडा हमला कर रहा है।       


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Isha

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