Trump का नया फरमान जारी! विदेशी छात्रों के पीछे हाथ धोकर पड़े, एडमिशन को लेकर ले आए यह खतरनाक नियम
punjabkesari.in Tuesday, Oct 07, 2025 - 01:30 PM (IST)

इंटरनेशनल डेस्क। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की सत्ता में वापसी के बाद से ही ऐसा प्रतीत हो रहा है कि उनकी सरकार विदेशी छात्रों के प्रवेश को लेकर बेहद सख्त रुख अपना रही है। व्हाइट हाउस की तरफ से जारी किए गए 10-पॉइंट के एक मेमो में अमेरिकी कॉलेजों और यूनिवर्सिटीज के लिए अंडरग्रेजुएट (UG) कोर्सेज में विदेशी छात्रों के एडमिशन को सीमित करने का स्पष्ट निर्देश दिया गया है।
विदेशी छात्रों के लिए 15% की सीमा
ट्रंप सरकार की इस नई नीति से अमेरिकी उच्च शिक्षा संस्थानों में विदेशी छात्रों की संख्या पर सीधा असर पड़ेगा। सरकार ने अमेरिकी कॉलेजों से कहा है कि वे अंडरग्रेजुएट कोर्सेज में दिए जाने वाले कुल एडमिशन का सिर्फ 15% हिस्सा ही विदेशी छात्रों के लिए रखें। मेमो में यह भी कहा गया है कि किसी एक यूनिवर्सिटी में किसी एक देश के 5% से ज्यादा छात्रों को एडमिशन नहीं दिया जाए। सरकार का तर्क है कि इससे यूनिवर्सिटी-कॉलेज के भीतर विविधता (Diversity) बनी रहेगी।
नियम तोड़ने पर रुकेगी फंडिंग
ट्रंप सरकार ने इन निर्देशों को एक बड़े नियमों का हिस्सा बनाया है जिसके तहत सरकारी फंडिंग को सीधे तौर पर इन नियमों के पालन से जोड़ा गया है। मेमो में यह गुजारिश की गई है कि अब जो नया बैच आए उसमें 15% विदेशी छात्रों को एडमिशन देने के नियम का पालन किया जाए। नियम का पालन न करने पर यूनिवर्सिटी और कॉलेजों को फेडरल फंडिंग से हाथ धोना पड़ सकता है। एडमिशन के अलावा मेमो में ट्यूशन फीस को फ्रीज करने और अलग-अलग विचारधारा को पनपने के लिए जगह देने की बात भी की गई है।
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मूल्यों के समर्थक छात्रों को ही मिलेगा प्रवेश
ट्रंप प्रशासन ने विदेशी छात्रों के लिए एक वैचारिक जाँच की प्रक्रिया भी अनिवार्य करने का संकेत दिया है। सिर्फ उन्हीं विदेशी छात्रों को एडमिशन दिया जाए जो अमेरिकी और पश्चिमी मूल्यों का समर्थन करते हैं। एडमिशन से पहले उनकी अच्छी तरह से जांच (Vetting) हो जिससे यह मालूम चल सके कि वे अमेरिका या इसके सहयोगियों के खिलाफ दुश्मनी तो नहीं रखते हैं।
यूनिवर्सिटी को अपने यहां एडमिशन पाने वाले विदेशी छात्रों की सारी जानकारी डिपार्टमेंट ऑफ होमलैंड और डिपार्टमेंट ऑफ स्टेट के साथ शेयर करने का निर्देश दिया गया है। ऐसा नहीं करने पर भी फंडिंग रोकी जाएगी। यह नीति भारतीय और अन्य अंतर्राष्ट्रीय छात्रों के लिए अमेरिका में अंडरग्रेजुएट शिक्षा प्राप्त करने की प्रक्रिया को काफी चुनौतीपूर्ण बना सकती है।