संकेत या चेतावनी! रूस के सीक्रेट स्टेशन की हलचल से अटकी दुनिया की सांसें
punjabkesari.in Thursday, Apr 17, 2025 - 07:09 PM (IST)

International Desk: रूस के खुफिया तंत्र में शामिल एक रहस्यमयी रेडियो स्टेशन UVB-76 (जिसे आमतौर पर ‘ द बजर ’ कहा जाता है) अचानक सक्रिय हो गया है। 24 घंटे के भीतर इस स्टेशन ने चार रहस्यमयी कोड वर्ड प्रसारित किए हैं, जिससे अंतरराष्ट्रीय रणनीतिक हलकों में हलचल मच गई है। विशेषज्ञ इसे संभावित सैन्य सक्रियता या परमाणु प्रतिक्रिया प्रोटोकॉल से जोड़कर देख रहे हैं।
क्या कहती है रिपोर्ट?
रेडियो स्टेशन की निगरानी रखने वाले ‘ UVB-76 लॉग ’ नामक टेलीग्राम चैनल के मुताबिक, 15 अप्रैल को चार कोड वर्ड प्रसारित किए गए नेप्च्यून, थाइमस, फॉक्सक्लॉक और नूताबू। यह अत्यंत दुर्लभ है कि ‘द बजर’ इतने कम समय में इतने संदेश भेजे। आमतौर पर यह स्टेशन सिर्फ एक स्थिर बजती हुई आवाज प्रसारित करता है, जिसे सुनकर इसे पहचानना आसान होता है। लेकिन जब कोई असाधारण परिस्थिति आती है, तभी यह विशेष संदेशों का प्रसारण करता है।
क्यों इतना खास है यह स्टेशन
UVB-76 की शुरुआत शीत युद्ध के दौर में सोवियत संघ ने की थी। माना जाता है कि इस स्टेशन का उपयोग गुप्त सैन्य संचार, जासूसी नेटवर्क को अलर्ट करने, या रूस के डूम्सडे प्रोटोकॉल (स्वचालित परमाणु प्रतिक्रिया प्रणाली) को सक्रिय करने के लिए होता है। इलेक्ट्रॉनिक युद्ध विशेषज्ञ प्रो. डेविड स्टुपल्स के मुताबिक "यह स्टेशन अत्यंत उच्च फ्रीक्वेंसी पर प्रसारण करता है, जिसे पूरे रूसी क्षेत्र में बिना इंटरनेट या सैटेलाइट के सुना जा सकता है। यह इसे अत्यधिक सुरक्षित और प्रभावी बनाता है।"
फ्रीक्वेंसी रिजर्व रखने की रणनीति
UVB-76 लगातार एक टोन भेजता रहता है। इसके पीछे कारण यह है कि अगर फ्रीक्वेंसी खाली रह जाए, तो बाहरी एजेंसियां उसमें सेंध लगा सकती हैं। इसलिए रूस इसे हमेशा ‘सक्रिय’ बनाए रखता है और जब कुछ असाधारण होता है, तभी यह कोड भेजता है।
परमाणु तैयारी के संकेत
कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि यह स्टेशन ‘डेड हैंड’ प्रणाली का हिस्सा हो सकता है – एक ऐसी प्रणाली जो रूस पर हमले की स्थिति में खुद-ब-खुद परमाणु जवाबी हमले की प्रक्रिया शुरू कर देती है, भले ही कोई आदेश देने वाला जीवित न हो। हालांकि रूसी अधिकारियों की ओर से इस स्टेशन की हालिया सक्रियता पर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है, लेकिन अंतरराष्ट्रीय विश्लेषकों का मानना है कि यह एक गंभीर सामरिक संकेत हो सकता है।